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H3N2 Influenza Virus : पैनिक ना हो एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस को लेकर, बस सचेत रहें और सुरक्षा मानकों को अपनाएं

देश के कई राज्यों में हाल ही में H3N2 Influenza Virus को लेकर सुरक्षा के मद्देनजर एडवायजरी जारी की गई है क्योंकि इसके मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. ऐसे में इस वायरस से डरने की नहीं बल्कि इसके प्रसार को रोकने के लिए अपने स्वास्थ्य को लेकर सचेत रहने तथा खुद को सुरक्षित रखने के लिए प्रयास करने की जरूरत है. H3N2 Virus . H1N2 Virus .

H3N2 Virus Influenza A virus H3N2
वायरस
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Published : Mar 21, 2023, 12:07 AM IST

Updated : Apr 5, 2023, 12:10 PM IST

देश के कई राज्यों में हाल ही में H3N2 Influenza Virus ( एच3एन2 इन्फ्यूएंजा वायरस ) को लेकर सुरक्षा के मद्देनजर एडवायजरी जारी की गई है क्योंकि इसके मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. लेकिन यह जानना सभी के लिए जरूरी है कि सही सावधानी व सुरक्षा अपनाकर तथा जरूरत पड़ने पर सही इलाज व देखभाल से ज्यादातर मामलों में इस वायरस जनित संक्रमण का इलाज बहुत सरलता से हो जाता है. ऐसे में इस वायरस से डरने की नहीं बल्कि इसके प्रसार को रोकने के लिए अपने स्वास्थ्य को लेकर सचेत रहने तथा खुद को सुरक्षित रखने के लिए प्रयास करने की जरूरत है.

H3N2 Virus Influenza A virus H3N2
एच3एन2 इन्फ्यूएंजा वायरस

Influenza A Subtype H3N2 Virus को लेकर पैनिक ना हो, बस सचेत रहें और सुरक्षा मानकों को अपनाएं
देश में इस वक्त H3N2 इन्फ्यूएंजा वायरस के बढ़ते मामले लोगों में काफी चिंता बढ़ा रहे हैं. कई राज्यों में इन्हे लेकर एडवाइजरी या सावधानी बरतने की चेतावनी भी जारी हो चुकी है. वैसे देखा जाए तो साल का यह समय वैसे ही फ्लू या संक्रमणों के फैलने का समय कहलाता है क्योंकि इस समय मौसम में परिवर्तन होता है और हमेशा ही इस समय लोगों में सामान्य फ्लू संक्रमण, अन्य वायरल संक्रमण, आंखों में संक्रमण तथा पाचन में समस्या जैसी परेशानियों के मामले बढ़ जाते हैं. लेकिन इस बार मौसम में लगातार परिवर्तन के कारण मौसमी समस्याओं व संक्रमणों से पीड़ित लोगों की संख्या अपेक्षाकृत ज्यादा बढ़ रही है, वहीं पीड़ितों में उनका प्रभाव भी ज्यादा लंबे समय तक देखने में आ रहा है.

गौरतलब है कि एच3एन2 इन्फ्यूएंजा, कोविड़ तथा सामान्य वायरल संक्रमण के लक्षण आमतौर पर एक ही जैसे होते हैं. ऐसे में एच3एन2 इन्फ्यूएंजा वायरस के बढ़ते मामले तथा लोगों में आम वायरल या फ्लू के बढ़ते मामले , एक जैसे लक्षणों के चलते लोगों में चिंता व भ्रम की स्थिति उत्पन्न कर रहें हैं. लेकिन यहां यह जानना जरूरी है कि संक्रमण चाहे किसी भी प्रकार का हो उसके शुरुआती लक्षणों को समझते हुए यदि सही समय पर चिकित्सीय मदद ली जाय तथा संक्रमणों के प्रभाव से बचने व उनके प्रसार को रोकने के लिए तमाम बताई गई सुरक्षा सावधानियों को अपनाया जाय तो किसी भी प्रकार के संक्रमण के ज्यादातर मामलों में पूरी तरह से इलाज संभव है.

H3N2 Influenza Virus : एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस
गौरतलब है कि इन्फ्लूएंजा वायरस पहली बार अपना प्रकोप नहीं फैला रहा है. पहले भी इन्फ्लुएंजा तथा उसके कई सब टाइप मनुष्यों में तथा पक्षियों व जानवरों में संक्रमण फैलने का कारण बन चुके हैं जैसे एवियन, स्वाइन और अन्य ज़ूनोटिक इन्फ्लूएंजा संक्रमण. लेकिन फिलहाल जो वायरस फैल रहा है उसे ‘इंफ्लुएंजा ए’ का सब-वेरिएंट एच3एन2 माना गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस मनुष्यों में श्वसन संबंधी संक्रमण पैदा करता है. यह बहुत संक्रामक वायरस है जो तेजी से फैलता है तथा मनुष्यों में इन्फ्लूएंजा होने के अहम कारणों में से एक माना जाता है.

एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस के लक्षण व प्रभाव

एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि यह वायरस व्यक्ति के छींकने, खांसने और यहां तक की बोलने पर मुंह या नाक से निकलने वाली बूंदों के माध्यम से फैलता है. इन बूंदों के सीधे संपर्क में आने से या इनसे प्रभावित किसी स्थान या वस्तु को छूकर बिना हाथ धोए हाथ से मुंह या नाक को छूने या कुछ भी खाने से यह संक्रमण फैल सकता है.

रिपोर्ट के अनुसार इस वायरस के कारण होने वाले संक्रमण में पीड़ित को शुरुआत में 2-3 दिनों तक तेज बुखार होता है. इसके अलावा पीड़ित में शरीर में दर्द, सिरदर्द, कंपकपी, नाक बहना, छींके आना, मतली-उल्टी, गले में दर्द-खराश-जलन , मांसपेशियों और शरीर में दर्द, कुछ मामलों में दस्त तथा लगातार दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक खांसी जैसे लक्षण भी नजर आते हैं.

इस रिपोर्ट के अनुसार यह वायरस मनुष्यों में ऊपरी श्वसन में हल्के से लेकर गंभीर संक्रमण पैदा कर सकता है. जिसके चलते उनमें हल्की या गंभीर सर्दी, खांसी व बुखार से लेकर गंभीर निमोनिया, एक्यूट रेस्पीरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम, शॉक जैसे समस्याएं भी हो सकती हैं. यहां तक की समस्या ज्यादा बढ़ने पर जान जाने का जोखिम भी बढ़ सकता है.

क्या कहते हैं चिकित्सक
भोपाल के जनरल फिजीशियन डॉ राजेश शर्मा बताते हैं कि आमतौर पर जिस समय मौसम बदलता है, खासतौर पर होली के आसपास के समय में वैसे भी सामान्य फ्लू व संक्रमण के मामले बढ़ जाते हैं , इसी के चलते इस समय इन्फ्लूएंजा होने तथा उसके फैलने की आशंका भी काफी ज्यादा रहती है. वह बताते हैं कि अलग अलग कारणों से होने वाले संक्रमणों के पीड़ितों की संख्या देखी जाय तो यह सत्य है कि इस बार वायरल तथा वायरस जनित संक्रमणों के मामले ज्यादा देखने में आ रहें हैं. यही कारण है की सर्दी-जुखाम –बुखार के मामलों में काफी बढ़ोतरी देखी जा रही है. लेकिन इसके लिए एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस के प्रसार से ज्यादा मौसमी तथा जलवायु परिवर्तन को कारण माना जाना ज्यादा सही होगा. इसके अलावा कोविड़ के बाद से हर उम्र के लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी भी वर्तमान समय में किसी भी प्रकार के संक्रमण के होने तथा उसके ठीक होने में ज्यादा समय लेने का कारण बन रही है.

वह बताते हैं कि एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस के लक्षण बिल्कुल साधारण फ्लू जैसे ही हैं. हालांकि सामान्य तौर पर इस सब वायरस की आम प्रवृत्ति को जानलेवा नहीं माना जा सकता है. लेकिन यदि इसका सही समय पर सही इलाज ना हो और वायरस से संक्रमित व्यक्ति में संक्रमण के प्रभाव के चलते गंभीर श्वसन संबंधी तथा अन्य गंभीर समस्याएं पनपने लगें तो यह पीड़ित की अवस्था के गंभीर होने तथा कई बार संक्रमण के जानलेवा प्रभाव का कारण बन सकता है.

इसलिए जरूरी है कि सर्दी-जुखाम-बुखार-छाती में जकड़न, शरीर में दर्द या फ्लू के लक्षणों में शामिल अन्य लक्षणों के तीव्र रूप में प्रभावित करने की अवस्था में खुद से इलाज करने की बजाय एक बार चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लिया जाय. ऐसे में यदि पीड़ित के लक्षणों को देखते हुए यदि चिकित्सक को अंदेशा होगा तो वह एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस जांच के लिए निर्देश दे सकेंगे. वह बताते हैं कि इस वायरस के प्रभाव में आने का जोखिम बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं में ज्यादा रहता है . वहीं ऐसे लोग जिन्हे पहले से अस्थमा, ह्रदय रोग, मोटापा और मधुमेह जैसी परेशानियां हैं उन्हे विशेषरूप से एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस के प्रभाव में आने से बचने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए क्योंकि यह उनके लिए स्वास्थ्य जोखिम ज्यादा बढ़ा सकता है.

सावधानियां
डॉ राजेश बताते हैं कि फैलने वाला संक्रमण चाहे कोविड़ हो, एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस जनित संक्रमण हो या कोई भी अन्य वायरस या बैक्टीरिया जनित संक्रमण, उसके प्रसार को रोकने के लिए जरूरी है वायरस के प्रभाव में आने से बचने के लिए हर संभव प्रयास किए जाए. तथा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए भी प्रयास किए जाएं. जिसके लिए तमाम सुरक्षा सावधानियों को अपनाने के साथ आहार का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी है. संक्रमण से बचाव में जो सावधानियां तथा उपाय मददगार हो सकते हैं उनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  1. भीड़भाड़ वाले स्थानों में मास्क का उपयोग करें.
  2. यदि घर में किसी व्यक्ति में किसी भी प्रकार संक्रमण के लक्षण नजर आ रहे हो तो उन्हे मास्क पहनने के लिए कहें, उनके आसपास स्वच्छता का ध्यान रखें तथा जहां तक संभव हो उनसे शारीरिक दूरी बनाकर रखें.
  3. आहार का विशेष ध्यान रखें. सही समय पर ताजा बना हुआ दालों, अनाज व सब्जियों से भरपूर सुपाच्य आहार लें.
  4. अपनी आहार दिनचर्या में मौसमी फलों की मात्रा बढ़ाएं. साथ ही रोज जरूरी मात्रा में पानी पिए.
  5. ज्यादा ठंडे या कोल्ड ड्रिंक सरीखे पेय पदार्थों से जहां तक संभव हो परहेज करें. उनके स्थान पर ताजे फलों के जूस, नींबू पानी, नारियल पानी का सेवन करें. लेकिन यदि संक्रमण के लक्षण नजर आ रहे हों तो दही, मट्ठा या छाछ आदि का उपयोग चिकित्सक से परामर्श के बाद ही करें.
  6. घर में बुजुर्गों, बच्चों तथा ऐसे लोगों, जो पहले से मधुमेह, ह्रदय रोग, उच्च रक्तचाप, पुरानी सांस की बीमारी या किडनी की समस्या आदि से पीड़ित हों, साथ ही वे लोग जिनकी हाल ही में सर्जरी हुई हो, का विशेष ध्यान रखें.
  7. अपने आसपास स्वच्छता का ध्यान रखें.
  8. खांसते या छींकते समय नाक और मुंह को अच्छी तरह कवर करें.
  9. अपने हाथों को बार-बार धोएं. दरअसल इस समय सामान्य संक्रमण व इन्फ्यूएंजा के अलावा आंखों में संक्रमण या पेट खराब होने के मामले भी काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं. ऐसे में बिना साबुन से हाथ धोए ना सिर्फ कुछ भी खाने से बल्कि आंखों तथा चेहरे को बार-बार छूने से बचना चाहिए.
  10. अपनी नियमित दिनचर्या में व्यायाम को भी शामिल करें.

Human Avian Influenza- इन लक्षणों से रहें सावधान, देश-विदेश में लगातार बढ़ रहे मामले

देश के कई राज्यों में हाल ही में H3N2 Influenza Virus ( एच3एन2 इन्फ्यूएंजा वायरस ) को लेकर सुरक्षा के मद्देनजर एडवायजरी जारी की गई है क्योंकि इसके मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. लेकिन यह जानना सभी के लिए जरूरी है कि सही सावधानी व सुरक्षा अपनाकर तथा जरूरत पड़ने पर सही इलाज व देखभाल से ज्यादातर मामलों में इस वायरस जनित संक्रमण का इलाज बहुत सरलता से हो जाता है. ऐसे में इस वायरस से डरने की नहीं बल्कि इसके प्रसार को रोकने के लिए अपने स्वास्थ्य को लेकर सचेत रहने तथा खुद को सुरक्षित रखने के लिए प्रयास करने की जरूरत है.

H3N2 Virus Influenza A virus H3N2
एच3एन2 इन्फ्यूएंजा वायरस

Influenza A Subtype H3N2 Virus को लेकर पैनिक ना हो, बस सचेत रहें और सुरक्षा मानकों को अपनाएं
देश में इस वक्त H3N2 इन्फ्यूएंजा वायरस के बढ़ते मामले लोगों में काफी चिंता बढ़ा रहे हैं. कई राज्यों में इन्हे लेकर एडवाइजरी या सावधानी बरतने की चेतावनी भी जारी हो चुकी है. वैसे देखा जाए तो साल का यह समय वैसे ही फ्लू या संक्रमणों के फैलने का समय कहलाता है क्योंकि इस समय मौसम में परिवर्तन होता है और हमेशा ही इस समय लोगों में सामान्य फ्लू संक्रमण, अन्य वायरल संक्रमण, आंखों में संक्रमण तथा पाचन में समस्या जैसी परेशानियों के मामले बढ़ जाते हैं. लेकिन इस बार मौसम में लगातार परिवर्तन के कारण मौसमी समस्याओं व संक्रमणों से पीड़ित लोगों की संख्या अपेक्षाकृत ज्यादा बढ़ रही है, वहीं पीड़ितों में उनका प्रभाव भी ज्यादा लंबे समय तक देखने में आ रहा है.

गौरतलब है कि एच3एन2 इन्फ्यूएंजा, कोविड़ तथा सामान्य वायरल संक्रमण के लक्षण आमतौर पर एक ही जैसे होते हैं. ऐसे में एच3एन2 इन्फ्यूएंजा वायरस के बढ़ते मामले तथा लोगों में आम वायरल या फ्लू के बढ़ते मामले , एक जैसे लक्षणों के चलते लोगों में चिंता व भ्रम की स्थिति उत्पन्न कर रहें हैं. लेकिन यहां यह जानना जरूरी है कि संक्रमण चाहे किसी भी प्रकार का हो उसके शुरुआती लक्षणों को समझते हुए यदि सही समय पर चिकित्सीय मदद ली जाय तथा संक्रमणों के प्रभाव से बचने व उनके प्रसार को रोकने के लिए तमाम बताई गई सुरक्षा सावधानियों को अपनाया जाय तो किसी भी प्रकार के संक्रमण के ज्यादातर मामलों में पूरी तरह से इलाज संभव है.

H3N2 Influenza Virus : एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस
गौरतलब है कि इन्फ्लूएंजा वायरस पहली बार अपना प्रकोप नहीं फैला रहा है. पहले भी इन्फ्लुएंजा तथा उसके कई सब टाइप मनुष्यों में तथा पक्षियों व जानवरों में संक्रमण फैलने का कारण बन चुके हैं जैसे एवियन, स्वाइन और अन्य ज़ूनोटिक इन्फ्लूएंजा संक्रमण. लेकिन फिलहाल जो वायरस फैल रहा है उसे ‘इंफ्लुएंजा ए’ का सब-वेरिएंट एच3एन2 माना गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस मनुष्यों में श्वसन संबंधी संक्रमण पैदा करता है. यह बहुत संक्रामक वायरस है जो तेजी से फैलता है तथा मनुष्यों में इन्फ्लूएंजा होने के अहम कारणों में से एक माना जाता है.

एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस के लक्षण व प्रभाव

एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि यह वायरस व्यक्ति के छींकने, खांसने और यहां तक की बोलने पर मुंह या नाक से निकलने वाली बूंदों के माध्यम से फैलता है. इन बूंदों के सीधे संपर्क में आने से या इनसे प्रभावित किसी स्थान या वस्तु को छूकर बिना हाथ धोए हाथ से मुंह या नाक को छूने या कुछ भी खाने से यह संक्रमण फैल सकता है.

रिपोर्ट के अनुसार इस वायरस के कारण होने वाले संक्रमण में पीड़ित को शुरुआत में 2-3 दिनों तक तेज बुखार होता है. इसके अलावा पीड़ित में शरीर में दर्द, सिरदर्द, कंपकपी, नाक बहना, छींके आना, मतली-उल्टी, गले में दर्द-खराश-जलन , मांसपेशियों और शरीर में दर्द, कुछ मामलों में दस्त तथा लगातार दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक खांसी जैसे लक्षण भी नजर आते हैं.

इस रिपोर्ट के अनुसार यह वायरस मनुष्यों में ऊपरी श्वसन में हल्के से लेकर गंभीर संक्रमण पैदा कर सकता है. जिसके चलते उनमें हल्की या गंभीर सर्दी, खांसी व बुखार से लेकर गंभीर निमोनिया, एक्यूट रेस्पीरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम, शॉक जैसे समस्याएं भी हो सकती हैं. यहां तक की समस्या ज्यादा बढ़ने पर जान जाने का जोखिम भी बढ़ सकता है.

क्या कहते हैं चिकित्सक
भोपाल के जनरल फिजीशियन डॉ राजेश शर्मा बताते हैं कि आमतौर पर जिस समय मौसम बदलता है, खासतौर पर होली के आसपास के समय में वैसे भी सामान्य फ्लू व संक्रमण के मामले बढ़ जाते हैं , इसी के चलते इस समय इन्फ्लूएंजा होने तथा उसके फैलने की आशंका भी काफी ज्यादा रहती है. वह बताते हैं कि अलग अलग कारणों से होने वाले संक्रमणों के पीड़ितों की संख्या देखी जाय तो यह सत्य है कि इस बार वायरल तथा वायरस जनित संक्रमणों के मामले ज्यादा देखने में आ रहें हैं. यही कारण है की सर्दी-जुखाम –बुखार के मामलों में काफी बढ़ोतरी देखी जा रही है. लेकिन इसके लिए एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस के प्रसार से ज्यादा मौसमी तथा जलवायु परिवर्तन को कारण माना जाना ज्यादा सही होगा. इसके अलावा कोविड़ के बाद से हर उम्र के लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी भी वर्तमान समय में किसी भी प्रकार के संक्रमण के होने तथा उसके ठीक होने में ज्यादा समय लेने का कारण बन रही है.

वह बताते हैं कि एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस के लक्षण बिल्कुल साधारण फ्लू जैसे ही हैं. हालांकि सामान्य तौर पर इस सब वायरस की आम प्रवृत्ति को जानलेवा नहीं माना जा सकता है. लेकिन यदि इसका सही समय पर सही इलाज ना हो और वायरस से संक्रमित व्यक्ति में संक्रमण के प्रभाव के चलते गंभीर श्वसन संबंधी तथा अन्य गंभीर समस्याएं पनपने लगें तो यह पीड़ित की अवस्था के गंभीर होने तथा कई बार संक्रमण के जानलेवा प्रभाव का कारण बन सकता है.

इसलिए जरूरी है कि सर्दी-जुखाम-बुखार-छाती में जकड़न, शरीर में दर्द या फ्लू के लक्षणों में शामिल अन्य लक्षणों के तीव्र रूप में प्रभावित करने की अवस्था में खुद से इलाज करने की बजाय एक बार चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लिया जाय. ऐसे में यदि पीड़ित के लक्षणों को देखते हुए यदि चिकित्सक को अंदेशा होगा तो वह एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस जांच के लिए निर्देश दे सकेंगे. वह बताते हैं कि इस वायरस के प्रभाव में आने का जोखिम बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं में ज्यादा रहता है . वहीं ऐसे लोग जिन्हे पहले से अस्थमा, ह्रदय रोग, मोटापा और मधुमेह जैसी परेशानियां हैं उन्हे विशेषरूप से एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस के प्रभाव में आने से बचने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए क्योंकि यह उनके लिए स्वास्थ्य जोखिम ज्यादा बढ़ा सकता है.

सावधानियां
डॉ राजेश बताते हैं कि फैलने वाला संक्रमण चाहे कोविड़ हो, एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस जनित संक्रमण हो या कोई भी अन्य वायरस या बैक्टीरिया जनित संक्रमण, उसके प्रसार को रोकने के लिए जरूरी है वायरस के प्रभाव में आने से बचने के लिए हर संभव प्रयास किए जाए. तथा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए भी प्रयास किए जाएं. जिसके लिए तमाम सुरक्षा सावधानियों को अपनाने के साथ आहार का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी है. संक्रमण से बचाव में जो सावधानियां तथा उपाय मददगार हो सकते हैं उनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  1. भीड़भाड़ वाले स्थानों में मास्क का उपयोग करें.
  2. यदि घर में किसी व्यक्ति में किसी भी प्रकार संक्रमण के लक्षण नजर आ रहे हो तो उन्हे मास्क पहनने के लिए कहें, उनके आसपास स्वच्छता का ध्यान रखें तथा जहां तक संभव हो उनसे शारीरिक दूरी बनाकर रखें.
  3. आहार का विशेष ध्यान रखें. सही समय पर ताजा बना हुआ दालों, अनाज व सब्जियों से भरपूर सुपाच्य आहार लें.
  4. अपनी आहार दिनचर्या में मौसमी फलों की मात्रा बढ़ाएं. साथ ही रोज जरूरी मात्रा में पानी पिए.
  5. ज्यादा ठंडे या कोल्ड ड्रिंक सरीखे पेय पदार्थों से जहां तक संभव हो परहेज करें. उनके स्थान पर ताजे फलों के जूस, नींबू पानी, नारियल पानी का सेवन करें. लेकिन यदि संक्रमण के लक्षण नजर आ रहे हों तो दही, मट्ठा या छाछ आदि का उपयोग चिकित्सक से परामर्श के बाद ही करें.
  6. घर में बुजुर्गों, बच्चों तथा ऐसे लोगों, जो पहले से मधुमेह, ह्रदय रोग, उच्च रक्तचाप, पुरानी सांस की बीमारी या किडनी की समस्या आदि से पीड़ित हों, साथ ही वे लोग जिनकी हाल ही में सर्जरी हुई हो, का विशेष ध्यान रखें.
  7. अपने आसपास स्वच्छता का ध्यान रखें.
  8. खांसते या छींकते समय नाक और मुंह को अच्छी तरह कवर करें.
  9. अपने हाथों को बार-बार धोएं. दरअसल इस समय सामान्य संक्रमण व इन्फ्यूएंजा के अलावा आंखों में संक्रमण या पेट खराब होने के मामले भी काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं. ऐसे में बिना साबुन से हाथ धोए ना सिर्फ कुछ भी खाने से बल्कि आंखों तथा चेहरे को बार-बार छूने से बचना चाहिए.
  10. अपनी नियमित दिनचर्या में व्यायाम को भी शामिल करें.

Human Avian Influenza- इन लक्षणों से रहें सावधान, देश-विदेश में लगातार बढ़ रहे मामले

Last Updated : Apr 5, 2023, 12:10 PM IST
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