लगभग साल भर से अखबार हो या टीवी या फिर सोशल नेटवर्किंग साइट्स, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के नुस्खों तथा उपायों की जैसे बाढ़ सी आई हुई है. कोविड महामारी ने लोगों में मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता की जरूरत और उसकी महत्ता दोनों के प्रति जागरूकता फैलाई है. इस दौरान लोगों ने जाना की ना सिर्फ कोविड-19 से बचाव के लिए, बल्कि किसी भी प्रकार के रोग तथा संक्रमण से बचाव के लिए रोग प्रतिरोधक प्रणाली का मजबूत होना जरूरी है. जानकार तथा चिकित्सक मानते हैं तथा बताते हैं की शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए दवाइयों और टॉनिक से ज्यादा जरूरी है अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या को स्वस्थ तथा अनुशासित तरीके से जिया जाए. ETV भारत सुखीभवा आपके साथ साझा कर रहा है की कैसे हम छोटी-छोटी सकारात्मक आदतों को अपने जीवन में शामिल करके तथा नुकसानदायक आदतों से दूरी बनाकर अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं.
गलत आदतों से दूरी जरूरी
हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है की ऐसी आदतें जो हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है, उनसे दूरी बना कर रखी जाए. इन आदतों में से कुछ इस प्रकार हैं;
- धूम्रपान
सिगरेट या तंबाकू का सेवन शरीर में कई गंभीर रोगों का कारण बन सकता है. सिगरेट में निकोटिन तथा अन्य हानिकारक केमिकल होते है, जो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करते हैं, जिससे शरीर के विभिन्न तंत्रों में संक्रमण तथा गंभीर रोगों का खतरा बढ़ जाता है.
- अल्कोहल यानि शराब का सेवन
सिर्फ धूम्रपान ही नहीं, ज्यादा शराब पीने से भी शरीर की मशीनरी के कार्यों पर गंभीर असर पड़ सकता है. ऐसी अवस्था में व्यक्ति के शरीर की बाहरी तथा आंतरिक दोनों प्रकार की गतिविधियां शिथिल होने लगती हैं. यही नहीं संक्रमणों को लेकर मानव शरीर ज्यादा संवेदनशील हो जाता है. जैसे-जैसे शराब की लत व्यक्ति को पड़ने लगने लगती है, उसके शरीर में स्वयं को ठीक करने की क्षमता में कमी आने लगती है.
- निष्क्रियता या ज्यादा समय घर के अंदर बिताना
दिन का अधिकांश समय घर के भीतर रहने, धूप में कम निकलने और व्यायाम जैसी शारीरिक गतिविधियों में कमी के कारण व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. दरअसल धूप में बाहर ना निकलने से शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन-डी नहीं मिल पाता है, जोकि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं.
- पर्याप्त नींद ना लेना
रात में 3 से 4 घंटे की नींद लेना या ना के बराबर सोना भी हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर करता है. दरअसल हमारे शरीर में सैटोकाईन्स नामक प्रोटीन का निर्माण होता है, जो रोग प्रतिरोधक प्रणाली के कार्य को संचालित करता है. इस प्रोटीन का निर्माण तभी होता है, जब हम अच्छी नींद लेते हैं. इस बात से लगभग सभी वाकिफ हैं की सोते समय हमारे शरीर के ज्यादातर अंग स्वयं अपनी मरम्मत करते हैं, इसलिए प्रतिदिन 7 से 9 घंटे की नींद हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है.
- तनाव और बेचैनी
लंबे समय तक तनाव, अवसाद और बेचैनी से भी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ता है. दरअसल लंबे समय तनाव और अवसाद के कारण शरीर में स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसॉल तथा एडरेनिलीन की मात्रा बढ़ने लगती है. वहीं लंबे समय तक मानसिक समस्याएं भी हमारे शरीर तथा सभी जरूरी तंत्रों की कार्य प्रणाली पर असर डालती हैं, जिससे हमारा शरीर बाह्य संक्रमणों के लिए संवेदनशील हो जाता है. कई बार समस्या इतनी गंभीर भी हो सकती है की टीकाकरण से भी रोग से बचाव नहीं हो पाता है.
- आसीन जीवनशैली
आसीन जीवनशैली आज की हकीकत है. आज के दौर में ज्यादातर लोग गतिहीन जीवनशैली जी रहे है. ज्यादातर लोग आजकल कभी काम, तो कभी पढ़ाई के चलते लंबे समय तक एक ही स्थान पर बैठे रहने, बिना शारीरिक गतिविधि या व्यायाम के लगातार कुछ ना कुछ खाते रहने जैसी आदतों के शिकार हैं. ज्यादातर चिकित्सक मानते हैं की प्रतिदिन कम से कम 30 से 45 मिनट का व्यायाम ना सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए बहुत जरूरी है.
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जरूरी कदम
- स्वस्थ और संतुलित भोजन ग्रहण करें.
- भोजन में ताजे तथा मौसमी फल तथा सब्जियां शामिल करें.
- पर्याप्त नींद लें.
- साफ सफाई का ध्यान रखें.
- योग तथा ध्यान की मदद से तनाव से दूरी बनाएं.
- प्रतिदिन व्यायाम करें.
- दिन का कुछ समय सूरज की रोशनी में बिताने का प्रयास करें.
- स्वस्थ, संतुलित और अनुशासित दिनचर्या तथा जीवनशैली का पालन करें.
- किसी भी प्रकार का रोग या समस्या होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें और उनके निर्देशों का पालन करें.