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कोविड -19 के कारण एचआईवी के मामलों में हो रही बढ़त, एड्स से संबंधित मौतों में हो सकती है बढ़ोतरी

एचआईवी / एड्स पर संयुक्त राष्ट्र की आई है, जिसमे कहा गया हैं की आने वाले समय में दुनिया भर के एड्स आंकड़ो में बढ़ोतरी की संभावना है, खास कर कोरोना महामारी के दौर में जब संक्रमण का खतरा बढ़ा हुआ है. वहीं विश्व को एकजुट हो कर इससे लड़ने और खत्म करने पर बल दिया है.

UN warns in increasing cases of HIV
एचआईवी के बढ़ते मामलों में यूएन ने दी चेतावनी
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Published : Dec 1, 2020, 6:03 PM IST

मंगलवार को विश्व एड्स दिवस पर, संयुक्त राष्ट्र के एचआईवी / एड्स पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम की एक ताजा रिपोर्ट में चेतावनी दी है. उस रिपोर्ट में कहा गया है कि चल रहे कोविड-19 महामारी के कारण आने वाले दो साल में 1 लाख 23 हजार से बढ़कर 2 लाख 93 हजार नए एचआईवी मामले सामने आ सकते हैं. वहीं एड्स से होने वाली मौतें 69 हजार से बढ़कर 1 लाख 48 हजार तक हो सकती हैं.

UNAIDS ने चेतावनी दी है कि, महामारी से पहले भी वैश्विक एड्स से होने वाली मौत अधिक थी. 90 के दशक में जो लक्ष्य सालों पहले निर्धारित हुए थे, उसमें से एचआईवी केस में तीन गुना की बढ़ोतरी हुई है. एचआईवी के साथ रहने वाले 90 प्रतिशत लोग अपनी एचआईवी स्थिति जानते हैं, और 90 प्रतिशत जो जानते हैं कि उनका इलाज चल रहा है. हालांकि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण एचआईवी के मामलों में भी बढ़त देखी गई है.

संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनेबल डेवलपमेंट लक्ष्यों (UNSDGs) के तहत 2030 तक एड्स को खत्म करने के लिए और दुनिया को पटरी पर लाने के लिए, UNAIDS ने देशों से वैश्विक महामारी प्रतिक्रियाओं में एचआईवी और उससे जुड़ी बिमारियों के बारे में जानते हैं.

UNAIDS के कार्यकारी निदेशक विनी बयानीमा बताते हैं कि, अफ्रेीका जैसे देश जहां एचआईवी प्रतिक्रियाओं में सामूहिक रूप से निवेश करने में असफल रही है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक रुप से ना तो कोरोनोवायरस पर जीत पाई जा सकती है और ना ही एड्स का अंत हो सकता है. वैश्विक महामारी को पटरी पर लाने के लिए पहले लोगों को असमानताओं से निपटने की आवश्यकता होगी, जिस पर महामारी पनप रही है.

रिपोर्ट में एड्स की प्रतिक्रिया को सही दिशा में लाने के लिए 2025 के लिए नए लक्ष्यों के निर्धारण की भी बात कही गयी है. UNAIDS ने कहा कि लोगों के आधार पर काम करना चाहिए. विशेषकर ऐसे लोग जिन्हें अधिक खतरा रहता है. इसमें नाबालिग, प्रेग्नेंट य स्तनपान कराने वाली महिलाएं, आदि को केंद्र में रखकर इन लक्ष्यों को निर्धारित किया जाना है. 2025 के लक्ष्यों में महत्वाकांक्षी भेदभाव-विरोधी लक्ष्य भी शामिल हैं, जैसे कि 10 प्रतिशत से कम देशों में दंडात्मक कानून और नीतियां हैं, वहां एचआईवी के कम केस हैं.

कोविड -19 महामारी के साथ सामना करते हुए, यूएनएड्स प्रमुख ने कहा कि एचआईवी की गलतियों से सीखें, जिससे वैश्विक महामारी से जल्द लड़ा जा सकें. वहीं कोरोना महामारी से कोई भी देश अकेले अपने दम पर नहीं लड़ सकता है. उन्होंने कहा कि इस चुनौती को केवल वैश्विक एकजुटता को बनाए रखने, एक साझा जिम्मेदारी को स्वीकार करने और एक प्रतिक्रिया को जुटाने से पराजित किया जा सकता है, जो किसी को पीछे नहीं छोड़ता.

UNAIDS के अनुसार, साल 2019 में एड्स से संबंधित बीमारियों से 1.7 मिलियन नए एचआईवी संक्रमण और 6लाख 90 हजार मौतें हुई थी. वहीं विश्व स्तर पर, 38 मिलियन लोग एचआईवी के साथ जी रहे हैं, 12 मिलियन से अधिक लोग जीवन रक्षक एचआईवी इलाज की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

मंगलवार को विश्व एड्स दिवस पर, संयुक्त राष्ट्र के एचआईवी / एड्स पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम की एक ताजा रिपोर्ट में चेतावनी दी है. उस रिपोर्ट में कहा गया है कि चल रहे कोविड-19 महामारी के कारण आने वाले दो साल में 1 लाख 23 हजार से बढ़कर 2 लाख 93 हजार नए एचआईवी मामले सामने आ सकते हैं. वहीं एड्स से होने वाली मौतें 69 हजार से बढ़कर 1 लाख 48 हजार तक हो सकती हैं.

UNAIDS ने चेतावनी दी है कि, महामारी से पहले भी वैश्विक एड्स से होने वाली मौत अधिक थी. 90 के दशक में जो लक्ष्य सालों पहले निर्धारित हुए थे, उसमें से एचआईवी केस में तीन गुना की बढ़ोतरी हुई है. एचआईवी के साथ रहने वाले 90 प्रतिशत लोग अपनी एचआईवी स्थिति जानते हैं, और 90 प्रतिशत जो जानते हैं कि उनका इलाज चल रहा है. हालांकि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण एचआईवी के मामलों में भी बढ़त देखी गई है.

संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनेबल डेवलपमेंट लक्ष्यों (UNSDGs) के तहत 2030 तक एड्स को खत्म करने के लिए और दुनिया को पटरी पर लाने के लिए, UNAIDS ने देशों से वैश्विक महामारी प्रतिक्रियाओं में एचआईवी और उससे जुड़ी बिमारियों के बारे में जानते हैं.

UNAIDS के कार्यकारी निदेशक विनी बयानीमा बताते हैं कि, अफ्रेीका जैसे देश जहां एचआईवी प्रतिक्रियाओं में सामूहिक रूप से निवेश करने में असफल रही है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक रुप से ना तो कोरोनोवायरस पर जीत पाई जा सकती है और ना ही एड्स का अंत हो सकता है. वैश्विक महामारी को पटरी पर लाने के लिए पहले लोगों को असमानताओं से निपटने की आवश्यकता होगी, जिस पर महामारी पनप रही है.

रिपोर्ट में एड्स की प्रतिक्रिया को सही दिशा में लाने के लिए 2025 के लिए नए लक्ष्यों के निर्धारण की भी बात कही गयी है. UNAIDS ने कहा कि लोगों के आधार पर काम करना चाहिए. विशेषकर ऐसे लोग जिन्हें अधिक खतरा रहता है. इसमें नाबालिग, प्रेग्नेंट य स्तनपान कराने वाली महिलाएं, आदि को केंद्र में रखकर इन लक्ष्यों को निर्धारित किया जाना है. 2025 के लक्ष्यों में महत्वाकांक्षी भेदभाव-विरोधी लक्ष्य भी शामिल हैं, जैसे कि 10 प्रतिशत से कम देशों में दंडात्मक कानून और नीतियां हैं, वहां एचआईवी के कम केस हैं.

कोविड -19 महामारी के साथ सामना करते हुए, यूएनएड्स प्रमुख ने कहा कि एचआईवी की गलतियों से सीखें, जिससे वैश्विक महामारी से जल्द लड़ा जा सकें. वहीं कोरोना महामारी से कोई भी देश अकेले अपने दम पर नहीं लड़ सकता है. उन्होंने कहा कि इस चुनौती को केवल वैश्विक एकजुटता को बनाए रखने, एक साझा जिम्मेदारी को स्वीकार करने और एक प्रतिक्रिया को जुटाने से पराजित किया जा सकता है, जो किसी को पीछे नहीं छोड़ता.

UNAIDS के अनुसार, साल 2019 में एड्स से संबंधित बीमारियों से 1.7 मिलियन नए एचआईवी संक्रमण और 6लाख 90 हजार मौतें हुई थी. वहीं विश्व स्तर पर, 38 मिलियन लोग एचआईवी के साथ जी रहे हैं, 12 मिलियन से अधिक लोग जीवन रक्षक एचआईवी इलाज की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

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