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शारीरिक विकास के हर स्तर में जरूरी है सेक्स हॉर्मोन टेस्टोइस्टेरॉन

पुरुषों के शारीरिक विकास के लिए टेस्टेइस्टेरॉन हार्मोन जिम्मेदार होता है. यह उनके उम्र के हर पड़ाव पर प्रभाव डालता है. पुरुष अंडकोश में उत्पादन होने वाला टेस्टेइस्टेरॉन उनकी यौन स्वास्थ्य, तनाव, भावनात्मक समस्या और बालों के झड़ने को भी प्रभावित करता है.

sex testosterone
सेक्स टेस्टोइस्टेरॉन
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Published : Aug 2, 2020, 9:01 AM IST

Updated : Aug 3, 2020, 11:24 AM IST

सेक्स हार्मोन के नाम से जाना जाने वाला टेस्टेइस्टेरॉन पुरुष शरीर के विकास में अहम भुमिका निभाता है. दाढ़ी मूंछें उगने से लेकर यौन स्वास्थ्य तक, सभी इस हार्मोन पर निर्भर करते हैं. यहीं नहीं यदि किसी वजह से शरीर में टेस्टोइस्टेरॉन की मात्रा कुछ कम या ज्यादा हो जाएं तो उसके शरीर पर काफी नकारात्मक असर दिखने लगते है. आखिर टेस्टोइस्टेरॉन किस तरह से काम करता है. इस बारे में ETV भारत सुखीभवा की टीम ने एंडरोलॉजिस्ट डॉ. राहुल रेड्डी से बात की.

शारीरिक विकास में योगदान

डॉ. रेड्डी बताते हैं कि टेस्टोइस्टेरॉन पुरुष शरीर में उम्र के हर स्तर पर होने वाले शारीरिक विकास में अहम भूमिका निभाता है. हड्डियों में मजबूती, शारीरिक सौष्ठव या मांसपेशियों का निर्माण, सिर, चेहरे व शरीर के बाकी अंगों पर बालों का उगना, शरीर में रक्त कोशिकाओं का निर्माण तथा क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत काफी हद तक टेस्टोइस्टेरॉन पर ही निर्भर करता है.

कैसे काम करता है टेस्टोइस्टेरॉन

डॉ. रेड्डी बताते हैं कि टेस्टोइस्टेरॉन हार्मोन का उत्पादन पुरुष अंडकोश में होता है. यह हार्मोन पुरुषों में स्पर्म उत्पादन तथा कामेच्छा बढ़ाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है. ऐसे में यदि पुरुषों में टेस्टोइस्टेरॉन की कमी होने लगे तो उनमें कामेच्छा में कमी, नपुंसकता, क्रोध व तनाव सहित बहुत सी भावनात्मक समस्याएं, हद से ज्यादा थकान और बालों के झड़ने जैसी समस्याएं देखने में आती है. यही नहीं इस हार्मोन की कमी से कोलेस्ट्रोल बढ़ने, हृदयघात, याद्दाश्त में कमी, मसल डिस्ट्रोफी यानि मांसपेशी दुर्विकास तथा मोटापा जैसी समस्याओं को भी उन्हें सामना करना पड़ता है.

डॉ. रेड्डी बताते हैं कि साधारण तौर पर पुरुष के इसकी आदर्श मात्रा 2.8-8 नैनोग्रान प्रति डेसीलीटर मानी जाती है. हालांकि यह उम्र पर आधारित होती है. उदाहरण के लिए 18 साल के लड़के का टेस्टोइस्टेरॉन स्तर 7-8 नैनोग्राम प्रति डेसीलीटर होगा. वहीं 60 साल के बुजुर्ग में यही स्तर 2.8 नैनोग्राम प्रति डेसीलीटर होगा. 25 से 45 वर्ष की उम्र वाले पुरुषों में इसका स्तर 4-6 नैनोग्राम प्रति डेसीलीटर होगा. किशोरावस्था तथा युवावस्था में यह हार्मोन तेजी से बढ़ता है, लेकिन बढ़ती उम्र के साथ हार्मोन स्तर में गिरावट आने लगती है.

डॉ. रेड्डी बताते हैं कि मनुष्य के दिमागी विकास पर भी इसका खासा असर पड़ता है. अच्छे हार्मोनल स्तर वाले व्यक्ति का दिमाग और उसकी याद्दाश्त काफी तेज होती है. शरीर में टेस्टोइस्टेरॉन का घटता स्तर पुरुषों का मानसिक क्षमताओं व याद्दाश्त पर काफी असर डालता है.

सेक्स हार्मोन के नाम से जाना जाने वाला टेस्टेइस्टेरॉन पुरुष शरीर के विकास में अहम भुमिका निभाता है. दाढ़ी मूंछें उगने से लेकर यौन स्वास्थ्य तक, सभी इस हार्मोन पर निर्भर करते हैं. यहीं नहीं यदि किसी वजह से शरीर में टेस्टोइस्टेरॉन की मात्रा कुछ कम या ज्यादा हो जाएं तो उसके शरीर पर काफी नकारात्मक असर दिखने लगते है. आखिर टेस्टोइस्टेरॉन किस तरह से काम करता है. इस बारे में ETV भारत सुखीभवा की टीम ने एंडरोलॉजिस्ट डॉ. राहुल रेड्डी से बात की.

शारीरिक विकास में योगदान

डॉ. रेड्डी बताते हैं कि टेस्टोइस्टेरॉन पुरुष शरीर में उम्र के हर स्तर पर होने वाले शारीरिक विकास में अहम भूमिका निभाता है. हड्डियों में मजबूती, शारीरिक सौष्ठव या मांसपेशियों का निर्माण, सिर, चेहरे व शरीर के बाकी अंगों पर बालों का उगना, शरीर में रक्त कोशिकाओं का निर्माण तथा क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत काफी हद तक टेस्टोइस्टेरॉन पर ही निर्भर करता है.

कैसे काम करता है टेस्टोइस्टेरॉन

डॉ. रेड्डी बताते हैं कि टेस्टोइस्टेरॉन हार्मोन का उत्पादन पुरुष अंडकोश में होता है. यह हार्मोन पुरुषों में स्पर्म उत्पादन तथा कामेच्छा बढ़ाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है. ऐसे में यदि पुरुषों में टेस्टोइस्टेरॉन की कमी होने लगे तो उनमें कामेच्छा में कमी, नपुंसकता, क्रोध व तनाव सहित बहुत सी भावनात्मक समस्याएं, हद से ज्यादा थकान और बालों के झड़ने जैसी समस्याएं देखने में आती है. यही नहीं इस हार्मोन की कमी से कोलेस्ट्रोल बढ़ने, हृदयघात, याद्दाश्त में कमी, मसल डिस्ट्रोफी यानि मांसपेशी दुर्विकास तथा मोटापा जैसी समस्याओं को भी उन्हें सामना करना पड़ता है.

डॉ. रेड्डी बताते हैं कि साधारण तौर पर पुरुष के इसकी आदर्श मात्रा 2.8-8 नैनोग्रान प्रति डेसीलीटर मानी जाती है. हालांकि यह उम्र पर आधारित होती है. उदाहरण के लिए 18 साल के लड़के का टेस्टोइस्टेरॉन स्तर 7-8 नैनोग्राम प्रति डेसीलीटर होगा. वहीं 60 साल के बुजुर्ग में यही स्तर 2.8 नैनोग्राम प्रति डेसीलीटर होगा. 25 से 45 वर्ष की उम्र वाले पुरुषों में इसका स्तर 4-6 नैनोग्राम प्रति डेसीलीटर होगा. किशोरावस्था तथा युवावस्था में यह हार्मोन तेजी से बढ़ता है, लेकिन बढ़ती उम्र के साथ हार्मोन स्तर में गिरावट आने लगती है.

डॉ. रेड्डी बताते हैं कि मनुष्य के दिमागी विकास पर भी इसका खासा असर पड़ता है. अच्छे हार्मोनल स्तर वाले व्यक्ति का दिमाग और उसकी याद्दाश्त काफी तेज होती है. शरीर में टेस्टोइस्टेरॉन का घटता स्तर पुरुषों का मानसिक क्षमताओं व याद्दाश्त पर काफी असर डालता है.

Last Updated : Aug 3, 2020, 11:24 AM IST
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