जैसा कि नाम से ही जाहिर है 'ठंडाई', एक ऐसा पेय पदार्थ है जो विभिन्न कारणों से शरीर में उत्पन्न होने वाली गर्मी में ठंडक पहुंचा सकती है. ठंडाई को बनाने में जिन उत्पादों का उपयोग किया जाता हैं उनमें असंख्य पोषक तत्व मिलते हैं. इसलिए ठंडाई का सेवन हमारे शरीर को भरपूर मात्रा में पोषण पहुंचाता है. लेकिन बहुत जरूरी है कि ठंडाई का सेवन नियंत्रित मात्रा में किया जाए वरना यह शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकती है.
होली के मौके पर ठंडाई के सेवन के फायदे और नुकसान को लेकर ETV Bharat सुखीभवा ने सनशाइन होम्योपैथिक क्लिनिक मुंबई की होम्योपैथिक चिकित्सक तथा पोषण विशेषज्ञ डॉ कृति एस. धीरवानी से बात की.
ठंडाई में इस्तेमाल होने वाले मेवे-मसाले तथा उनके फायदे
डॉ. कृति बताती हैं कि ठंडाई में कई प्रकार के सूखे मेवे तथा लौंग, काली मिर्च तथा इलायची जैसे खड़े मसालों का उपयोग किया जाता है, जिसके चलते यह न सिर्फ पौष्टिक तत्वों से भरपूर होती है बल्कि इसमें औषधि सरीखे गुण भी पाए जाते हैं.
ठंडाई में इस्तेमाल होने वाली सामग्रियां तथा उनके गुण इस प्रकार हैं:-
- बादाम – बादाम फाइबर, प्रोटीन, विटामिन ई, मैग्नीशियम, मैंगनीज, तांबा, फास्फोरस और एंटीऑक्सीडेंट्स सहित कई अन्य पोषक तत्वों का एक उत्कृष्ट स्रोत हैं.
- काजू – काजू में ऊर्जा, प्रोटीन, फैट, कार्ब्स, फाइबर, कॉपर, मैग्नीशियम, मैंगनीज, जिंक, फास्फोरस, आयरन, सेलेनियम, थियामिन, विटामिन के, विटामिन बी6 तथा एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं.
- किशमिश- किशमिश में प्रोटीन, आयरन, फाइबर, पोटैशियम, कॉपर, विटामिन बी6, विटामिन ई तथा कैल्शियम आदि पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं. साथ ही किशमिश फाइटोकेमिकल्स का भी अच्छा स्रोत होती है. इसके अलावा इसमें एंटीऑक्सीडेंट व एंटीबैक्टीरियल गुण भी पाए जाते हैं.
- पापी सीड यानी खसखस- छोटे-छोटे खसखस के दानों में फाइबर, हेल्दी फैट, ऊर्जा, प्रोटीन, फैट, कार्ब्स, फाइबर, मैंगनीज, कॉपर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, जिंक, थायमिन, आयरन तथा मेगा 6 फैटी एसिड पाया जाता है.
- कद्दू के बीज- कद्दू के बीजों में जिंक, फाइबर, मैग्नीशियम, कई तरह के विटामिंस, प्रोटीन, ऊर्जा, कैल्शियम, आयरन, कार्बोहाइड्रेट, जिंक, सोडियम, थायमिन, फोलेट, फास्फोरस आदि होते हैं. कद्दू के बीजों में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं.
इसके अलावा ठंडाई में ब्लैक पेपरकॉर्न या काली मिर्च, सौंफ, इलायची, लौंग और केसर जैसे मसाले पीस कर मिलाए जाते हैं जो कई प्रकार के पोषक तत्वों का भंडार होने के साथ औषधीय गुण भी रखते हैं. इनमें एंटीडिप्रेसेंट यानी तनावरोधी गुण, एंटीसेप्टिक यानी रोगाणु रोधक गुण तथा एंटीऑक्सीडेंट गुण भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं.
ठंडाई में इन सब सामग्रियों को दूध में शक्कर या गुड़ के साथ मिलाकर ठंडा परोसा जाता है. डॉक्टर कृति बताती हैं कि दूध अपने आप में संपूर्ण आहार होता है. इसके अलावा ठंडा दूध हमारे शरीर में एंटासिड यानी एसिडिटी को कम करने का कार्य करता है, जो अशुद्धियों तथा अन्य कारणों से शरीर में उत्पन्न गर्मी को शांत करता है. ऐसे में जब मेवों, ठंडे दूध और खड़े मसालों से बनी ठंडाई का सेवन किया जाता है तो ना सिर्फ शरीर की ऊर्जा बढ़ती है बल्कि कई समस्याओं में भी राहत मिलती है.
हानिकारक हो सकता है ज्यादा ठंडाई का सेवन
डॉक्टर कृति बताती हैं कि एक ग्लास ठंडाई (मात्रा में अमूमन 250 मिलीलीटर) में लगभग 340 कैलोरी ऊर्जा, 11 ग्राम प्रोटीन तथा 18.3 ग्राम वसा होती है, जो कि एक व्यस्क शरीर के लिए जरूरी लगभग 2000 कैलोरी का लगभग 17% होती है. इसलिए लोगों को एक दिन में एक ग्लास से ज्यादा ठंडाई लेने से परहेज करना चाहिए. इसके अलावा मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोगियों तथा रेनल डिसऑर्डर यानी किडनी संबंधी विकारों से पीड़ित लोगों को भी ठंडाई के सेवन से पहले अपने चिकित्सक तथा पोषण विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लेनी चाहिए. इसके अतिरिक्त जिन लोगों को बादाम, काजू या अन्य सूखे मेवों या फिर दूध से एलर्जी हो उन्हीं भी ठंडाई से परहेज करना चाहिए.