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कहीं आपका रिश्ता टॉक्सिक तो नही हो रहा? - what is a toxic relationship

कई बार रिश्तों में संवाद की कमी, अहम या सामन्जस्यता में कमी के चलते आपसी समस्याएं इतनी गहराने लगती हैं कि ना सिर्फ रिश्तें, बल्कि लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ने लगता है. ऐसे रिश्तों को टॉक्सिक कहना गलत नही होगा, क्योंकि यह लोगों को खुशी और प्रेम की बजाय सिर्फ तनाव और तकलीफ देते हैं.

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कही आपका रिश्ता टॉक्सिक तो नही हो रहा है?
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Published : Jan 9, 2022, 8:01 AM IST

कई बार रिश्तों में अलग-अलग कारणों से इस तरह का माहौल पनपने लगता है कि उनमें असहजता का अहसास होने लगता है. एक दूसरे से अपनी बात कहने में असहजता, छोटी-छोटी बातों पर नाराजगी तथा रिश्ते में फंसा हुआ महसूस करने का एहसास रिश्तों में दूरियां बढ़ाने लगता है. ये सही है कि हर रिश्ते में कई बार कुछ बातों को नजरअंदाज करना पड़ ही जाता है, लेकिन अगर भावनात्मक दूरियां इस कदर बढ़ने लगे कि रिश्तों को निभाना ही दूभर हो जाए तो समझ जाएं कि रिश्ता टॉक्सिक होने लगा है. वह हमारे सामाजिक जीवन के साथ ही हमारे मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करने लगता है. ज्यादा परेशानी वाली बात यह है कि हम में से ज्यादातर लोग जानते-बुझते इन परेशानियों को नजरअंदाज करते हैं या फिर समझ ही नही पाते हैं कि उनका रिश्ता, उनकी खुशियों और जीवन को नकारात्मक रूप में प्रभावित करने लग रहा है.

रिलेशनशिप काउन्सलर आरती सिंह बताती हैं कि समस्याओं का अहसास अगर लगातार होने लगे या कुछ परेशानियां रिश्तों में स्थाई तौर पर नजर आने लगे तो इसका मतलब है आप एक स्वस्थ रिश्तें में नही है. आइए जानते है कौन सी हैं वे बातें जो इस बात का संकेत देती हैं कि आप एक टॉक्सिक रिश्ते की ओर बढ़ रहें हैं.

साथी के साथ खुलकर बात ना कर पाना

किसी भी रिश्ते की नींव होता है एक दूसरे के साथ संवाद तथा भावनाओं की अभिव्यक्ति. यानी अपने मन की बात या भावनाओं को खुलकर अपने साथी को बताना, तथा उसकी बातों व भावनाओं को सुनना व समझना. लेकिन किसी भी कारण से यदि कोई भी महिला या पुरुष अपनी बात या भावना को दूसरे व्यक्ति तक अभिव्यक्त नही कर पाता है या बोल कर उन्हे नही बता पाता है या फिर उनसे संवाद में असहजता महसूस करने लगता है, तो यह रिश्ते के लिए खतरे की घंटी है.

पढ़ें: क्यों युवाओं को आकर्षित करता है 'फ्रेंड्स विद बेनिफिट्स' चलन

एक दूसरे के बीच किसी भी माध्यम में संवाद या अभिव्यक्ति में कमी या उसका ना होना रिश्तों में दूरियां पैदा कर देता है. जिसके नतीजे स्वरूप दोनों में झगड़े और असंतोष बढ़ने लगता है. बातों को बहुत लंबे समय तक न कहना, अपनी परेशानी को दूसरे व्यक्ति को न बताना या गलती पर माफी नहीं मिलना जिसके आप हकदार हैं रिश्ते को तो टॉक्सिक बनाते ही हैं साथ ही दोनों लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालते हैं.

रिश्ते में हमेशा तनावग्रस्त महसूस करना

किसी भी रिश्ते में लड़ाई और झगड़ा होना या किसी भी मुद्दे पर विचारों में सहमति ना होना सामान्य बात है, लेकिन अगर हमेशा झगड़ा या बहस, लंबे समय का तनाव देकर खत्म हो तो यह सही संकेत नही है. रिश्ते में समझदारी, संवाद, प्रेम और विश्वास की कमी उस रिश्ते में मौजूद दोनों लोगों के दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव डालती है, जिसका नतीजा उनमें तनाव, अवसाद, गुस्सा, चिड़चिड़ाहट और बैचेनी के रूप में नजर आता है. यदि ऐसा होने लगे तो समझ जाएं की अपने रिश्ते को बचाने के लिए आपको मदद तथा प्रयास दोनों की जरूरत है.

सोशल एंजाइटी

कई बार लोग अपने तनावग्रस्त रिश्तों तथा आपसी समस्याओं के चलते सामाजिक जीवन से दूर भागने लगते हैं. लोगों से मिलना, सामाजिक समारोहों में जाने से बचना, अपना सारा ध्यान अपने साथी की ओर लगाने का प्रयास करना, लेकिन उसके बावजूद भी खुश महसूस ना करना आदि इस बात का संकेत देते हैं कि आपके रिश्तों की परेशानी के चलते आप सोशल एन्जाइटी का भी शिकार हो रहे हैं.

आरती सिंह बताती हैं कि इनके अलावा भी कई बातें होती है जो इस बात का संकेत देती हैं कि आपके रिश्ते में सबकुछ सही नही हैं. ये आपसी समस्याएं आपके रिश्ते या मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर ना डाले इसके लिए जरूरी है कि जैसे ही समस्या होने का एहसास होने लगे तो घर के बड़ों की या प्रोफेशनल मदद लें.

पढ़ें: बीमारी नहीं है होमोसेक्सुअल या बायसेक्सुअल होना

कई बार रिश्तों में अलग-अलग कारणों से इस तरह का माहौल पनपने लगता है कि उनमें असहजता का अहसास होने लगता है. एक दूसरे से अपनी बात कहने में असहजता, छोटी-छोटी बातों पर नाराजगी तथा रिश्ते में फंसा हुआ महसूस करने का एहसास रिश्तों में दूरियां बढ़ाने लगता है. ये सही है कि हर रिश्ते में कई बार कुछ बातों को नजरअंदाज करना पड़ ही जाता है, लेकिन अगर भावनात्मक दूरियां इस कदर बढ़ने लगे कि रिश्तों को निभाना ही दूभर हो जाए तो समझ जाएं कि रिश्ता टॉक्सिक होने लगा है. वह हमारे सामाजिक जीवन के साथ ही हमारे मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करने लगता है. ज्यादा परेशानी वाली बात यह है कि हम में से ज्यादातर लोग जानते-बुझते इन परेशानियों को नजरअंदाज करते हैं या फिर समझ ही नही पाते हैं कि उनका रिश्ता, उनकी खुशियों और जीवन को नकारात्मक रूप में प्रभावित करने लग रहा है.

रिलेशनशिप काउन्सलर आरती सिंह बताती हैं कि समस्याओं का अहसास अगर लगातार होने लगे या कुछ परेशानियां रिश्तों में स्थाई तौर पर नजर आने लगे तो इसका मतलब है आप एक स्वस्थ रिश्तें में नही है. आइए जानते है कौन सी हैं वे बातें जो इस बात का संकेत देती हैं कि आप एक टॉक्सिक रिश्ते की ओर बढ़ रहें हैं.

साथी के साथ खुलकर बात ना कर पाना

किसी भी रिश्ते की नींव होता है एक दूसरे के साथ संवाद तथा भावनाओं की अभिव्यक्ति. यानी अपने मन की बात या भावनाओं को खुलकर अपने साथी को बताना, तथा उसकी बातों व भावनाओं को सुनना व समझना. लेकिन किसी भी कारण से यदि कोई भी महिला या पुरुष अपनी बात या भावना को दूसरे व्यक्ति तक अभिव्यक्त नही कर पाता है या बोल कर उन्हे नही बता पाता है या फिर उनसे संवाद में असहजता महसूस करने लगता है, तो यह रिश्ते के लिए खतरे की घंटी है.

पढ़ें: क्यों युवाओं को आकर्षित करता है 'फ्रेंड्स विद बेनिफिट्स' चलन

एक दूसरे के बीच किसी भी माध्यम में संवाद या अभिव्यक्ति में कमी या उसका ना होना रिश्तों में दूरियां पैदा कर देता है. जिसके नतीजे स्वरूप दोनों में झगड़े और असंतोष बढ़ने लगता है. बातों को बहुत लंबे समय तक न कहना, अपनी परेशानी को दूसरे व्यक्ति को न बताना या गलती पर माफी नहीं मिलना जिसके आप हकदार हैं रिश्ते को तो टॉक्सिक बनाते ही हैं साथ ही दोनों लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालते हैं.

रिश्ते में हमेशा तनावग्रस्त महसूस करना

किसी भी रिश्ते में लड़ाई और झगड़ा होना या किसी भी मुद्दे पर विचारों में सहमति ना होना सामान्य बात है, लेकिन अगर हमेशा झगड़ा या बहस, लंबे समय का तनाव देकर खत्म हो तो यह सही संकेत नही है. रिश्ते में समझदारी, संवाद, प्रेम और विश्वास की कमी उस रिश्ते में मौजूद दोनों लोगों के दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव डालती है, जिसका नतीजा उनमें तनाव, अवसाद, गुस्सा, चिड़चिड़ाहट और बैचेनी के रूप में नजर आता है. यदि ऐसा होने लगे तो समझ जाएं की अपने रिश्ते को बचाने के लिए आपको मदद तथा प्रयास दोनों की जरूरत है.

सोशल एंजाइटी

कई बार लोग अपने तनावग्रस्त रिश्तों तथा आपसी समस्याओं के चलते सामाजिक जीवन से दूर भागने लगते हैं. लोगों से मिलना, सामाजिक समारोहों में जाने से बचना, अपना सारा ध्यान अपने साथी की ओर लगाने का प्रयास करना, लेकिन उसके बावजूद भी खुश महसूस ना करना आदि इस बात का संकेत देते हैं कि आपके रिश्तों की परेशानी के चलते आप सोशल एन्जाइटी का भी शिकार हो रहे हैं.

आरती सिंह बताती हैं कि इनके अलावा भी कई बातें होती है जो इस बात का संकेत देती हैं कि आपके रिश्ते में सबकुछ सही नही हैं. ये आपसी समस्याएं आपके रिश्ते या मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर ना डाले इसके लिए जरूरी है कि जैसे ही समस्या होने का एहसास होने लगे तो घर के बड़ों की या प्रोफेशनल मदद लें.

पढ़ें: बीमारी नहीं है होमोसेक्सुअल या बायसेक्सुअल होना

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