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Antacids Side Effects : किडनी खराब करने के साथ कैंसर का कारण भी बन सकते है कुछ खास एंटासिड

एसिडिटी के कारण Antacids (एंटासिड) खाना आम बात हो गई है. यहां तक कि कई लोग तो किसी फंक्शन में जाने से पहले ही Antacids घर से इस डर से खाकर जाते हैं कि वहां का खाना, कहीं बाद में Acidity ना करे. लोगों को लगता है एंटासिड सुरक्षित दवा है लेकिन ऐसा नहीं है, पर जानिए क्यों... Antacids Side Effects . Acidity medicine .

antacids can have adverse effects
एसिडिटी - कॉन्सेप्ट इमेज
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Published : Apr 22, 2023, 1:15 PM IST

Updated : Apr 22, 2023, 2:27 PM IST

वयस्कों में आजकल कुछ भी खाने के बाद एसिडिटी के कारण एंटासिड खाना आम बात हो गई है. यहां तक कि कई लोग तो किसी शादी या फंक्शन में जाने से पहले ही एंटासिड घर से इस डर से खाकर जाते हैं कि वहां का खाना, कहीं बाद में एसिडिटी ना करे. ज्यादातर लोगों को लगता है एंटासिड बहुत ही सुरक्षित दवा है और इसे कोई भी कभी भी ले सकता है. लेकिन ऐसा नहीं है. जरूरत से ज्यादा और बिना जरूरत एंटासिड का सेवन ना सिर्फ किडनी फेल होने का कारण बन सकता है बल्कि गैस्ट्रिक कैंसर का कारण भी बन सकता है.दुनिया भर में हुए कई शोधों में इस बात का उल्लेख किया जा चुका है कि लगातार एंटासिड का सेवन पाचन तंत्र व पाचन क्रिया को नुकसान पहुंचाने के साथ ही किडनी से जुड़ी गंभीर समस्याओं , ह्रदय रोग, उच्च रक्तचाप, आंतों से जुड़े गंभीर रोग और यहां तक की एसोफैगस व आंतों के कैंसर का कारण भी बन सकता है. Antacids Side Effects . Acidity medicine .

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एसिडिटी - कॉन्सेप्ट इमेज

दरअसल हमारे शरीर की ज्यादातर समस्याएं तथा रोग हमारे पाचन तंत्र से जुड़े माने जाते है. आमतौर पर कई कारणों से पेट में जब भोजन पचाने के लिए जरूरी एसिड ज्यादा मात्रा में बनने लगता है और जब गैस, अपच या एसिडिटी जैसी समस्याएं होने लगती हैं , तो लोग अपने आप एंटासिड का इस्तेमाल कर लेते हैं. यदि एंटासिड का इस्तेमाल कभी कभी ही किया जाए तो निसंदेह यह नुकसानदायक नहीं होता है लेकिन यदि इसका ज्यादा या लंबे समय तक उपयोग होने लगे तो यह शरीर में कई गंभीर समस्याओं का जनक बन सकता है.

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एंटासिड

एंटासिड के ज्यादा उपयोग से होने वाली समस्याएं और उनके कारण
दुनिया भर के कई शोधों व मेडिकल मैगजीन में प्रकाशित जानकारी, कई सरकारी व गैर सरकारी चिकित्सीय संस्थाओं द्वारा प्रकाशित व उनकी वेब साइट पर उपलब्ध आधिकारिक सूचना तथा चिकित्सकों से प्राप्त जानकारी के अनुसार एंटासिड के लंबी अवधि तथा ज्यादा मात्रा में उपयोग के चलते जिन गंभीर रोगों, समस्याओं व अवस्थाओं के होने का जोखिम बढ़ जाता हैं, उनमें से कुछ तथा उनके कारण इस प्रकार हैं .

antacids can have adverse effects
एसिडिटी - कॉन्सेप्ट इमेज

एंटासिड का ज्यादा उपयोग पाचन क्रिया की रफ्तार को कम करता है क्योंकि यह भोजन को पचाने के लिए जरूरी एसिड की तीव्रता को कम करता है. इससे सिर्फ पाचन क्रिया ही प्रभावित नहीं होती है, बल्कि आहार से पोषक तत्वों के अवशोषण की क्रिया पर भी असर पड़ता है. जिससे शरीर में टॉक्सिन बढ़ने लगते हैं और जरूरी पोषण भी एबजॉर्व नहीं हो पाते हैं. जब पाचन क्रिया सही नहीं होती है तो कभी दस्त तो कभी कब्ज जैसी समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है. जिससे ना सिर्फ शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होने लगती है, साथ ही हमेशा थकान, उल्टी-मतली, सिर-कंधे व बाजुओं में दर्द और यहां तक पेशाब में भी समस्या होने लगती है.

एंटासिड के ज्यादा उपयोग से किडनी को नुकसान हो सकता है. दरअसल कुछ एंटासिड में ऐसे यौगिक पाए जाते हैं जो लंबे समय तक लेने पर किडनी के लिए हानिकारक और यहां तक की किडनी फेल होने के लिए भी जिम्मेदार हो सकते हैं. जैसे प्रोटॉन पंप इनहिबिटर (पीपीआई) आदि. इसके अलावा पाचन क्रिया के सही से ना होने कारण भी किडनी के कार्य पर असर पड़ता है. जो किडनी में समस्या का कारण बन सकता है.

कुछ वर्ष पहले एक वैश्विक अध्ययन में इस बात का उल्लेख किया गया था कि "गैस" और हार्ट बर्न के इलाज के लिए लंबे समय तक पीपीआई केटेगरी के तहत आने वाली एंटी एसिडिटी दवाओं के उपयोग के चलते किडनी की क्षति या उससे जुड़ी अन्य कम या ज्यादा गंभीर समस्याओं के होने की आशंका, गैस्ट्रिक कैंसर, हड्डियों में कमजोरी या उनका ज्यादा टूटना तथा ऑस्टियोपोरिसिस जैसी समस्याओं का जोखिम काफी ज्यादा बढ़ जाता है. दरअसल पीपीआई दवाओं को एसिड रिफ्लक्स और अपच के अलावा आर्थोपेडिक्स, कार्डियोलॉजी, आंतरिक चिकित्सा और सर्जरी में भी दिया जाता है.

सिर्फ पाचन क्रिया में परेशानी के कारण ही नहीं बल्कि कई बार एस्पिरिन युक्त एंटासिड का इस्तेमाल भी ह्रदय से जुड़ी समस्याओं व उच्च रक्तचाप में परेशानी बढ़ने का कारण बन सकता है. रैनिटिडिन युक्त एंटासिड के इस्तेमाल से कैंसर का जोखिम होने का उल्लेख भी कई शोधों में किया जा चुका है. दरअसल रैनिटिडिन में नाइट्रेट मिथाइल माइन (एनडीएमए) नामक एक तत्व पाया जाता है जिसे इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर द्वारा इंसानों के लिए संभावित कार्सिनोजेनिक के रूप में वर्गीकृत किया जा चुका है. इसी के चलते भारत में रैनिटिडिन ड्रग जोकि जिनटेक, पेपलोक, एसीलोक तथा रेनटेक आदि नामों से बिकती थी उन के इस्तेमाल पर रोक लगाई जा चुकी है.

ज्यादा एंटासिड खाने से जब पेट में एसिड ज्यादा निष्क्रिय होने लगता है तो यह पाचन में रुकावट पैदा करता है. इसके कारण यदि बिना पचा या कम पचा भोजन जब आंत में पहुंचता हैं, तो आंतों को नुकसान पहुंचा सकता हैं. ऐसे में ऑटोइम्यून डिजीज या आईबीएस का जोखिम भी बढ़ सकता है. ऐसे एंटासिड जिनमें एल्यूमीनियम , मैग्नीशियम या सोडियम हो, उन्हें लेने की आम अवधि के दौरान भी दवा लेने वाले की सेहत की निगरानी जरूरी है. क्योंकि कई बार इस प्रकार के एंटासिड, बताई गई अवधि से ज्यादा लेने पर शरीर में एल्यूमीनियम टॉक्सिसिटी, किडनी में समस्या , डायरिया, शरीर में आयरन के अवशोषण में कमी व हीमोग्लोबिन के स्तर में कमी का कारण बन सकते हैं.

लंबे समय तक एंटासिड का सेवन फैटी लीवर की समस्या होने का जोखिम भी बढ़ाता है. एंटासिड के ज्यादा सेवन से पेट व आंतों में सूजन व छाले , गैस्ट्रो व एसोफैगल संबंधी कम या ज्यादा गंभीर समस्याएं ,पेट में अल्सर, हार्टबर्न, एसिड रिफ्लक्स, तथा जीईआरडी आदि समस्याएं भी हो सकती हैं.

क्या कहते हैं चिकित्सक
कुछ समय पहले अपने एक यूट्यूब चैनल में कार्डियक, थोरेसिक और वैस्कुलर सर्जन डॉ. श्रीराम नेने ने इस बात का उल्लेख किया था कि भारत में लगभग " 7% से 30 % लोग जीईआरडी या गैस्ट्रो-एसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज नामक स्थिति से पीड़ित हैं और उससे बचाव के लिए वे नियमित तौर पर एंटासिड लेने का सहारा लेते हैं. उन्होंने इस वीडियो में इस बारे में भी बताया था कि ऐसी स्थिति सिर्फ आंत संबंधी समस्याओं का ही नहीं बल्कि किडनी की कम या ज्यादा गंभीर समस्याओं का कारण भी बन सकती है.

भोपाल के जनरल फिजीशियन डॉ राजेश शर्मा भी इस बात की पुष्टि करते हैं. वह बताते हैं कि एसिडिटी हर उम्र के लोगों में एक बेहद ही आम समस्या है. वहीं चूंकि एंटासिड को सबसे सुरक्षित दवाओं में गिना जाता है, इसलिए लोग आमतौर पर अपने घरों में खाने या पीने वाली एंटासिड रखते ही हैं. जो कभी कभार जरूरत पड़ने पर वे अपने आप ले लेते हैं. लेकिन जब कुछ खास परिसतिथ्यों में चिकित्सक रोग के निवारण के लिए , किसी ऐसी स्ट्रॉंग दवा के साथ जो पाचन तंत्र पर भारी पड़ सकती है, के साथ या कुछ अन्य समस्याओं में रोगी को एंटासिड देते हैं, तो बहुत जरूरी है कि उसे सिर्फ बताई गई अवधि तक ही और बताए गए निर्देशों के अनुसार लिया जाय.

चिकित्सक से परामर्श जरूरी!
वह बताते हैं कि बहुत से लोग चिकित्सक द्वारा बताई गई अवधि के बाद भी अपने आप काफी लंबे समय तक ये दवाएं लेते रहते हैं. यहीं नहीं जिन लोगों को लगातार गैस, अपच, पेट फूलना आदि जैसी समस्याएं होती हैं या ऐसे बुजुर्ग लोग जिनका पाचन तंत्र कमजोर होता है, वे भी बिना चिकित्सक से पूछे ही लगातार यह दवाएं लेते रहते हैं. कभी कभी हल्की-फुल्की समस्या में एंटासिड अपने आप कम मात्रा में लिए जा सकते है. लेकिन यदि समस्या ज्यादा परेशान कर रही हो तो चिकित्सक से परामर्श बेहद जरूरी होता है .

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एंटासिड

वह बताते हैं कि सामान्य परिस्थिति या हल्की फुल्की समस्या में भी किसी भी प्रकार का एंटासिड बिना चिकित्सक के कहे लगातार एक महीने से ज्यादा नहीं लेना चाहिए. इसके अलावा एंटासिड लेते समय चिकित्सक के निर्देशों का सही तरह से पालन करना चाहिए जैसे यदि चिकित्सक कहे कि एंटासिड सुबह खाली पेट लेना है या उसे भोजन करने से 1-2 घंटे पहले लेना है तो उसी समय पर उसे लेना चाहिए. डॉ राजेश बताते हैं कि हमेशा यह याद रखना चाहिए कि दवा चाहे कितनी भी सुरक्षित हो उसे हमेशा किसी रोग या समस्या के निस्तारण के लिए ही दिया जाता है. इसलिए दवा को हमेशा चिकित्सक से परामर्श के बाद उनके द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुरूप ही लेना चाहिए.
Antacids Side Effects . Acidity medicine .

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वयस्कों में आजकल कुछ भी खाने के बाद एसिडिटी के कारण एंटासिड खाना आम बात हो गई है. यहां तक कि कई लोग तो किसी शादी या फंक्शन में जाने से पहले ही एंटासिड घर से इस डर से खाकर जाते हैं कि वहां का खाना, कहीं बाद में एसिडिटी ना करे. ज्यादातर लोगों को लगता है एंटासिड बहुत ही सुरक्षित दवा है और इसे कोई भी कभी भी ले सकता है. लेकिन ऐसा नहीं है. जरूरत से ज्यादा और बिना जरूरत एंटासिड का सेवन ना सिर्फ किडनी फेल होने का कारण बन सकता है बल्कि गैस्ट्रिक कैंसर का कारण भी बन सकता है.दुनिया भर में हुए कई शोधों में इस बात का उल्लेख किया जा चुका है कि लगातार एंटासिड का सेवन पाचन तंत्र व पाचन क्रिया को नुकसान पहुंचाने के साथ ही किडनी से जुड़ी गंभीर समस्याओं , ह्रदय रोग, उच्च रक्तचाप, आंतों से जुड़े गंभीर रोग और यहां तक की एसोफैगस व आंतों के कैंसर का कारण भी बन सकता है. Antacids Side Effects . Acidity medicine .

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एसिडिटी - कॉन्सेप्ट इमेज

दरअसल हमारे शरीर की ज्यादातर समस्याएं तथा रोग हमारे पाचन तंत्र से जुड़े माने जाते है. आमतौर पर कई कारणों से पेट में जब भोजन पचाने के लिए जरूरी एसिड ज्यादा मात्रा में बनने लगता है और जब गैस, अपच या एसिडिटी जैसी समस्याएं होने लगती हैं , तो लोग अपने आप एंटासिड का इस्तेमाल कर लेते हैं. यदि एंटासिड का इस्तेमाल कभी कभी ही किया जाए तो निसंदेह यह नुकसानदायक नहीं होता है लेकिन यदि इसका ज्यादा या लंबे समय तक उपयोग होने लगे तो यह शरीर में कई गंभीर समस्याओं का जनक बन सकता है.

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एंटासिड

एंटासिड के ज्यादा उपयोग से होने वाली समस्याएं और उनके कारण
दुनिया भर के कई शोधों व मेडिकल मैगजीन में प्रकाशित जानकारी, कई सरकारी व गैर सरकारी चिकित्सीय संस्थाओं द्वारा प्रकाशित व उनकी वेब साइट पर उपलब्ध आधिकारिक सूचना तथा चिकित्सकों से प्राप्त जानकारी के अनुसार एंटासिड के लंबी अवधि तथा ज्यादा मात्रा में उपयोग के चलते जिन गंभीर रोगों, समस्याओं व अवस्थाओं के होने का जोखिम बढ़ जाता हैं, उनमें से कुछ तथा उनके कारण इस प्रकार हैं .

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एंटासिड का ज्यादा उपयोग पाचन क्रिया की रफ्तार को कम करता है क्योंकि यह भोजन को पचाने के लिए जरूरी एसिड की तीव्रता को कम करता है. इससे सिर्फ पाचन क्रिया ही प्रभावित नहीं होती है, बल्कि आहार से पोषक तत्वों के अवशोषण की क्रिया पर भी असर पड़ता है. जिससे शरीर में टॉक्सिन बढ़ने लगते हैं और जरूरी पोषण भी एबजॉर्व नहीं हो पाते हैं. जब पाचन क्रिया सही नहीं होती है तो कभी दस्त तो कभी कब्ज जैसी समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है. जिससे ना सिर्फ शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होने लगती है, साथ ही हमेशा थकान, उल्टी-मतली, सिर-कंधे व बाजुओं में दर्द और यहां तक पेशाब में भी समस्या होने लगती है.

एंटासिड के ज्यादा उपयोग से किडनी को नुकसान हो सकता है. दरअसल कुछ एंटासिड में ऐसे यौगिक पाए जाते हैं जो लंबे समय तक लेने पर किडनी के लिए हानिकारक और यहां तक की किडनी फेल होने के लिए भी जिम्मेदार हो सकते हैं. जैसे प्रोटॉन पंप इनहिबिटर (पीपीआई) आदि. इसके अलावा पाचन क्रिया के सही से ना होने कारण भी किडनी के कार्य पर असर पड़ता है. जो किडनी में समस्या का कारण बन सकता है.

कुछ वर्ष पहले एक वैश्विक अध्ययन में इस बात का उल्लेख किया गया था कि "गैस" और हार्ट बर्न के इलाज के लिए लंबे समय तक पीपीआई केटेगरी के तहत आने वाली एंटी एसिडिटी दवाओं के उपयोग के चलते किडनी की क्षति या उससे जुड़ी अन्य कम या ज्यादा गंभीर समस्याओं के होने की आशंका, गैस्ट्रिक कैंसर, हड्डियों में कमजोरी या उनका ज्यादा टूटना तथा ऑस्टियोपोरिसिस जैसी समस्याओं का जोखिम काफी ज्यादा बढ़ जाता है. दरअसल पीपीआई दवाओं को एसिड रिफ्लक्स और अपच के अलावा आर्थोपेडिक्स, कार्डियोलॉजी, आंतरिक चिकित्सा और सर्जरी में भी दिया जाता है.

सिर्फ पाचन क्रिया में परेशानी के कारण ही नहीं बल्कि कई बार एस्पिरिन युक्त एंटासिड का इस्तेमाल भी ह्रदय से जुड़ी समस्याओं व उच्च रक्तचाप में परेशानी बढ़ने का कारण बन सकता है. रैनिटिडिन युक्त एंटासिड के इस्तेमाल से कैंसर का जोखिम होने का उल्लेख भी कई शोधों में किया जा चुका है. दरअसल रैनिटिडिन में नाइट्रेट मिथाइल माइन (एनडीएमए) नामक एक तत्व पाया जाता है जिसे इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर द्वारा इंसानों के लिए संभावित कार्सिनोजेनिक के रूप में वर्गीकृत किया जा चुका है. इसी के चलते भारत में रैनिटिडिन ड्रग जोकि जिनटेक, पेपलोक, एसीलोक तथा रेनटेक आदि नामों से बिकती थी उन के इस्तेमाल पर रोक लगाई जा चुकी है.

ज्यादा एंटासिड खाने से जब पेट में एसिड ज्यादा निष्क्रिय होने लगता है तो यह पाचन में रुकावट पैदा करता है. इसके कारण यदि बिना पचा या कम पचा भोजन जब आंत में पहुंचता हैं, तो आंतों को नुकसान पहुंचा सकता हैं. ऐसे में ऑटोइम्यून डिजीज या आईबीएस का जोखिम भी बढ़ सकता है. ऐसे एंटासिड जिनमें एल्यूमीनियम , मैग्नीशियम या सोडियम हो, उन्हें लेने की आम अवधि के दौरान भी दवा लेने वाले की सेहत की निगरानी जरूरी है. क्योंकि कई बार इस प्रकार के एंटासिड, बताई गई अवधि से ज्यादा लेने पर शरीर में एल्यूमीनियम टॉक्सिसिटी, किडनी में समस्या , डायरिया, शरीर में आयरन के अवशोषण में कमी व हीमोग्लोबिन के स्तर में कमी का कारण बन सकते हैं.

लंबे समय तक एंटासिड का सेवन फैटी लीवर की समस्या होने का जोखिम भी बढ़ाता है. एंटासिड के ज्यादा सेवन से पेट व आंतों में सूजन व छाले , गैस्ट्रो व एसोफैगल संबंधी कम या ज्यादा गंभीर समस्याएं ,पेट में अल्सर, हार्टबर्न, एसिड रिफ्लक्स, तथा जीईआरडी आदि समस्याएं भी हो सकती हैं.

क्या कहते हैं चिकित्सक
कुछ समय पहले अपने एक यूट्यूब चैनल में कार्डियक, थोरेसिक और वैस्कुलर सर्जन डॉ. श्रीराम नेने ने इस बात का उल्लेख किया था कि भारत में लगभग " 7% से 30 % लोग जीईआरडी या गैस्ट्रो-एसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज नामक स्थिति से पीड़ित हैं और उससे बचाव के लिए वे नियमित तौर पर एंटासिड लेने का सहारा लेते हैं. उन्होंने इस वीडियो में इस बारे में भी बताया था कि ऐसी स्थिति सिर्फ आंत संबंधी समस्याओं का ही नहीं बल्कि किडनी की कम या ज्यादा गंभीर समस्याओं का कारण भी बन सकती है.

भोपाल के जनरल फिजीशियन डॉ राजेश शर्मा भी इस बात की पुष्टि करते हैं. वह बताते हैं कि एसिडिटी हर उम्र के लोगों में एक बेहद ही आम समस्या है. वहीं चूंकि एंटासिड को सबसे सुरक्षित दवाओं में गिना जाता है, इसलिए लोग आमतौर पर अपने घरों में खाने या पीने वाली एंटासिड रखते ही हैं. जो कभी कभार जरूरत पड़ने पर वे अपने आप ले लेते हैं. लेकिन जब कुछ खास परिसतिथ्यों में चिकित्सक रोग के निवारण के लिए , किसी ऐसी स्ट्रॉंग दवा के साथ जो पाचन तंत्र पर भारी पड़ सकती है, के साथ या कुछ अन्य समस्याओं में रोगी को एंटासिड देते हैं, तो बहुत जरूरी है कि उसे सिर्फ बताई गई अवधि तक ही और बताए गए निर्देशों के अनुसार लिया जाय.

चिकित्सक से परामर्श जरूरी!
वह बताते हैं कि बहुत से लोग चिकित्सक द्वारा बताई गई अवधि के बाद भी अपने आप काफी लंबे समय तक ये दवाएं लेते रहते हैं. यहीं नहीं जिन लोगों को लगातार गैस, अपच, पेट फूलना आदि जैसी समस्याएं होती हैं या ऐसे बुजुर्ग लोग जिनका पाचन तंत्र कमजोर होता है, वे भी बिना चिकित्सक से पूछे ही लगातार यह दवाएं लेते रहते हैं. कभी कभी हल्की-फुल्की समस्या में एंटासिड अपने आप कम मात्रा में लिए जा सकते है. लेकिन यदि समस्या ज्यादा परेशान कर रही हो तो चिकित्सक से परामर्श बेहद जरूरी होता है .

antacids can have adverse effects
एंटासिड

वह बताते हैं कि सामान्य परिस्थिति या हल्की फुल्की समस्या में भी किसी भी प्रकार का एंटासिड बिना चिकित्सक के कहे लगातार एक महीने से ज्यादा नहीं लेना चाहिए. इसके अलावा एंटासिड लेते समय चिकित्सक के निर्देशों का सही तरह से पालन करना चाहिए जैसे यदि चिकित्सक कहे कि एंटासिड सुबह खाली पेट लेना है या उसे भोजन करने से 1-2 घंटे पहले लेना है तो उसी समय पर उसे लेना चाहिए. डॉ राजेश बताते हैं कि हमेशा यह याद रखना चाहिए कि दवा चाहे कितनी भी सुरक्षित हो उसे हमेशा किसी रोग या समस्या के निस्तारण के लिए ही दिया जाता है. इसलिए दवा को हमेशा चिकित्सक से परामर्श के बाद उनके द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुरूप ही लेना चाहिए.
Antacids Side Effects . Acidity medicine .

Summer - Heat Wave Tips : लू के थपेड़ों से बचाना है त्वचा और बालों को तो आजमाएं ये टिप्स

Last Updated : Apr 22, 2023, 2:27 PM IST
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