कोरोना के शुरुआती दौर से ही संक्रमण से बचाव में आयुर्वेद को काफी प्रभावी माना जा रहा है. कोविड़ 19 के शुरुआती दौर में देश और दुनिया में आयुर्वेदिक काढ़ों तथा औषधियों को लेकर लोगों में काफी रुझान देखा गया था. जिनका उपयोग काफी फायदेमंद भी साबित हुआ था. अब जब यह महामारी एक बार फिर से रफ्तार पकड़ रही है, लोगों में फिर से आयुर्वेदिक पद्दतीयों व औषधियों को लेकर दिलचस्पी बढ़ने लगी हैं. कोविड़ 19 के विभिन्न वेरिएंट या किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचाव को लेकर आयुर्वेद किस तरह से प्रभावी होता है इस बारे में ज्यादा जानकारी लेने के लिए ETV भारत सुखीभवा ने दिल्ली की आयुर्वेदिक चिकित्सक (बीएएमएस) डॉ मीना राजवंशी से बात की.
शरीर को अंदर से मजबूत बनाने को प्राथमिकता देता है आयुर्वेद
डॉ मीना राजवंशी बताती हैं कि आयुर्वेद का मूल सिद्धांत ही शरीर को अंदर से मजबूत बनाना है. वह बताती हैं कि आयुर्वेद का उद्देश्य सिर्फ रोगों को दूर करना ही नहीं बल्कि किसी भी प्रकार के रोग को ना होने देने के लिए शरीर को मजबूत बनाना तथा रखना भी है. इसीलिए इसमें रसायन चिकित्सा के अलावा खानपान तथा सही जीवन शैली को भी महत्व दिया जाता है. इसके अलावा आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही कुछ ऐसी जड़ीबूटियों के नियमित उपयोग की सलाह भी दी जाती रही है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने का कार्य करती हैं. जिसके लिए आहार में कुछ विशेष प्रकार के मसालों, कुछ विशेष प्रकार के तेलों के बाहरी इस्तेमाल तथा गरम पानी के गरारे व भाप को भी अपने रोजमर्रा के जीवन में अपनाने की सलाह दी जाती है.
डॉ मीना बताती हैं कि वर्तमान समय में जब कोरोना का प्रकोप एक बार फिर से ही हावी होने लग रहा है तो ऐसे में बहुत जरूरी है कि सामान्य सुरक्षा मानकों के साथ-साथ लोग अपने आहार तथा व्यवहार को इतना मजबूत बनाएं जिससे उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर हो. इसके लिए कुछ सामान्य आहार संबंधी व अन्य आदतों को अपनी नियमित दिनचर्या में अपनाना फायदेमंद हो सकता है जैसे नियमित समय पर स्वस्थ व संतुलित आहार का सेवन, दिन भर थोड़े-थोड़े अंतराल पर गर्म पानी पीते रहना, खाने में हल्दी, काली मिर्च, लौंग, दालचीनी, बड़ी इलायची और लहसुन जैसे मसालों का उपयोग नियमित तौर पर करना, प्रतिदिन तुलसी, दालचीनी, कालीमिर्च और अदरक का काढा या चाय पीना, मुनक्का तथा गुड़ का नियमित सेवन तथा सोने से पहले हल्दी वाले गर्म दूध का सेवन,प्रतिदिन गरम दूध के साथ च्यवनप्राश का सेवन, प्रतिदिन गरम पानी के गरारे करना तथा भांप लेना आदि.
तेलों से जुड़े उपचार भी होते हैं फायदेमंद
डॉ मीना बताती है कि सिर्फ आहार या औषधि से ही नहीं बल्कि आयुर्वेद में विभिन्न प्रकार की तेल से जुड़ी उपचार प्रक्रियाओं के माध्यम से भी संक्रमण को दूर रखने की बात कही जाती है. जैसे यदि दिन में दो समय यानी सुबह और शाम नाक में तिल का तेल, नारियल का तेल या घी लगाया जाए तो नाक के माध्यम से संक्रमण के कणों को प्रवेश करने से रोका जा सकता है.
इसके अलावा ऑयल पुलिंग का नियमित उपयोग भी काफी प्रभावी माना जाता है. जिसके चलते एक चम्मच तिल या नारियल के तेल को मुंह में डालकर 2 से 3 मिनट तक कुल्ला करना होता है. इसके उपरांत गर्म पानी से कुल्ला करके मुंह को साफ कर देना चाहिए. ऐसा करने से मुंह में मौजूद किसी भी प्रकार के संक्रमण के कण, बैक्टीरिया या अन्य हानिकारक तत्व मुंह से बाहर निकल जाते हैं.
प्राणायाम जरूरी
डॉ मीना बताती है कि आयुर्वेद में आहार व औषधि के साथ सही जीवन शैली को भी बहुत महत्व दिया जाता है, इसलिए नियमित योग या व्यायाम करने की सलाह दी जाती है. विशेष प्रकार से कोविड़ 19 या उससे जुड़े अन्य संक्रमणों की बात की जाए जो फफड़ों को ज्यादा प्रभावित करते हैं , प्राणायाम का नियमित अभ्यास काफी फायदेमंद हो सकता है. नियमित रूप से प्राणायाम के विभिन्न प्रकारों का अभ्यास तथा अन्य प्रकार के योग आसन करने से हमारी श्वास तंत्रिका, फेफड़े तथा ह्रदय स्वस्थ रहती है तथा बेहतर तरीके से कार्य करते हैं. इसके साथ ही योग हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता हैं.
चिकित्सक से सलाह जरूरी
डॉ मीना राजवंशी बताती हैं कि यह सभी बचाव के तरीके हैं लेकिन संक्रमण के लक्षण नजर आने पर तत्काल चिकित्सक से परामर्श तथा उसके उपरांत जांच तथा उपचार बहुत जरूरी होता है. इसके अलावा नियमित मास्क का उपयोग, हाथों की साफ सफाई तथा अन्य सुरक्षा मानकों को अपनाया जाना भी संक्रमण से बचाव के लिए बहुत जरूरी है.