त्योहार हो, शादी ब्याह जैसे समारोह हो या फिर आयुर्वेद के औषधीय नुस्खे हो, तिल का उपयोग हर जगह किया जाता है। विशेषकर जब बात संक्रांति या लोहड़ी जैसे त्योहारों की आती है, तो तिल तथा तिल से बनी मिठाईयों के बिना इन त्योहारों को पूरा नहीं माना जाता है। तिल का सेवन ना सिर्फ हमारे स्वास्थ्य बल्कि सौन्दर्य के लिए भी बेहतरीन तथा लाभकारी माना जाता है। पणजी गोवा की न्यूट्रीशनिस्ट रोशनी दिनीज बताती हैं की गरम तासीर वाले तिल का इस्तेमाल हमारे शरीर को गर्माहट देता है। ETV भारत सुखीभवा को जानकारी देते हुए उन्होंने तिल में पाए जाने वाले पोषक तत्वों तथा उनसे स्वास्थ्य को होने वाले फायदों के बारे में विस्तार से जानकारी दी.
गुणकारी तिल
रोहिणी दिनीज बताती है कि अत्यधिक पौष्टिक तथा प्राकृतिक तेल से भरपूर तिल एक प्रकार का बीज होता है, जो सीसमम इंडिकम पेड़ पर मिलता है तथा इसकी मुख्यतः दो प्रजातियां, काली तथा सफेद, जो ज्यादा इस्तेमाल में आती हैं। तिल का इस्तेमाल जितना मिठाइयों का जायका बढ़ाता है, उतना ही स्वास्थ्य को लाभ तथा पोषण भी पहुंचाता है। तिल में मूफा ( ओलिक एसिड ) प्रचुर मात्रा में मिलता है। इसके अतिरिक्त इसमें प्रोटीन, बी कॉम्प्लेक्स विटामिन, विटामिन ई, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, मैंगनीज, जिंक, सेलेनियम तथा कॉपर भी भरपूर मात्रा में मिलते हैं।
तिल में मिलने वाले पोषक तत्वों के फायदे
⦁ ओलिक एसिड हाई कोलेस्ट्रॉल तथा ट्राइग्लीसिराइड्स को कम करता है, जिससे हृदय रोग होने के खतरे में कमी आती है।
⦁ तिल प्रोटीन के उन स्रोतों में से एक है, जो ना सिर्फ किफायती होते हैं बल्कि बच्चों, बड़ों तथा बुजुर्गों के साथ ही गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं की सेहत को काफी फायदा पहुंचाते हैं।
⦁ तिल कैल्शियम तथा मैग्नीशियम के खास स्त्रोतो में से एक हैं, जो ना सिर्फ हमारी हड्डियों को मजबूत बनाते हैं, बल्कि ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्या से बचाव में मदद करते हैं।
⦁ तिल में मिलने वाला जिंक हमारे शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद तो करता ही है, साथ में शरीर में रक्त परिसंचरण व मेटाबॉलिज्म भी बढ़ाता है। वहीं कॉपर में मिलने वाले जलन रोधी तत्व आर्थराइटिस की समस्या में मदद करते हैं. साथ में जोड़ों की सूजन को भी कम करते हैं।
⦁ तिल में मिलने वाला विटामिन ई तथा सेलेनियम शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट की श्रेणी में आता है, जो शरीर को डिटॉक्स करता है। इसके अतिरिक्त तिल में सीसे मॉल तथा सीसेमीन जैसे एंटी ऑक्सीडेंट तत्व भी पाए जाते हैं, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
⦁ तिल में मिलने वाला पौधों का योगिक फाइटोएस्ट्रोजन हमारे शरीर में मिलने वाले एस्ट्रोजन नामक हार्मोन को प्रभावित करता है, जो एस्ट्रोजन की कमी के कारण शरीर पर पड़ने वाले असर के प्रभाव को कम करने के साथ-साथ मेनोपॉज के दौरान होने वाली समस्याओं को भी कम करने का कार्य करता हैं।
पढे़ : गुप्तांगों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है सही तरीके से सफाई
तिल का तेल
रोहिणी दिनीज बताती हैं की आयुर्वेद में तिल के तेल का काफी महत्व माना जाता है। तिल के तेल के औषधीय गुणों के चलते इसे विभिन्न प्रकार के सौंदर्य प्रसाधनों के निर्माण में इस्तेमाल में लाया जाता है। तिल का तेल युक्त प्रसाधन ना सिर्फ हमारी त्वचा में नमी बनाते हैं, बल्कि त्वचा में नए सेल्स का निर्माण भी करते हैं। तिल के तेल में प्राकृतिक रूप से उम्र रोधी गुण यानी एंटी एजिंग तत्व पाए जाते हैं। यहां तक कि शरीर की सामान्य मालिश के लिए भी तिल के तेल को आदर्श माना जाता है।
सिर्फ सौंदर्य ही नहीं तिल का तेल खाने के जायके को भी बढ़ा देता है। हमारे देश के कई राज्यों में खाना बनाने में तिल के तेल को प्रमुखता से उपयोग में लाया जाता है। सिर्फ तिल के तेल का ही नहीं, बल्कि तेल के बीजों को भी ब्रेड, चटनी, पकोड़े, मिठाइयों, सलाद तथा सब्जी में स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। भारत के अलावा कई अन्य देशों में भी खाने में तिल तथा तेल के तेल का इस्तेमाल प्रमुखता से किया जाता है।
तिल के संबंध में अधिक जानकारी लेने के लिए रोहिणी दिनीज से rohinidiniz@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।