ETV Bharat / sukhibhava

भारत में कम होते हैं हृदय प्रत्यारोपण: राष्ट्रीय हृदय प्रत्यारोपण दिवस 2021

हमारे दिल की धड़कन जब तक चलती रहती है हम जीवित रहते हैं लेकिन बहुत से लोग हर साल ह्रदय रोग के कारण अपनी जान गवां देते हैं। ऐसे में हृदय प्रत्यारोपण उन लोगों के लिए आस की किरण का कार्य करती, है जो ह्रदय रोगों से पीड़ित हो हैं और जिनका ह्रदय बिल्कुल कार्य नहीं कर रहा हो।लोगों में जन जागरूकता फैलाने के साथ ही हृदय प्रत्यारोपण के क्षेत्र में हो रही तकनीकी प्रगति का विश्लेषण करने के उद्देश्य से हर साल 3 अगस्त को भारत में हृदय प्रत्यारोपण दिवस मनाया जाता है।

राष्ट्रीय हृदय प्रत्यारोपण दिवस 2021, हृदय प्रत्यारोपण
राष्ट्रीय हृदय प्रत्यारोपण दिवस
author img

By

Published : Aug 3, 2021, 3:33 PM IST

भारत में पहला सफल हृदय प्रत्यारोपण 3 अगस्त1994 में अखिल भारतीयआयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली में प्रोफेसर पनंगीपल्ली वेणुगोपाल के नेतृत्व में कम से कम 20 सर्जनों की एक टीम द्वारा किया गया था। इस पूरे ऑपरेशन में लगभग 59 मिनट लगे थे और इस सफल ऑपरेशन के उपरांत, मरीज कम से कम 15 साल और जीवित रहा था।

7 जुलाई,1994 को तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा के हस्ताक्षर के साथ मानव अंग प्रत्यारोपण विधेयक पारित होने के बाद ही, प्रो.पी वेणुगोपाल ने उसी वर्ष 3 अगस्त को एम्स में भारत का पहला हृदय प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक करके इतिहास रचा था। प्रो.पी वेणुगोपाल को 1998 में तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था|यही नहीं 2014 में एम्स के दीक्षांत समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हे विशेष तौर पर सम्मानित किया।

कैसे होता है हृदय प्रत्यारोपण?

दिल प्रत्यारोपण, या हृदय प्रत्यारोपण एक शल्य प्रतिक्रिया है जिसे ऐसे मरीज पर किया जाता है जो कि हृदय विफलता की अंतिम अवस्था पर हो, या जिन्हे गंभीर कोरोनरी धमनी की बीमारी हो।

इसका सबसे सामान्य तरीका यह की किसी हाल में मृत व्यक्ति के काम करते हुए दिल को तत्काल उसके शरीर से निकाल कर मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है| इस ऑपरेशन में ओर्थोटोपिक प्रक्रिया तथा हेत्रोतोपिक प्रक्रिया की मदद ली जाती है।

भारत में पहला हृदय प्रत्यारोपण और ऑपरेशन कैसे हुआ?

भारत में पहली बार देवी राम नामक 40 वर्षीय मरीज, जो कि कार्डियोमा योपैथी से पीड़ित था, का हृदय प्रत्यारोपण किया गया था। यह एक सफल सर्जरी थी| वहीं दुनिया में पहला हृदय प्रत्यारोपण 3 दिसंबर, 1967 को दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में सर्जन क्रिश्चियन बरनार्ड द्वारा किया गया था।

भारत में कम है हृदय प्रत्यारोपण की दर

आंकड़ों की माने तो पूरी दुनिया में हर साल लगभग 3500 ह्रदय प्रत्यारोपण होते है, वहीं लगभग 50,000 व्यक्ति सालाना हृदय गति रुकने जैसी समस्या का सामना करते हैं, लेकिन भारत में हर साल लगभग 10 से 15 हृदय प्रत्यारोपण ही किए जाते हैं।

राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) द्वारा उपलब्ध कराए गएआंकड़ों के अनुसार, 2018 में भारत में केवल 241 दिल दान किए गए थे| डॉक्टरों का कहना है कि भारत में लगभग दो लाख लोगों को हर साल हृदय प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है, लेकिन बहुत कम दिल सही समय पर पहुंच पाते हैं। जिसका कारण धार्मिक मान्यता एवं जागरूकता की कमी को माना जा सकता है।

हृदय प्रत्यारोपण के जोखिम

हृदय प्रत्यारोपण के कुछ गंभीर जोखिम भी हो सकते हैं| सबसे पहले समस्या तब आती है जब नया ह्रदय मरीज के शरीर में काम नहीं कर पाता है।यह प्रत्यारोपण के बाद पहले महीने में मौत का सबसे आम कारण होता है।प्रत्यारोपण के उपरांत सबसे जरूरी है की आपका शरीर और प्रतिरक्षा प्रणाली नए दिल को स्वीकार करे।आमतौर पर ऑपरेशन के छह महीने के भीतर शरीर द्वारा ह्रदय को अस्वीकार करने की सबसे ज्यादा आशंका होती है।

हृदय प्रत्यारोपण के उपरांत व्यक्ति को अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाने के लिए और अपने शरीर को अपने नए दिल को अस्वीकारकरने से रोकने में मदद करने केलिए जीवन भर दवाएं लेने की आवश्यक पड़ सकती है।

पढ़ें: कोरोना संक्रमित ह्रदयरोगियों की जांच और इलाज में बरते ज्यादा सावधानी

भारत में पहला सफल हृदय प्रत्यारोपण 3 अगस्त1994 में अखिल भारतीयआयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली में प्रोफेसर पनंगीपल्ली वेणुगोपाल के नेतृत्व में कम से कम 20 सर्जनों की एक टीम द्वारा किया गया था। इस पूरे ऑपरेशन में लगभग 59 मिनट लगे थे और इस सफल ऑपरेशन के उपरांत, मरीज कम से कम 15 साल और जीवित रहा था।

7 जुलाई,1994 को तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा के हस्ताक्षर के साथ मानव अंग प्रत्यारोपण विधेयक पारित होने के बाद ही, प्रो.पी वेणुगोपाल ने उसी वर्ष 3 अगस्त को एम्स में भारत का पहला हृदय प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक करके इतिहास रचा था। प्रो.पी वेणुगोपाल को 1998 में तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था|यही नहीं 2014 में एम्स के दीक्षांत समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हे विशेष तौर पर सम्मानित किया।

कैसे होता है हृदय प्रत्यारोपण?

दिल प्रत्यारोपण, या हृदय प्रत्यारोपण एक शल्य प्रतिक्रिया है जिसे ऐसे मरीज पर किया जाता है जो कि हृदय विफलता की अंतिम अवस्था पर हो, या जिन्हे गंभीर कोरोनरी धमनी की बीमारी हो।

इसका सबसे सामान्य तरीका यह की किसी हाल में मृत व्यक्ति के काम करते हुए दिल को तत्काल उसके शरीर से निकाल कर मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है| इस ऑपरेशन में ओर्थोटोपिक प्रक्रिया तथा हेत्रोतोपिक प्रक्रिया की मदद ली जाती है।

भारत में पहला हृदय प्रत्यारोपण और ऑपरेशन कैसे हुआ?

भारत में पहली बार देवी राम नामक 40 वर्षीय मरीज, जो कि कार्डियोमा योपैथी से पीड़ित था, का हृदय प्रत्यारोपण किया गया था। यह एक सफल सर्जरी थी| वहीं दुनिया में पहला हृदय प्रत्यारोपण 3 दिसंबर, 1967 को दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में सर्जन क्रिश्चियन बरनार्ड द्वारा किया गया था।

भारत में कम है हृदय प्रत्यारोपण की दर

आंकड़ों की माने तो पूरी दुनिया में हर साल लगभग 3500 ह्रदय प्रत्यारोपण होते है, वहीं लगभग 50,000 व्यक्ति सालाना हृदय गति रुकने जैसी समस्या का सामना करते हैं, लेकिन भारत में हर साल लगभग 10 से 15 हृदय प्रत्यारोपण ही किए जाते हैं।

राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) द्वारा उपलब्ध कराए गएआंकड़ों के अनुसार, 2018 में भारत में केवल 241 दिल दान किए गए थे| डॉक्टरों का कहना है कि भारत में लगभग दो लाख लोगों को हर साल हृदय प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है, लेकिन बहुत कम दिल सही समय पर पहुंच पाते हैं। जिसका कारण धार्मिक मान्यता एवं जागरूकता की कमी को माना जा सकता है।

हृदय प्रत्यारोपण के जोखिम

हृदय प्रत्यारोपण के कुछ गंभीर जोखिम भी हो सकते हैं| सबसे पहले समस्या तब आती है जब नया ह्रदय मरीज के शरीर में काम नहीं कर पाता है।यह प्रत्यारोपण के बाद पहले महीने में मौत का सबसे आम कारण होता है।प्रत्यारोपण के उपरांत सबसे जरूरी है की आपका शरीर और प्रतिरक्षा प्रणाली नए दिल को स्वीकार करे।आमतौर पर ऑपरेशन के छह महीने के भीतर शरीर द्वारा ह्रदय को अस्वीकार करने की सबसे ज्यादा आशंका होती है।

हृदय प्रत्यारोपण के उपरांत व्यक्ति को अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाने के लिए और अपने शरीर को अपने नए दिल को अस्वीकारकरने से रोकने में मदद करने केलिए जीवन भर दवाएं लेने की आवश्यक पड़ सकती है।

पढ़ें: कोरोना संक्रमित ह्रदयरोगियों की जांच और इलाज में बरते ज्यादा सावधानी

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.