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कोविड-19 से रिकवरी के बाद देखी जा रही हृदय संबंधी समस्याएं

कोविड-19 संक्रमण से उबर चुके मरीजों में हृदय संबंधी समस्याएं देखी जा रही है. फेफड़ों की समस्याओं के बाद हृदय घात और कार्डियक अरेस्ट जैसे मामले सामने आ रहे है. जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि यह संक्रमण रिकवरी के बाद अन्य बीमारियों को जन्म दे रहा है.

Heart problems increased after recovery
रिकवरी के बाद बढ़ी हृदय संबंधी समस्याएं
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Published : Dec 14, 2020, 10:55 AM IST

कोविड-19 से संक्रमित लोगों के लिए इस बीमारी से लड़ाई का अंत रिकवरी के बाद भी शायद नहीं हो रहा है. सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, युवाओं सहित कई लोगों में घातक बीमारी से रिकवरी के बाद हृदय संबंधी समस्याएं देखी जा रही हैं. डॉक्टरों के अनुसार, अस्पतालों में ऐसे युवाओं की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है, जो संक्रमण से ठीक होने के बाद कार्डियक मुद्दों की वजह से आ रहे हैं. इनमें सबसे आम घबराहट, या हृदय गति का बढ़ना है, वहीं कुछ मामलों में कार्डियक अरेस्ट या दिल का दौरा भी देखा गया है.

हालांकि कोविड-19 की सबसे खतरनाक समस्याएं फेफड़ों पर असर और सांस लेने में समस्या जैसे लक्षण हैं, लेकिन अब ऐसा समझा जा रहा है कि वायरस से हृदय पर भी गहरा असर पड़ रहा है. यह मौजूदा हृदय रोगों से ग्रसित रोगियों के लिए एक गंभीर खतरा है.

संक्रमण के कारण हृदय में रक्त के थक्के बन सकते हैं और कई मामलों में यह हृदय में सूजन भी पैदा कर सकता है. हाल ही में दिल्ली के एक निजी अस्पताल में 31 वर्षीय एक व्यक्ति का इलाज किया गया, जिसे संक्रमण से उबरने के बाद दिल का दौरा पड़ा. मरीज का हृदय संबंधी बीमारियों का कोई पूर्व इतिहास नहीं था और वह बिल्कुल स्वस्थ था.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर सुदीप मिश्रा ने कहा, 'कोविड से उबरने के बाद युवा, सहित कई लोग सभी प्रकार के कार्डियक समस्याओं के साथ अस्पताल वापस आ रहे हैं. वायरस सूजन प्रक्रिया को बढ़ाता है. यहां तक कि यदि वायरस से संक्रमित रोगी की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी सूजन रहती है.'

उन्होंने आगे बताया, 'इससे हृदय की मांसपेशियां कमजोर होती है और रोगी हृदयाघात की समस्या का सामना कर सकते हैं. यह वेसेल्स की सूजन को भी बढ़ाता है और थक्के के गठन को बढ़ाता है. अस्पताल में हर 10 में से एक व्यक्ति हृदय संबंधी समस्याओं के साथ वापस आ रहे हैं.'

मिश्रा ने कहा, 'डॉक्टरों का सुझाव है कि जो लोग कोविड-19 से उबर चुके हैं, उन्हें अपनी इकोकार्डियोग्राफी जरूर करवानी चाहिए. कोविड-19 संक्रमण के दौरान, ध्यान सिर्फ फेफड़ों पर रहता है. बाद में लोगों को पता चलता है कि उन्हें हृदय की समस्याएं भी थीं, जिसे पहले पूरी तरह से नजरअंदाज किया जाता है.'

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट में कार्डियोलॉजी विभाग की अतिरिक्त निदेशक, अपर्णा जसवाल ने भी यही बात दोहराते हुए कहा कि युवाओं सहित 5-10 प्रतिशत कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीज अस्पताल में हृदय संबंधी मुद्दों के साथ वापस आ रहे हैं.

जसवाल ने कहा, 'कई युवा मरीज घबराहट के साथ वापस आ रहे हैं, जिनकी अवहेलना नहीं की जानी चाहिए. हमने हृदय गति धीमी होने जैसे कई मामलें भी देखे हैं. कुछ मरीजों में हार्ट फेल भी देखा गया.'

हालांकि एक अन्य कार्डियोलॉजिस्ट ने कहा कि कोविड-19 से उबरने के बाद युवाओं में हृदय संबंधी समस्याओं का संकेत यह दर्शाता है कि इस आयु वर्ग में पहले से ही अंतर्निहित बीमारी थी.

दिल्ली में उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के कार्डियोलॉजिस्ट संजीव गुप्ता ने कहा, 'कोविड -19 वास्तव में अघोषित समस्या का भंडार है. इसके अलावा, युवाओं की खराब जीवनशैली और खान-पान की आदतें भी उन्हें बीमारियों का शिकार बना रही हैं.'

कोविड-19 से संक्रमित लोगों के लिए इस बीमारी से लड़ाई का अंत रिकवरी के बाद भी शायद नहीं हो रहा है. सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, युवाओं सहित कई लोगों में घातक बीमारी से रिकवरी के बाद हृदय संबंधी समस्याएं देखी जा रही हैं. डॉक्टरों के अनुसार, अस्पतालों में ऐसे युवाओं की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है, जो संक्रमण से ठीक होने के बाद कार्डियक मुद्दों की वजह से आ रहे हैं. इनमें सबसे आम घबराहट, या हृदय गति का बढ़ना है, वहीं कुछ मामलों में कार्डियक अरेस्ट या दिल का दौरा भी देखा गया है.

हालांकि कोविड-19 की सबसे खतरनाक समस्याएं फेफड़ों पर असर और सांस लेने में समस्या जैसे लक्षण हैं, लेकिन अब ऐसा समझा जा रहा है कि वायरस से हृदय पर भी गहरा असर पड़ रहा है. यह मौजूदा हृदय रोगों से ग्रसित रोगियों के लिए एक गंभीर खतरा है.

संक्रमण के कारण हृदय में रक्त के थक्के बन सकते हैं और कई मामलों में यह हृदय में सूजन भी पैदा कर सकता है. हाल ही में दिल्ली के एक निजी अस्पताल में 31 वर्षीय एक व्यक्ति का इलाज किया गया, जिसे संक्रमण से उबरने के बाद दिल का दौरा पड़ा. मरीज का हृदय संबंधी बीमारियों का कोई पूर्व इतिहास नहीं था और वह बिल्कुल स्वस्थ था.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर सुदीप मिश्रा ने कहा, 'कोविड से उबरने के बाद युवा, सहित कई लोग सभी प्रकार के कार्डियक समस्याओं के साथ अस्पताल वापस आ रहे हैं. वायरस सूजन प्रक्रिया को बढ़ाता है. यहां तक कि यदि वायरस से संक्रमित रोगी की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी सूजन रहती है.'

उन्होंने आगे बताया, 'इससे हृदय की मांसपेशियां कमजोर होती है और रोगी हृदयाघात की समस्या का सामना कर सकते हैं. यह वेसेल्स की सूजन को भी बढ़ाता है और थक्के के गठन को बढ़ाता है. अस्पताल में हर 10 में से एक व्यक्ति हृदय संबंधी समस्याओं के साथ वापस आ रहे हैं.'

मिश्रा ने कहा, 'डॉक्टरों का सुझाव है कि जो लोग कोविड-19 से उबर चुके हैं, उन्हें अपनी इकोकार्डियोग्राफी जरूर करवानी चाहिए. कोविड-19 संक्रमण के दौरान, ध्यान सिर्फ फेफड़ों पर रहता है. बाद में लोगों को पता चलता है कि उन्हें हृदय की समस्याएं भी थीं, जिसे पहले पूरी तरह से नजरअंदाज किया जाता है.'

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट में कार्डियोलॉजी विभाग की अतिरिक्त निदेशक, अपर्णा जसवाल ने भी यही बात दोहराते हुए कहा कि युवाओं सहित 5-10 प्रतिशत कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीज अस्पताल में हृदय संबंधी मुद्दों के साथ वापस आ रहे हैं.

जसवाल ने कहा, 'कई युवा मरीज घबराहट के साथ वापस आ रहे हैं, जिनकी अवहेलना नहीं की जानी चाहिए. हमने हृदय गति धीमी होने जैसे कई मामलें भी देखे हैं. कुछ मरीजों में हार्ट फेल भी देखा गया.'

हालांकि एक अन्य कार्डियोलॉजिस्ट ने कहा कि कोविड-19 से उबरने के बाद युवाओं में हृदय संबंधी समस्याओं का संकेत यह दर्शाता है कि इस आयु वर्ग में पहले से ही अंतर्निहित बीमारी थी.

दिल्ली में उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के कार्डियोलॉजिस्ट संजीव गुप्ता ने कहा, 'कोविड -19 वास्तव में अघोषित समस्या का भंडार है. इसके अलावा, युवाओं की खराब जीवनशैली और खान-पान की आदतें भी उन्हें बीमारियों का शिकार बना रही हैं.'

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