पिछले कुछ समय से पूरी दुनिया कोरोनावायरस जैसी भयानक महामारी का सामना कर रही है. ऐसा नहीं है कि कोविड-19 अब तक का सबसे घातक वायरस है, लेकिन इसकी अत्यधिक संक्रामक प्रकृति के कारण इसने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है. इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान पहुंचा है. कुछ देशों को तो अन्य देशों की तुलना में अधिक नुकसान पहुंचा है, लेकिन कोई भी देश महामारी के प्रभाव से अछूता नहीं है और शून्य प्रभाव का दावा तो किया ही नहीं जा सकता.
बहरहाल, कोविड-19 महामारी अभी भी सभी देशों में लोगों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा बना हुआ है. चीन लगातार यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है कि विकासशील देशों के पास उपयुक्त, सुरक्षित और प्रभावी टीकों की समान और आसान पहुंच हो. चीन ने टीकों को विकसित और वितरित करने का वादा किया है और अपने द्वारा विकसित किये जा रहे टीकों को सार्वजनिक उत्पाद करार दिया है, ताकि विकासशील देशों को प्राथमिकता के आधार पर टीके मुहैया करवाये जा सकें.
कोरोना के टीकों के निर्माण और वितरण के लिए वैश्विक सहयोग कोवाक्स के साथ जुड़कर, चीन विशेष रूप से विकासशील और अविकसित देशों में टीकों की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए एक ठोस कदम उठा रहा है. चीन सभी की सुरक्षा और स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए महामारी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में अपना उचित योगदान देने के लिए सभी पक्षों के साथ काम करना जारी रखेगा.
वास्तव में, चीन ने महामारी के खिलाफ अपनी जंग जीत ली है और सामान्य जीवन फिर से शुरू कर दिया है. जाहिर है, चीन ने कोविड-19 को हराने के लिए कड़े कदम उठाए और ऐसा करने के लिए सभी संभव उपलब्ध संसाधनों का उपयोग किया. अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति, अथक प्रयासों और प्रभावी नीतिगत उपायों के कारण आज चीन खतरे से बाहर आ गया है. अब चीन महामारी को दूर करने के लिए अन्य देशों की मदद कर रहा है. इस समय पूरी दुनिया के लिए चीनी अनुभव आवश्यक हो गया है.
चीन ने अपने पूरे इतिहास में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. यह अविकसित दुनिया का हिस्सा होने और विकसित होने का दर्द जानता है. यह महामारी से मानवता की रक्षा करने और बहुपक्षीयता को बनाए रखने में अपना उचित योगदान देने को तैयार है. कोवाक्स में शामिल होकर, चीन ने अपनी वैश्विक जिम्मेदारी को साझा करने के इरादे व्यक्त किए हैं.