अनिन्द्रा को लेकर आयुर्वेद में बताए गए उपचारों के बारें में ज्यादा जानकारी लेने के लिए का ETV भारत सुखीभवा ने एस.ए.एस.ए.एस आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज, आंध्र प्रदेश में सहायक प्रोफेसर तथा एमडी आयुर्वेद , डॉ. एस यास्मीन से बात की ।
मेलाटोनिन की कमी से होते हैं नींद संबंधी विकार
डॉ यास्मीन बताती हैं की नींद संबंधी विकार आमतौर पर मेलाटोनिन हार्मोन में कमी के कारण जो रात में पीनियल ग्रंथि द्वारा स्रावित होता है। यह हार्मोन सोने तथा जागने के चक्र को नियंत्रित करता है। अच्छी गुणवत्ता वाली नींद हमारे सम्पूर्ण स्वास्थ्य के साथ अच्छी याददाश्त और एकाग्रता के लिए भी लिए बहुत जरूरी होती है। नींद की कमी के परिणामस्वरूप लोगों को उच्च रक्तचाप, मोटापा, जठरांत्र संबंधी समस्याएं, समन्वय की कमी, एकाग्रता की कमी आदि जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
अनिद्रा का वर्गीकरण
डॉ. यास्मीन बताते हैं कि अनिद्रा को मोटे तौर पर दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है,
1. प्राथमिक अनिद्रा
इस प्रकार की अनिद्रा किसी भी स्वास्थ्य स्थिति या बीमारियों से संबंधित नहीं होती है बल्कि विशेष पारिसतिथ्यों में उत्पन्न तनाव के कारण यह समस्या हो सकती है। इसके अतिरिक्त शोर, प्रकाश और मौसम जैसे पर्यावरणीय कारक तथा काम पर शिफ्ट में बदलाव और जेट लैग भी नींद को प्रभावित कर सकता है।
2. माध्यमिक अनिद्रा
यहां, अनिद्रा मूल रूप से स्वास्थ्य समस्यायों जैसे अस्थमा, गठिया, कैंसर, उच्च रक्तचाप, रजोनिवृत्ति, नाराज़गी, आदि के कारण हो सकती है। इसके अलावा, दर्द, एलर्जी, नशीले पदार्थ (शराब, तंबाकू, कैफीन) का उपयोग, और कुछ दवाइयाँ भी नींद न आने का कारण बन सकती है। विशेषतौर पर चिंता और अवसाद जैसी मानसिक समस्याएं और स्लीप एपनिया या रेस्टलेस लेग सिंड्रोम जैसे नींद संबंधी विकार नींद न आने या कम आने का कारण बन सकते हैं।
इसके अतिरिक्त , अनिद्रा के तीन अन्य प्रकार भी माने गए हैं। जोकि समस्या की अवधि के आधार पर वर्गीक्रत किए जा सकते हैं। जो इस प्रकार हैं।
• क्षणिक अनिद्रा- यह अवस्था एक रात से लेकर एक सप्ताह तक बनी रह सकती है। आमतौर पर ऐसा यात्रा करने या नए अथवा बदले हुए वातावरण में सोने के चलते सामान्य नींद के पैटर्न में बदलाव के कारण हो सकता है।
• अल्पकालिक अनिद्रा- यह अवस्थअ 2 से 3 सप्ताह तक रह सकती है और आमतौर पर तनाव या चिंता जैसे भावनात्मक कारकों के कारण होती है।
• पुरानी अनिद्रा- पुरानी अनिद्रा की समस्या में यह स्थिति एक महीने या उससे अधिक समय तक बनी रह सकती है।
अनिन्द्रा के लक्षण
डॉ यासमीन बताती है की अनिन्द्रा के लक्षण निम्नलिखित हैं:
•उबासी लेना
• तंद्रा
• बेचैनी/असुविधा
• थकान और सुस्ती
•सरदर्द
• ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता
• विस्मृति
• खराब संवेदी धारणा
•खट्टी डकार
•कब्ज़
•वजन घटना
अनिन्द्रा में कैसे आयुर्वेद कर सकता है मदद
डॉ यासमीन बताती हैं की आयुर्वेद में अनिद्रा को दूर करने के कई उपायो, प्रक्रियायों और जड़ी-बूटियों की मदद ली जा सकती है। जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं।
- प्रक्रियायें
• अभ्यंग (तेल से शरीर की मालिश)
• चक्षु तर्पण (औषधीय तेल से आंखों को भिगोना)
• शिरो लेपम (सिर के लिए हर्बल पेस्ट उपचार)
• मुख लेपम (चेहरे के लिए हर्बल पेस्ट उपचार)
• शिरोधारा (माथे पर औषधीय तेल डालना)
• शिरोबस्ती (औषधीय तेलों को सिर के चारों ओर एक टोपी में डालना और इसे कुछ समय तक खड़े रहने देना)
• पाद अभ्यास (तेल से पैरों की मालिश)
- उपाय
रात को आधे गिलास दूध में 10-20 मि.ली. अरंडी के तेल डाल कर इसका सेवन करना चाहिए।
- उपचार
- जड़ी-बूटियां : ऐसी कई जड़ी-बूटियां हैं जो 7-14 दिनों के भीतर अनिद्रा की समस्या को दूर करने में सहायक हो सकती हैं। जैसे अश्वगंधा, जटामांसी, ब्राह्मी, मंडुकपर्णी, मम्स्यादि क्वाथा, सर्पगंधादि वटी आदि।
- मानसिक उपचार: मानसिक उपचार मन को शांत करता है । इस कार्य में अच्छी गंध, ध्वनि या सुखद स्पर्श, सकारात्मक विचार और संतुष्टि की भावना रखना काफी मददगार हो सकते हैं। इसके अलावा, योग और ध्यान तनाव को कम करने में भी मदद कर सकते हैं, जो अनिद्रा का एक प्रमुख कारण है।
डॉ यास्मीन बताती हैं की बहुत जरूरी है की इन उपचारों या किसी भी तरह के अन्य उपचारो को अपनाने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह अवश्य ली जाय।