हर महिला को 45 से 55 साल की उम्र के बीच रजोनिवृत्ति के अनुभव से गुजरना पड़ता है। हालांकि इस अवस्था के चलते शरीर में हार्मोन में बदलाव के चलते कई बार महिलाओं को कुछ शारीरिक और मानसिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है, जो कई बार शरीर पर ऐसे असर डालते हैं, जिसमें बीमार होने जैसा महसूस होता है, लेकिन यह कोई बीमारी नहीं है। आयुर्वेदाचार्य डॉ. पी. वी. रंगनायकुलु बताते हैं कि आयुर्वेद में मेनोपॉज या रजोनिवृत्ति के दौरान शरीर में होने वाली समस्याओं को लेकर काफी कारगर उपचार तथा औषधियां मौजूद हैं, जो इस अवस्था में शरीर में उत्पन्न होने वाली समस्याओं के असर को काफी हद तक कम कर देती हैं।
क्या है मेनोपॉज?
45 से 50 वर्ष की उम्र के आसपास यदि महिला को 1 वर्ष तक मासिक धर्म ना आए, तो वह रजोनिवृत्ति कहलाता है। महिलाओं के शरीर में हार्मोन में बदलाव तथा ओव्यूलेशन के बंद होने पर यह परिस्थिति उत्पन्न होती है। मेनोपॉज की प्रक्रिया तब शुरू होती है, जब हर महीने शरीर में विकसित होने वाले फॉलिकल्स की मात्रा कम होने लगती है। दरअसल फॉलिकल्स के कारण ही महिलाओं के शरीर में अंडाशय अंडे छोड़ता है। इसके साथ ही उनके शरीर में प्रजनन हार्मोन एस्ट्रोजन के स्तर तथा उनके निर्माण में गिरावट आने लगती है। जब शरीर में फॉलिकल्स का निर्माण बंद हो जाता है तथा एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन बनना बंद हो जाता है, तो मासिक चक्र बंद हो जाता है। यह अवस्था रजोनिवृत्ति कहलाती है।
कई बार कुछ महिलाओं में शारीरिक समस्याओं या विभिन्न कारणों के चलते रजोनिवृत्ति के लक्षण 29 से 34 साल की उम्र के बीच भी नजर आने लग जाते है। ऐसा होने पर तत्काल चिकित्सा परामर्श लेना बहुत जरूरी है।
रजोनिवृत्ति में आयुर्वेद
डॉ. पी. वी. रंगनायकुलु बताते हैं कि आयुर्वेद में महिलाओं की उम्र पर आधारित उनके शरीर में होने वाले इस बदलाव के दौरान होने वाली समस्याओं को कम करने के लिए बहुत से उपचार तथा औषधियां मौजूद हैं। जो कि उनके स्वास्थ्य में होने वाली समस्याओं को तो कम करते ही हैं, साथ ही बढ़ती उम्र के चलते उनके शरीर और त्वचा पर पड़ने वाले असर की गति को भी कम करते हैं।
40 की उम्र तक आते-आते ज्यादातर महिलाएं नियमित कार्यों के उपरांत भी शरीर में कमजोरी और थकान का अनुभव करने लगती हैं। इसके अतिरिक्त त्वचा में झुर्रियां, अलग-अलग तरह की समस्याएं, बालों का ज्यादा सफेद होना या झड़ना तथा शरीर में पोषण की कमी सहित बहुत से परिवर्तन शरीर में तेजी से होने लगते हैं।
रजोनिवृत्ति के दौरान मानसिक समस्याओं की बात करें तो आमतौर पर महिलाओं में तनाव, अवसाद, मूड का बदलना, हॉट फ्लैशेस महसूस करना तथा कई बार नींद में कमी आने जैसी समस्याएं सामने आती है। वहीं शारीरिक समस्याओं की बात करें तो वजन का बढ़ना, योनी में जलन और नमी की कमी, कामेच्छा में कमी, रात को ज्यादा पसीना आना तथा शरीर में हार्मोन में बदलाव के चलते दर्द महसूस होने जैसी कई समस्याएं रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं के सामने आती हैं। डॉक्टर रंगनायकुलु बताते हैं कि इन सभी लक्षणों को आयुर्वेदिक औषधियों के 3 से 4 महीने के उपयोग से दूर किया जा सकता है। रजोनिवृत्ति के दौरान शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में फायदा पहुंचाने वाली कुछ आयुर्वेदिक औषधियां तथा उनका उपयोग इस प्रकार है;
- अशोकारिष्ट की 25 एमएल मात्रा का इतने ही पानी में मिलाकर दिन में दो बार 3 महीने तक खाना खाने के उपरांत सेवन करें।
- अश्वगंधा चूर्ण की 3 ग्राम मात्रा का दूध के साथ सोने से पहले सेवन करें।
- प्रवाल पिष्टी की 250 एमजी मात्रा का दिन में दो बार दूध के साथ खाना खाने से पहले सेवन करें।
- इनके अतिरिक्त रजोनिवृत्ति के दौर से गुजर रही महिलाएं अर्जुना, गुग्गुलु, लहसुन, सौंफ और इलायची को नियमित तौर से अपने आहार के साथ सम्मिलित कर उसका सेवन करें।
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डॉक्टर रंगनायकुलु बताते हैं कि ऐसी महिलाएं जो मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कैंसर तथा अन्य रोग या समस्याओं से जूझ रहे हैं, उन्हें इन औषधियों के इस्तेमाल से पहले चिकित्सीय सलाह लेना बहुत जरूरी है। इसके अतिरिक्त बहुत जरूरी है कि रजोनिवृत्ति के दौर से गुजर रही महिलाएं नियमित तौर पर व्यायाम, आहार पर नियंत्रण तथा योग तथा ध्यान जैसी स्वस्थ आदतों को अपनाने के साथ ऐसी गतिविधियों को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं, जिसमें उनकी शारीरिक तथा मानसिक सक्रियता बनी रहे।