दवाएं चाहे किसी भी प्रकार की चिकित्सा पद्धति से जुड़ी हों, उनके बेहतर परिणामों के लिए उनके साथ कुछ बातों के परहेज की बात कही ही जाती है. होम्योपैथी को आमतौर पर सामान्य ही नही जटिल रोगों के इलाज के लिए भी काफी कारगर पद्धति माना जाता है लेकिन जब बात होम्योपैथी (Homeopathic medicines) की आती है तो इसमें परहेज के साथ कुछ नियमों तथा सावधानियों का पालन करना सफल इलाज की सबसे बड़ी जरूरत माना जाता है.
गौरतलब है कि होम्योपैथी पद्धति प्रकृति (Homeopathy system) पर आधारित है जो “विषस्य विषमौषधम” सिद्धांत पर कार्य करती है. जिसके अनुसार विष को ही विष की औषधि माना जाता है. इस पद्धति में जिन तत्वों के ज्यादा मात्रा में सेवन से शरीर में समस्या उत्पन्न होती है उन्हीं से तथा उसी प्रकार की प्रकृति वाले तत्वों से रोग या समस्या के निवारण का प्रयास किया जाता है. जिसके लिए पेड़-पौधों, खनिजों और धातुओं के अर्क या टिंचर के अलावा प्रकृति से मिलने वाले तत्वों से दवाओं को तैयार किया जाता है.
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सुरक्षित है होम्योपैथी : इस विधा के जानकार बताते हैं कि इस पद्धति में रोग या समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए प्रयास किया जाता है. नए, पुराने, जटिल तथा सामान्य लगभग सभी प्रकार के रोगों व समस्याओं में होम्योपैथी चिकित्सा को काफी कारगर माना जाता है. इसे बच्चों, बड़ों व बुजुर्गों, हर उम्र के महिलाओं व पुरुषों के लिए सुरक्षित चिकित्सा पद्धति माना जाता है. यहां तक कि गर्भवती और स्तनपान करने वाली महिलाओं के लिए भी इसे पूरी तरह से सुरक्षित माना जाता है. वहीं इसके किसी प्रकार के पार्श्व प्रभाव (Homeopathy effect) भी देखने सुनने में नही आते हैं.
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जरूरी हैं सावधानियों व नियमों का पालन : दिल्ली के कंसल्टेंट होम्योपैथी फिजिशियन डॉ आर आर सिंह (Dr. R R Singh Homeopathy Physician Delhi) बताते हैं कि होम्योपैथिक दवाओं में मीठी गोलियों या उनसे बने पाउडर पर बहुत ही नियंत्रित मात्रा में अर्कों तथा दवाओं का इस्तेमाल करके दवाएं तैयार की जाती हैं. वहीं कई बार यह दवाएं लिक्विड भी होती हैं. लेकिन इन दवाओं के सेवन के दौरान मरीज को जीवनशैली व आहार शैली से जुड़ी तथा कुछ अन्य प्रकार की सावधानियों की बरतने की हिदायत दी जाती है. ऐसा ना करने पर दवा का असर नही होता है या अपेक्षाकृत काफी कम होता है. वह बताते हैं कि दवाओं के सेवन के साथ परहेज इस चिकित्सा पद्धति के सबसे जरूरी नियमों में से एक है. इसलिए बहुत जरूरी होता है कि इन दवाइयों के सेवन की शुरुआत करने से पहले चिकित्सक से जरूरी परहेज तथा सावधानियों के बारे में पूरी जानकारी ले ली जाय, अन्यथा दवाएं लेने के बावजूद उनका असर नहीं होगा.
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सावधानियां (Precautions)
- वह बताते हैं कि इसके अलावा भी बहुत सी बातें हैं जिनका होम्योपैथिक दवाओं के सेवन के दौरान ध्यान रखने की जरूरत होती हैं. जिनमें से कुछ इस प्रकार है.
- होम्योपैथिक दवाओं को हमेशा सामान्य तापमान में रखना चाहिए. यानी ना ज्यादा ठंडे और ना ही ज्यादा गर्म तापमान में . अन्यथा इन दवाओं का असर प्रभावित हो सकता है.
- इन दवाओं के सेवन के दौरान कच्चे प्याज, लहसुन और कॉफी का सेवन से बचना चाहिए.
- इस चिकित्सा पद्धति में दवा खाने के आधा घंटे पहले तक तथा दवा खाने के आधे घंटे बाद तक कुछ भी ना खाने का नियम है. ऐसा ना करने पर होम्योपैथिक दवाओं का असर प्रभावित होता है.
- निर्धारित या तय अवधि के बाद या काफी समय से रखी होम्योपैथिक दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए.
- इन दवाओं के सेवन की अवधि के दौरान पान, तंबाकू-गुटखा और धूम्रपान नहीं करना चाहिए.
- होम्योपैथिक दवाओं को सीधे धूप के संपर्क में या ऐसे स्थानों पर नही रखना चाहिए जहां ज्यादा खुशबू हो.
- इन दवाओं को सीधे हाथों से नही छूना चाहिए. यदि दवा कागज की पुड़िया में हो तो सीधे उसी से या अगर दवाई की बोतल में हो तो उसके ढक्कन में गिनकर डालकर ही खानी चाहिए. इसके अलावा इन दवाओं को मेटल के बर्तन में नही रखना चाहिए. यदि संभव हो होम्योपैथिक दवाओं को हमेशा कांच के बर्तन या बोतल में ही रखना चाहिए.
- दवा को यदि टिंचर के रूप में दिया गया हो तो हमेशा बताई गई बूंदों में ही उनका सेवन करना चाहिए.
- दवाई का सेवन हमेशा बताए गए समय, मात्रा तथा निर्धारित अंतराल पर करना चाहिए. कई लोग दवाओं का ओवरलैप कर देते हैं. यानी पहली खुराक ही काफी देर से कहते हैं जिससे दो बार की दवाओं के बीच सही अंतराल नही रह पाता है. इसके अलावा चूंकि यह दवाइयाँ मीठी गोलियों में मिलती हैं इसलिए कई बार लोग इसका सेवन बताई गई मात्रा से ज्यादा मात्रा में कर लेते हैं. जो सही नही है.
डॉ सिंह बताते हैं कि यह चिकित्सा पद्धति निसन्देह बेहद सुरक्षित पद्धति है लेकिन कई बार यदि मरीज किसी जानलेवा रोग या बीमारी से पीड़ित हो तो उसे सिर्फ इसी. पद्धति पर निर्भर नही रहना चाहिए तथा उक्त रोग के इलाज के लिए तमाम जांच व इलाज कराने चाहिए. वह बताते हैं कि इन दवाओं का सेवन पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के साथ भी किया जा सकता है, लेकिन किसी भी रोग या अवस्था के उपचार के लिए इन दवाओं का सेवन हमेशा होम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह लेने के उपरांत ही करना चाहिए.
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