महिलाओं को माहवारी के बाद योनि तथा जांघों के आसपास की त्वचा पर हल्की-फुलकी खुजली, रैश या जलन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जो की सामान्य तौर पर दो-तीन दिन में अपने आप ठीक हो जाती हैं. लेकिन कई बार यह समस्याएं महिला को ज्यादा गंभीर स्वरूप में भी परेशान कर सकती हैं. यह तक कि कभी-कभी यह योनि में या उसके आसपास की त्वचा पर संक्रमण के साथ अन्य समस्याओं का कारण भी बन सकती हैं. इसलिए माहवारी के दौरान हाइजीन का ध्यान रखने के साथ साथ कुछ सावधानियों को बरतने की सलाह भी दी जाती है. Menstruation hygiene . Problem in periods .
माहवारी के बाद बड़ी संख्या में महिलाओं को पीरियड रैश कि समस्या का सामना करना पड़ता है. कुछ में यह हल्के-फुल्के स्वरूप में नजर आती हैं तो कई बार यह संक्रमण, एलर्जी या किसी अन्य समस्या का कारण भी बन सकती है. आमतौर पर पीरियड रैश को माहवारी के दौरान हाइजीन की कमी से जोड़ कर देखा जाता है जो की सही भी है. लेकिन इसके अलावा भी कुछ अन्य कारक इस समस्या के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं. जानकार मानते हैं कि माहवारी के दौरान स्वच्छता का ध्यान ना रखने और कई बार उसके चलते सेनेटरी पैड के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले रसायनों की प्रतिक्रिया स्वरूप भी महिलाओं में पीरियड रैश या कुछ समस्याएं नजर आ सकती हैं. लेकिन माहवारी के दौरान हाइजीन बनाए रखने के साथ ही कुछ अन्य सावधानियों को अपनाकर इस समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है.
क्या है कारण : दिल्ली के वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ अलका जैन बताती हैं कि माहवारी के बाद पीरियड के बाद कई कारणों से योनि के आसपास की त्वचा पर महिलाओं को रैशेज, दानों तथा त्वचा संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ जाता है.जिनमें से ज्यादातर के लिए किसी ना किसी तरह से सेनेटरी नैपकिन जिम्मेदार होते हैं. आमतौर पर यदि कोई महिला लंबी अवधि तक एक ही पैड का इस्तेमाल करती है तो योनि के आसपास नमी व पसीना एकत्रित होने लगता है. जो ऐसी समस्याओं के होने का कारण बन सकता है. वहीं सेनेटरी पैड के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले उत्पाद व रसायन भी कई बार इस प्रकार की समस्याओं को बढ़ाने का कार्य करते हैं.
गौरतलब है कि सेनेटरी पैड (Sanitary pad) के निर्माण में तथा उसे लंबे समय तक सूखा तथा खुशबूदार बनाए रखने के लिए उसमें सुपर अब्जॉर्बेंट पॉलीमर, आर्टिफिशियल परफ्यूम, डाइऑक्सिन तथा कुछ अन्य प्रकार के रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है. ये रसायन लंबे समय तक पैड पहनने पर योनि के आसपास वाले हिस्सों में उत्पन्न नमी, पसीने व गंदगी के साथ मिलकर त्वचा पर नुकसानदायक प्रभाव देने लगते हैं. जिसका नतीजा सिर्फ रैश, खुजली या जलन के रूप में ही नहीं बल्कि कई बार योनि व त्वचा संक्रमण के रूप में नजर आ सकता हैं. वहीं कुछ महिलाओं को कई बार पैड की सतह से एलर्जी कि समस्या भी हो सकती है. विशेष तौर पर गर्मी के मौसम में महिलाओं को इस तरह की समस्याओं का सामना ज्यादा करना पड़ता है.