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5 में से सिर्फ 2 Hepatitis होती है खतरनाक, टीकाकरण के साथ सावधानी भी है जरूरी

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Published : Aug 31, 2022, 9:38 PM IST

Updated : Sep 1, 2022, 1:57 PM IST

हेपेटाइटिस के सभी प्रकार जानलेवा नहीं होते हैं. Dr. GS Rama, Bangalore बताते हैं कि सभी प्रकारों से बचाव के लिए बहुत जरूरी है कि वैक्सीन लगवाने के साथ कुछ सावधानियों को भी प्राथमिकता के साथ अपने जीवन में अपनाया जाय. हेपेटाइटिस बी को छोड़ कर इस रोग के अन्य प्रकारों में यदि सही समय पर बीमारी के लक्षणों को जानकर उनका इलाज शुरू कर दिया जाय तो इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है. Hepatitis symptoms life threatening disease hepatitis types. Hepatitis B , hepatitis C , Acute hepatitis , Chronic hepatitis .

Hepatitis symptoms life threatening disease hepatitis types
हेपेटाइटिस

दुनिया भर में लोग हेपेटाइटिस (Hepatitis disease) को जानलेवा बीमारी के रूप में जानते हैं. हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी, दोनों को दुनिया भर में गंभीर बीमारियों के श्रेणी में रखा जाता है. Hepatitis B और hepatitis C को जानलेवा बीमारियां भी माना जाता है क्योंकि यदि सही समय पर पीड़ित को इलाज ना मिल पाए तो यह यकृत को इस कदर प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं कि उसमें कैंसर, लिवर सिरोसिस और यह तक की लिवरफेल (Cancer, liver cirrhosis and liver failure) होने जैसे जानलेवा रोग पनपने की आशंका बढ़ सकती है और पीड़ित की जान भी जा सकती है. हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी के अलावा हेपेटाइटिस के और भी प्रकार (Hepatitis types) होते है. जो अपेक्षाकृत ज्यादा गंभीर रोगों की श्रेणी में नहीं आते हैं.

वैसे तो यह एक वायरस जनित रोग है लेकिन इससे जुड़ी कुछ अवस्थाएं कई बार जीवनशैली जनित तथा बहुत ज्यादा शराब पीने के कारण भी उत्पन्न हो सकती हैं. ETV भारत सुखीभव को हेपेटाइटिस के बारें में विस्तार से जानकारी देते हुए बेंगलुरु के पेट संबंधी रोगों के विशेषज्ञ डॉ जी एस रामा (Dr. GS Rama, Bangalore) बताते हैं कि हेपेटाइटिस बी व सी सहित इसके सभी प्रकारों से बचाव के लिए बहुत जरूरी है कि वैक्सीन लगवाने के साथ कुछ सावधानियों को भी प्राथमिकता के साथ अपने जीवन में अपनाया जाय.

क्रोनिक व एक्यूट हेपेटाइटिस (Chronic and acute hepatitis) : डॉ जी एस रामा बताते हैं कि गंभीरता के आधार पर हेपेटाइटिस को दो श्रेणियों में रखा जाता है एक्यूट हेपेटाइटिस व क्रोनिक हेपेटाइटिस. इन में एक्यूट हेपेटाइटिस (Acute hepatitis) में दूषित आहार और दूषित पानी के सेवन तथा आसपास गंदगी के कारण पनपने वाले विषाणु यकृत को संक्रमित कर देते हैं. जिससे यकृत में गंभीर सूजन आ जाती है. हेपेटाइटिस ए तथा ई को Acute hepatitis की श्रेणी में रखा जाता है. ये संक्रमण आमतौर पर दवाइयों तथा सावधानियों के साथ कुछ समय में ठीक हो जाते हैं.

वहीं Chronic hepatitis में पीड़ित का इम्यून सिस्टम बुरी तरह से प्रभावित हो जाता है. इस प्रकार के हेपेटाइटिस के विषाणु पीड़ित के शरीर में लंबे समय तक बने रह सकते हैं, जिससे उनके यकृत को काफी नुकसान पहुंच सकता है. यहां तक कि रोगी के यकृत यानी लिवर के खराब होने , लिवर सिरोसिस होने और यहां तक कि लिवर में कैंसर होने जैसे गंभीर रोग होने कि आशंका भी बढ़ जाती है. इस अवस्था में ध्यान ना देने या सही इलाज ना कराने पर रोगी की मृत्यु भी हो सकती है.

Dr. GS Rama बताते हैं कि हेपेटाइटिस बी और सी को क्रॉनिक हेपेटाइटिस (Chronic hepatitis) की श्रेणी में रखा जाता है. क्रोनिक हेपेटाइटिस को साइलेंट किलर भी कहा जाता है क्योंकि जब तक रोगी में इनके लक्षण में नजर आते हैं तब तक उनका यकृत काफी ज्यादा प्रभावित हो चुका होता है. वहीं हेपेटाइटिस डी की बात करें तो इसे एक ऐसा वायरस माना जाता है जिसका स्वतंत्र प्रभाव नहीं या ना के बराबर होता है. इसे जीवित रहने के लिए हेपेटाइटिस बी के वायरस की मदद की ज़रुरत होती है. इसलिए हेपेटाइटिस डी वायरस का प्रभाव सिर्फ उन्ही लोगों में नजर आता है जो पहले से हेपेटाइटिस बी से संक्रमित होते हैं.

लक्षण : Dr GS Rama बताते हैं कि वैसे तो हेपेटाइटिस के सभी प्रकारों में कुछ लक्षण समान हो सकते हैं क्योंकि सभी में यकृत पर असर पड़ता है. हालांकि हेपेटाइटिस के प्रकार के अनुसार कुछ लक्षण भिन्न भी हो सकते हैं. वहीं रोगी में उनके नजर आने का समय भी अलग अलग हो सकता है. हेपेटाइटिस के सभी प्रकारों में नजर आने वाले कुछ आम लक्षण इस प्रकार हैं.

  • पेट में दर्द (Stomach ache)
  • भूख ना लगना (Loss of appetite)
  • पेशाब का रंग बदलना (Change in urine color)
  • कमजोरी तथा थकान होना (Weakness and fatigue)
  • अचानक वजन कम होना (Sudden weight loss)
  • पीलिया जैसे लक्षण नजर आना (Jaundice-like symptoms, etc)

सावधानी बरतना जरूरी : डॉ जी एस रामा बताते हैं कि हेपेटाइटिस सी के लिए टीकाकरण कराने के अलावा और भी कुछ बातें हैं जिनका ध्यान रख कर हेपेटाइटिस के अलग-अलग प्रकारों से बचाव किया जा सकता है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • इंजेक्शन लगवाते या टैटू बनवाते समय हमेशा ध्यान रखें कि पहले से इस्तेमाल की गई सुई का उपयोग ना किया जा रहा हो.
  • खानपान तथा अपने आसपास साफ-सफाई तथा स्वच्छता का ध्यान रखना बहुत जरूरी है.
  • किसी दूसरे व्यक्ति का रेजर या टूथब्रश इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
  • शारीरिक संबंध बनाते समय हमेशा सुरक्षा और स्वच्छता का ध्यान रखें, और असुरक्षित सेक्स से बचें.
  • हमेशा ताजे, पौष्टिक व संतुलित आहार को प्राथमिकता दें.
  • दूषित पानी के सेवन से बचे.
  • शराब को कभी भी लत ना बनाए.

वह बताते हैं यदि किसी व्यक्ति में बताए गए लक्षण हल्के-फुल्के रूप में भी नजर आ रहे हों तो भी उन्हे बिल्कुल भी अनदेखा नहीं करना चाहिए और तत्काल चिकित्सक से जांच करानी चाहिए. इसके अलावा हेपेटाइटिस के इलाज को कभी भी बीच में नहीं छोड़ना चाहिए.

दुनिया भर में लोग हेपेटाइटिस (Hepatitis disease) को जानलेवा बीमारी के रूप में जानते हैं. हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी, दोनों को दुनिया भर में गंभीर बीमारियों के श्रेणी में रखा जाता है. Hepatitis B और hepatitis C को जानलेवा बीमारियां भी माना जाता है क्योंकि यदि सही समय पर पीड़ित को इलाज ना मिल पाए तो यह यकृत को इस कदर प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं कि उसमें कैंसर, लिवर सिरोसिस और यह तक की लिवरफेल (Cancer, liver cirrhosis and liver failure) होने जैसे जानलेवा रोग पनपने की आशंका बढ़ सकती है और पीड़ित की जान भी जा सकती है. हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी के अलावा हेपेटाइटिस के और भी प्रकार (Hepatitis types) होते है. जो अपेक्षाकृत ज्यादा गंभीर रोगों की श्रेणी में नहीं आते हैं.

वैसे तो यह एक वायरस जनित रोग है लेकिन इससे जुड़ी कुछ अवस्थाएं कई बार जीवनशैली जनित तथा बहुत ज्यादा शराब पीने के कारण भी उत्पन्न हो सकती हैं. ETV भारत सुखीभव को हेपेटाइटिस के बारें में विस्तार से जानकारी देते हुए बेंगलुरु के पेट संबंधी रोगों के विशेषज्ञ डॉ जी एस रामा (Dr. GS Rama, Bangalore) बताते हैं कि हेपेटाइटिस बी व सी सहित इसके सभी प्रकारों से बचाव के लिए बहुत जरूरी है कि वैक्सीन लगवाने के साथ कुछ सावधानियों को भी प्राथमिकता के साथ अपने जीवन में अपनाया जाय.

क्रोनिक व एक्यूट हेपेटाइटिस (Chronic and acute hepatitis) : डॉ जी एस रामा बताते हैं कि गंभीरता के आधार पर हेपेटाइटिस को दो श्रेणियों में रखा जाता है एक्यूट हेपेटाइटिस व क्रोनिक हेपेटाइटिस. इन में एक्यूट हेपेटाइटिस (Acute hepatitis) में दूषित आहार और दूषित पानी के सेवन तथा आसपास गंदगी के कारण पनपने वाले विषाणु यकृत को संक्रमित कर देते हैं. जिससे यकृत में गंभीर सूजन आ जाती है. हेपेटाइटिस ए तथा ई को Acute hepatitis की श्रेणी में रखा जाता है. ये संक्रमण आमतौर पर दवाइयों तथा सावधानियों के साथ कुछ समय में ठीक हो जाते हैं.

वहीं Chronic hepatitis में पीड़ित का इम्यून सिस्टम बुरी तरह से प्रभावित हो जाता है. इस प्रकार के हेपेटाइटिस के विषाणु पीड़ित के शरीर में लंबे समय तक बने रह सकते हैं, जिससे उनके यकृत को काफी नुकसान पहुंच सकता है. यहां तक कि रोगी के यकृत यानी लिवर के खराब होने , लिवर सिरोसिस होने और यहां तक कि लिवर में कैंसर होने जैसे गंभीर रोग होने कि आशंका भी बढ़ जाती है. इस अवस्था में ध्यान ना देने या सही इलाज ना कराने पर रोगी की मृत्यु भी हो सकती है.

Dr. GS Rama बताते हैं कि हेपेटाइटिस बी और सी को क्रॉनिक हेपेटाइटिस (Chronic hepatitis) की श्रेणी में रखा जाता है. क्रोनिक हेपेटाइटिस को साइलेंट किलर भी कहा जाता है क्योंकि जब तक रोगी में इनके लक्षण में नजर आते हैं तब तक उनका यकृत काफी ज्यादा प्रभावित हो चुका होता है. वहीं हेपेटाइटिस डी की बात करें तो इसे एक ऐसा वायरस माना जाता है जिसका स्वतंत्र प्रभाव नहीं या ना के बराबर होता है. इसे जीवित रहने के लिए हेपेटाइटिस बी के वायरस की मदद की ज़रुरत होती है. इसलिए हेपेटाइटिस डी वायरस का प्रभाव सिर्फ उन्ही लोगों में नजर आता है जो पहले से हेपेटाइटिस बी से संक्रमित होते हैं.

लक्षण : Dr GS Rama बताते हैं कि वैसे तो हेपेटाइटिस के सभी प्रकारों में कुछ लक्षण समान हो सकते हैं क्योंकि सभी में यकृत पर असर पड़ता है. हालांकि हेपेटाइटिस के प्रकार के अनुसार कुछ लक्षण भिन्न भी हो सकते हैं. वहीं रोगी में उनके नजर आने का समय भी अलग अलग हो सकता है. हेपेटाइटिस के सभी प्रकारों में नजर आने वाले कुछ आम लक्षण इस प्रकार हैं.

  • पेट में दर्द (Stomach ache)
  • भूख ना लगना (Loss of appetite)
  • पेशाब का रंग बदलना (Change in urine color)
  • कमजोरी तथा थकान होना (Weakness and fatigue)
  • अचानक वजन कम होना (Sudden weight loss)
  • पीलिया जैसे लक्षण नजर आना (Jaundice-like symptoms, etc)

सावधानी बरतना जरूरी : डॉ जी एस रामा बताते हैं कि हेपेटाइटिस सी के लिए टीकाकरण कराने के अलावा और भी कुछ बातें हैं जिनका ध्यान रख कर हेपेटाइटिस के अलग-अलग प्रकारों से बचाव किया जा सकता है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • इंजेक्शन लगवाते या टैटू बनवाते समय हमेशा ध्यान रखें कि पहले से इस्तेमाल की गई सुई का उपयोग ना किया जा रहा हो.
  • खानपान तथा अपने आसपास साफ-सफाई तथा स्वच्छता का ध्यान रखना बहुत जरूरी है.
  • किसी दूसरे व्यक्ति का रेजर या टूथब्रश इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
  • शारीरिक संबंध बनाते समय हमेशा सुरक्षा और स्वच्छता का ध्यान रखें, और असुरक्षित सेक्स से बचें.
  • हमेशा ताजे, पौष्टिक व संतुलित आहार को प्राथमिकता दें.
  • दूषित पानी के सेवन से बचे.
  • शराब को कभी भी लत ना बनाए.

वह बताते हैं यदि किसी व्यक्ति में बताए गए लक्षण हल्के-फुल्के रूप में भी नजर आ रहे हों तो भी उन्हे बिल्कुल भी अनदेखा नहीं करना चाहिए और तत्काल चिकित्सक से जांच करानी चाहिए. इसके अलावा हेपेटाइटिस के इलाज को कभी भी बीच में नहीं छोड़ना चाहिए.

Last Updated : Sep 1, 2022, 1:57 PM IST
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