कोरोनावायरस के चलते अनिश्चितता, डर और तनाव में बीते पिछले 1 साल के उपरांत कोविड-19 का टीका आने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है। एक ओर जहां दुनिया भर में कई देश कोरोना को लेकर सबसे असरदार टीके बनाने का दावा कर रहे हैं, भारत में निर्मित वैक्सीन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त हो चुकी है, यही नहीं भारतीय चिकित्सा वैज्ञानिक ना सिर्फ अपने देशवासियों के लिए कोविड-19 वैक्सीन का निर्माण और वितरण कर रहे हैं बल्कि जरूरतमंद बाहरी देशों में भी उसका निर्यात कर रहे हैं। ETV भारत सुखीभवा अपने पाठकों को शुरुआत से ही कोरोनावायरस तथा टीकाकरण से जुड़े विभिन्न मुद्दों के बारे में अपने लेखों के माध्यम से जागरूक करने का प्रयास करता रहा है। इसी श्रंखला में भारत में टीकाकरण की स्थिति तथा विभिन्न देशों में चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान में अग्रणी देशों को लेकर यह विशेष रिपोर्ट हम अपने पाठकों के साथ सांझा कर रहे हैं।
टीकाकरण अभियान में दूसरे स्थान पर भारत
हमारे देश में टीकाकरण अभियान की शुरुआत जल्द से जल्द सभी लोगों को कोरोनावायरस का टीका लगाने के उद्देश्य के साथ हुई थी। लेकिन अलग-अलग राज्यों की परिस्थितियों के चलते सभी जगह टीकाकरण अभियानों की गति एक समान नहीं है। यह तो सभी जानते हैं कि कोरोनावायरस से छुटकारा पाने के लिए टीके को 1 महीने के अंतराल पर दो बार लगवाया जाना जरूरी है। हमारे देश में दो तरह के टीके इस समय लगाए जा रहे हैं, जिनमें से एक भारत बायोटेक का कोवैक्सिन तथा दूसरा टीका एस्ट्राजेनेका का कोविशील्ड है। इन दोनों टीको को कम से कम 28 दिन के अंतराल पर दो बार लगवाया जाना जरूरी है।
भारत में कोविड-19 को लेकर टीकाकरण अभियान की शुरुआत 16 जनवरी 2021 को हुई थी। जिसमें सर्वप्रथम उन स्वास्थ्य कर्मियों को टीका लगाया गया था, जो कि कोरोनावायरस से पीड़ित मरीजों की तिमाददारी में लगे थे और जिनके संक्रमित होने का खतरा काफी ज्यादा था। इसके उपरांत मार्च में 45 वर्ष से ज्यादा ऐसे लोग जो कोमोरबिटी संबंधी रोगों से पीड़ित थे तथा ऐसे लोग जिनकी उम्र 60 साल से ज्यादा थी, को टीका लगाए जाने की प्रक्रिया की शुरुआत की गई।
जॉन हापकिंस यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के अनुसार 19 मार्च 2021 तक 69,13,587 भारतीयों यानी भारतीय जनसंख्या के 0.51 प्रतिशत लोग दो बार टीका लेकर टीकाकरण की प्रक्रिया पूरी कर चुके हैं। दुनिया भर में टीकाकरण अभियान के तहत सर्वाधिक लोगों को टीका लगाए जाने वाले 20 देशों की सूची में भारत दूसरे स्थान पर है, जहां बड़ी संख्या में लोगों का टीकाकरण हो चुका है। इस सूची में सबसे पहला नाम यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका का है, जहां लगभग 3.90 करोड से अधिक लोगों का पूरी तरह से टीकाकरण किया जा चुका है, जो कि वहां की कुल जनसंख्या का 11.94 प्रतिशत है। यूएसए में टीकाकरण में इस्तेमाल की जा रही वैक्सीन फाइजर बायोनटेक, मॉडर्ना तथा जॉनसन एंड जॉनसन हैं। इसके अलावा दो और वैक्सीन है, जिन्हें अभी तक इस्तेमाल में लाने की अनुमति नहीं मिली है।
सबसे ज्यादा लोगों को टीका लगाए जाने की सूची में भारत के बाद इजरायल देश का नंबर आता है, जहां लगभग 44,80,810 लोगों का पूर्ण टीकाकरण किया जा चुका है, जो कि इजरायल की कुल जनसंख्या का लगभग आधा ( 50.43) प्रतिशत है। इजरायल में भी टीकाकरण के लिए सबसे ज्यादा फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन का इस्तेमाल किया गया है।
सबसे अधिक जनसंख्या टीकाकरण वाले देशों की सूची
दुनिया भर में चल रहे टीकाकरण अभियान में सबसे ज्यादा सफल 20 देशों की सूची तथा वहां टीकाकरण का लाभ ले चुके लोगों की संख्या इस प्रकार हैं;
इसके सूची के अलावा छोटे और बड़े सभी देशों में कुल जनसंख्या में सबसे ज्यादा लोगों को लगाए गए टीको के आधार पर विभिन्न देशों की सूची के बारे में बात करें तो, इस श्रेणी में इजराइल नंबर एक पर आता है, क्योंकि उनकी लगभग 51% जनसंख्या को टीका लग चुका है। इसके अलावा सेशेल्स में 29% के साथ दूसरे स्थान पर, मोनाको में 19% के साथ तीसरे स्थान पर, चिली व बहरीन में 15-15% के साथ चौथे स्थान पर तथा यूनाइटेड स्टेट्स 13% के साथ पांचवे स्थान पर आता है।
टीकों के पार्श्व प्रभाव
यूं तो टीकाकरण के उपयोग में आ रही दवाइयों की कुछ ना कुछ पार्श्व प्रभाव लोगों पर नजर आ रहे हैं, जैसे बुखार तथा शरीर में दर्द जो कि बेहद सामान्य है। लेकिन हाल ही में यूरोप सहित कुछ अन्य देशों ने ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका की टीके के उपयोग पर पाबंदी लगाई है, क्योंकि उसके इस्तेमाल से लोगों में खून के थक्के जमने जैसी समस्याएं सामने आ रहे थे। इस टीके पर पाबंदी लगाने वाले देशों में जर्मनी, इटली, फ्रांस, स्पेन, स्वीडन तथा लात्विया शामिल है। हालांकि इस संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ ने ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका टीके को लेकर किए गए इन देशों के दावों को खारिज किया है और इस वैक्सीन को सुरक्षित बताया है।
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लगभग सभी देशों में वैक्सीन लगाए जाने का कार्य शुरू हो चुका है, साथ ही कई देश अभी भी बेहतर असरदार तथा अलग-अलग प्रकार की वैक्सीन बनाए जाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। जिसका एक उदाहरण नेजल वैक्सीन भी है।