ETV Bharat / sukhibhava

Health News : देश की राजधानी में इस रोग से पीड़ितों की संख्या बढ़ रही लगातार

अधिक तनाव लेने जैसे कारकों के कारण दिमाग पर दबाव बढ़ रहा है. Tension का उच्च स्तर होने से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिसके परिणामस्वरूप स्मृति हानि की समस्या हो सकती है.

Memory loss cases rise under 50s Delhi NCR people
कांसेप्ट इमेज
author img

By IANS

Published : Sep 27, 2023, 9:32 AM IST

Updated : Sep 28, 2023, 8:27 AM IST

नई दिल्ली : दिल्ली-NCR में 50 साल से कम उम्र की युवा आबादी में स्मृति हानि और स्यूडो-डिमेंशिया से संबंधित लगभग प्रति माह 50 मामले मिल रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है इन मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है. Pseudo - Dementia का उपयोग उस स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जाता है जिसमें अवसाद मनोभ्रंश के रूप में सामने आता है. मरीजों को अक्सर याददाश्त और एकाग्रता में कठिनाई पेश आती है.

Fortis Memorial Research Institute, Gurugram के न्यूरोलॉजी निदेशक Dr Praveen Gupta ने कहा, "युवा आबादी में स्यूडो-डिमेंशिया के मामले बढ़ रहे हैं. एक महीने में लगभग 50 मामले मिलते हैं, जहां 50 वर्ष से कम उम्र के मरीज Memory loss और स्यूडो-डिमेंशिया से संबंधित मदद मांगते हैं." Pseudo Dementia और स्मृति हानि से पीड़ित मरीजों को भूलने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है कि जैसे उन्होंने कार की चाबियां कहां रखी हैं, किराने की दुकान पर कोई वस्तु लेने के लिए याद नहीं रखना, किसी मित्र के फोन कॉल का जवाब देना भूल जाना और यहां तक कि वे जो कहने वाले थे, उसे भी भूल जाना, ऐसे ही मामले सामने आ रहे हैं.

करियर, अधिक काम, सामाजिक स्थिति से संबंधित अधिक Tension लेने जैसे कारकों के कारण मस्तिष्क पर दबाव बढ़ रहा है जो मस्तिष्क को जानकारी को पूरी तरह से संसाधित करने से रोकता है, जिसके कारण यह स्थायी स्मृति तक नहीं पहुंच पाता है. डॉ. गुप्ता ने कहा, "एक ही समय में बहुत अधिक जानकारी संसाधित करने से भी फोकस और Memory loss हो रही है."

तनाव से नकारात्मक प्रभाव
तनाव का उच्च स्तर होने से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिसके परिणामस्वरूप Memory loss की समस्या हो सकती है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, " Pseudo Dementia और Memory loss दोनों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है और इसका जल्द से जल्द निदान किया जाना चाहिए." कॉरपोरेट सेक्टर में काम करने वाले 35 और 45 साल के दो मरीज, निधि और अनिकेत, डॉ. गुप्ता के पास लोगों के नाम भूलने और यहां तक कि घर और कार की चाबियां कहां रखते हैं, यह भूलने की शिकायत लेकर आए थे.

ये भी पढ़ें :

Alzheimer : आंत-पेट विकार व अल्जाइमर में आनुवांशिक जुड़ाव है, ऑस्ट्रेलियाई शोध

Pseudo Dementia का प्रमुख कारण
डॉक्टरों ने पाया कि अधिक काम, तनावपूर्ण नौकरियों और मल्टी-टास्किंग के कारण उनमें अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर विकसित हो गया है, जिससे मेमोरी लॉस और स्यूडो-डिमेंशिया की समस्या हो जाती है. इन स्थितियों का इलाज देखभाल, दवा और परामर्श से किया जा सकता है. Dr Vipul Rastogi , Neuropsychiatrist Senior Consultant at Medanta Hospital ने कहा, " Tension स्यूडो-डिमेंशिया का प्रमुख कारण है. अधिक से अधिक युवा अपने जीवन के तनावों को प्रबंधित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, चाहे वह व्यक्तिगत हो, पेशेवर हो या वित्त से संबंधित हो. यह बहुत चिंताजनक है लेकिन पर्याप्त जानकारी और जागरूकता के साथ इसे रोका जा सकता है.''

नई दिल्ली : दिल्ली-NCR में 50 साल से कम उम्र की युवा आबादी में स्मृति हानि और स्यूडो-डिमेंशिया से संबंधित लगभग प्रति माह 50 मामले मिल रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है इन मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है. Pseudo - Dementia का उपयोग उस स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जाता है जिसमें अवसाद मनोभ्रंश के रूप में सामने आता है. मरीजों को अक्सर याददाश्त और एकाग्रता में कठिनाई पेश आती है.

Fortis Memorial Research Institute, Gurugram के न्यूरोलॉजी निदेशक Dr Praveen Gupta ने कहा, "युवा आबादी में स्यूडो-डिमेंशिया के मामले बढ़ रहे हैं. एक महीने में लगभग 50 मामले मिलते हैं, जहां 50 वर्ष से कम उम्र के मरीज Memory loss और स्यूडो-डिमेंशिया से संबंधित मदद मांगते हैं." Pseudo Dementia और स्मृति हानि से पीड़ित मरीजों को भूलने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है कि जैसे उन्होंने कार की चाबियां कहां रखी हैं, किराने की दुकान पर कोई वस्तु लेने के लिए याद नहीं रखना, किसी मित्र के फोन कॉल का जवाब देना भूल जाना और यहां तक कि वे जो कहने वाले थे, उसे भी भूल जाना, ऐसे ही मामले सामने आ रहे हैं.

करियर, अधिक काम, सामाजिक स्थिति से संबंधित अधिक Tension लेने जैसे कारकों के कारण मस्तिष्क पर दबाव बढ़ रहा है जो मस्तिष्क को जानकारी को पूरी तरह से संसाधित करने से रोकता है, जिसके कारण यह स्थायी स्मृति तक नहीं पहुंच पाता है. डॉ. गुप्ता ने कहा, "एक ही समय में बहुत अधिक जानकारी संसाधित करने से भी फोकस और Memory loss हो रही है."

तनाव से नकारात्मक प्रभाव
तनाव का उच्च स्तर होने से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिसके परिणामस्वरूप Memory loss की समस्या हो सकती है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, " Pseudo Dementia और Memory loss दोनों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है और इसका जल्द से जल्द निदान किया जाना चाहिए." कॉरपोरेट सेक्टर में काम करने वाले 35 और 45 साल के दो मरीज, निधि और अनिकेत, डॉ. गुप्ता के पास लोगों के नाम भूलने और यहां तक कि घर और कार की चाबियां कहां रखते हैं, यह भूलने की शिकायत लेकर आए थे.

ये भी पढ़ें :

Alzheimer : आंत-पेट विकार व अल्जाइमर में आनुवांशिक जुड़ाव है, ऑस्ट्रेलियाई शोध

Pseudo Dementia का प्रमुख कारण
डॉक्टरों ने पाया कि अधिक काम, तनावपूर्ण नौकरियों और मल्टी-टास्किंग के कारण उनमें अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर विकसित हो गया है, जिससे मेमोरी लॉस और स्यूडो-डिमेंशिया की समस्या हो जाती है. इन स्थितियों का इलाज देखभाल, दवा और परामर्श से किया जा सकता है. Dr Vipul Rastogi , Neuropsychiatrist Senior Consultant at Medanta Hospital ने कहा, " Tension स्यूडो-डिमेंशिया का प्रमुख कारण है. अधिक से अधिक युवा अपने जीवन के तनावों को प्रबंधित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, चाहे वह व्यक्तिगत हो, पेशेवर हो या वित्त से संबंधित हो. यह बहुत चिंताजनक है लेकिन पर्याप्त जानकारी और जागरूकता के साथ इसे रोका जा सकता है.''

Last Updated : Sep 28, 2023, 8:27 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.