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मांसपेशी और हड्डी के दर्द से राहत दिलाती है 'ड्राई नीडलिंग'

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Published : Apr 9, 2021, 2:37 PM IST

Updated : Apr 9, 2021, 3:49 PM IST

'ड्राई नीडलिंग' चिकित्सा पद्धती दुनिया भर में मांसपेशी और हड्डी की समस्याओं तथा उनके चलते उत्पन्न दर्द से राहत के लिए फिजियोथेरेपिस्ट चिकित्सकों की पहली पसंद मानी जाती है। लेकिन बेहतर परिणामों के लिए बहुत जरूरी है की इस उपचार को अपनाने से पहले इस वैकल्पिक चिकित्सा पद्धती के बारे में लोग पूरी जानकारी लें तथा चिकित्सक के सलाह के उपरांत ही इस उपचार को अपनायें।

Dry needling
ड्राई नीडलिंग

शरीर में किसी भी प्रकार का दर्द हो, यदि असहनीय हो जाए, तो बर्दाश्त करना भारी पड़ जाता है। ऐसे में मरीज दवाइयों की शरण लेता है। लेकिन कई बार दवाइयों की अधिकता व्यक्ति के स्वास्थ्य पर हानिकारक असर भी डालती है। इसी अवस्था से बचने के लिए लोग दर्द निवारण के लिए विभिन्न प्रकार की वैकल्पिक चिकित्सा अपनाते हैं। ऐसी ही एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धती है 'ड्राई नीडलिंग'। यह उपचार पद्धती आमतौर पर फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा प्रदान की जाती है। ड्राई नीडलिंग के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए ETV भारत सुखीभवा की टीम ने योग प्रशिक्षक, फिजियोथेरेपिस्ट तथा वैकल्पिक चिकित्सा से जुड़ी डॉ. जहान्वी कथरानी से बात की।

'ड्राई नीडलिंग' की प्रक्रिया

जैसे की नाम से जाहिर है की इस पद्धती में उपचार के लिए सुइयों का उपयोग किया जाता है। सुइयों से जुड़ी उपचार पद्धतियों के बारे में लोग हालांकि अनजान तो नहीं है, लेकिन उन्हें इस प्रकार की वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों के बारे में ज्यादा जानकारी भी नहीं है। दरअसल एक्यूपंक्चर के अलावा भी कुछ अन्य चिकित्सा पद्धतियों में सुई से बेधने की प्रक्रिया इस्तेमाल की जाती है।

डॉ. जहान्वी कथरानी बताती हैं की 'ड्राई नीडलिंग' पद्धती को मांसपेशियों से जुड़ी समस्याओं और दर्द के इलाज के लिए काफी कारगर माना जाता है। हालांकि पद्धती की प्रक्रिया सुइयों के बेधन के कारण थोड़ी दर्द देने वाली होती है, लेकिन इसके फायदों के कारण फिजियोथेरेपिस्ट इस प्रक्रिया को लेकर काफी सकारात्मक सोच रखते हैं।

ड्राई नीडलिंग के इस्तेमाल

विभिन्न कारणों से सर के अलग-अलग हिस्सों या पूरे सर में होने वाले दर्द, अस्थि-बंध की चोट, जोड़ों के दर्द तथा सायटिका आदि का उपचार किया जाता है। इस थेरप्यूटिक उपचार प्रक्रिया के लिए शरीर की उन मांसपेशियों में विभिन्न फिलामेंट सूइयां लगाई जाती हैं, जो पीड़ा उत्पन्न करती हैं और जिनमें दर्द भड़काने वाले बिंदु होते हैं। इस में कोई इंजेक्शन द्वारा दिया जाने वाली दवाई नहीं होती और इस्तेमाल होने वाली सुई इंजेक्शन में इस्तेमाल होने वाली सुई से लगभग दस गुना पतली होती है, जोकि चौड़ाई में लगभग 0.16 एमएम से 0.3 एमएम तक होती है।

डॉ. जहान्वी बताती हैं की ड्राई नीडलिंग थेरेपी के दो प्रकार काफी प्रचलित हैं;

  1. डीप ड्राई नीडलिंग : इस प्रक्रिया में मांसपेशियों में सुई को थोड़ी ज्यादा गहराई तक प्रवेश करवाया जाता है।
  2. सुपरफिशियल ड्राई नीडलिंग : इस प्रक्रिया में सुई को मांसपेशियों के केवल ऊपरी हिस्से में प्रवेश करवाया जाता है।

ड्राई नीडलिंग और एक्यूपंक्चर

आमतौर पर लोग ड्राई नीडलिंग और एक्यूपंक्चर को एक मान लेते हैं, जबकि यह दो अलग-अलग प्रक्रियाएं हैं। ड्राई नीडलिंग प्रक्रिया में शरीर की एनाटोमी यानी शरीर रचना के आधार पर मांसपेशी और हड्डी तंत्र तथा मांसपेशियों की समस्याएं होने पर फिजियोथेरेपी के एक अंग के रूप में यह उपचार दिया जाता है। वहीं एक्यूपंक्चर में शरीर के कुछ निश्चित बिन्दुओं पर उपचार देकर ऊर्जा के रुकावट को नियमित व ऊर्जा को सन्तुलित किया जाता है। प्रक्रिया में जरूरत के अनुसार सुई के अलावा कुछ साधनों का भी उपचार के दौरान उपयोग किया जा सकता है।

पढ़े: कमर का दर्द नजरअंदाज ना करें

किन परिस्थितियों में मददगार हो सकती है ड्राई नीडलिंग थेरेपी

  • मांसपेशियों में गांठ, शरीर के किसी भी हिस्से तथा जोड़ों में दर्द होने पर।
  • मांसपेशियों में कड़ापन या अकड़न होने पर।
  • गर्दन या कमर में दर्द होने पर।
  • घांव को हील करने के लिए।
  • मांसपेशी और हड्डी तंत्र से संबंधित दर्द होने पर, जैसे सामान्य या तनाव के कारण होने वाला सर दर्द तथा माइग्रेन।
  • मांसपेशी और हड्डी की समस्याएं जैसे कंधे की अकड़न, फ्रोजन शोल्डर, टेनिस एलबो, प्लांटर फैस्कीटिस यानी एडी में दर्द, पिंडलियों में दर्द, तथा टेंडिनाइटिस यानी मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़ने वाले उत्तकों में दर्द होने पर।
  • नसों में दर्द जैसे साइटिका होने पर।
  • ऑपरेशन के बाद होने वाली हड्डी संबंधी समस्याओं में।
  • फंक्शनल इम्पेयरमेंट यानी कार्यात्मक हानि होने पर।

किन परिस्थितियों में यह थेरेपी लेने से बचें

डॉ. जहान्वी कथरानी बताती हैं की कई बार विपरीत परिस्थितियों में इस उपचार पद्धती का उपयोग मरीज को ज्यादा परेशानी भी दे सकता हैं। इसलिए जरूरी है की उपचार लेने से पहले कुछ विशेष बातों को ध्यान में रखा जाए;

  1. सुई से जुड़ा फोबिया या डर होने पर, इस उपचार को करवाने से पीड़ित पर मानसिक दबाव बढ़ सकता है।
  2. इस थेरेपी या किसी अन्य थेरेपी (जिसमें सुई का उपयोग हुआ हो) में समस्या होने का इतिहास होने पर।
  3. आपात चिकित्सा में इस पद्धती को लेने की बचें।
  4. मानसिक समस्याएं होने पर।
  5. रक्त संबंधी विकार या रोग होने पर जैसे कैंसर तथा एच.आई.वी।
  6. सेप्सिस या किसी अन्य प्रकार का संक्रमण होने की अवस्था में।
  7. एंटीकोगुलेशन थेरेपी के मरीजों को, किसी भी कारण से पेट में रक्तस्राव की स्थिति होने पर तथा थ्रोम्बोसाइटोपेनिया होने पर यह उपचार लेने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूरी है।
  8. 5 से कम उम्र के बच्चों में ड्राई नीडलिंग प्रक्रियाएं प्रतिबंधित हैं, क्योंकि उनमें मांसपेशी और हड्डी का विकास होता हैं।
  9. मांसपेशियों की गंभीर कमजोरी के बावजूद जरायु रोगियों के लिए ड्राई नीडलिंग अच्छा नहीं माना जाता है।

ड्राई नीडलिंग थेरेपी के फायदे

  • न्यूरोट्रांसमीटर यानी अच्छा महसूस कराने वाले रसायन की शरीर में मात्रा बढ़ाता है।
  • रक्त का प्रवाह बढ़ाकर समस्या को दूर करता है।
  • थेरेपी के क्षेत्र में आक्सीजन की कमी सामान्य होती है।
  • पुराने से पुराने दर्द में भी राहत दिलाने में सक्षम है।
  • मांसपेशी और हड्डी तंत्र, फेससिया के साथ त्वचा के तनाव में राहत दिलाती है।
  • पुराने दर्द में सूजन प्रक्रिया को नियंत्रित करता है, जिससे प्रभावित क्षेत्र में दर्द में कमी आती है।

अधिक जानकारी के लिए डॉ. जान्हवी कथरानी से jk.swasthya108@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।

शरीर में किसी भी प्रकार का दर्द हो, यदि असहनीय हो जाए, तो बर्दाश्त करना भारी पड़ जाता है। ऐसे में मरीज दवाइयों की शरण लेता है। लेकिन कई बार दवाइयों की अधिकता व्यक्ति के स्वास्थ्य पर हानिकारक असर भी डालती है। इसी अवस्था से बचने के लिए लोग दर्द निवारण के लिए विभिन्न प्रकार की वैकल्पिक चिकित्सा अपनाते हैं। ऐसी ही एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धती है 'ड्राई नीडलिंग'। यह उपचार पद्धती आमतौर पर फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा प्रदान की जाती है। ड्राई नीडलिंग के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए ETV भारत सुखीभवा की टीम ने योग प्रशिक्षक, फिजियोथेरेपिस्ट तथा वैकल्पिक चिकित्सा से जुड़ी डॉ. जहान्वी कथरानी से बात की।

'ड्राई नीडलिंग' की प्रक्रिया

जैसे की नाम से जाहिर है की इस पद्धती में उपचार के लिए सुइयों का उपयोग किया जाता है। सुइयों से जुड़ी उपचार पद्धतियों के बारे में लोग हालांकि अनजान तो नहीं है, लेकिन उन्हें इस प्रकार की वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों के बारे में ज्यादा जानकारी भी नहीं है। दरअसल एक्यूपंक्चर के अलावा भी कुछ अन्य चिकित्सा पद्धतियों में सुई से बेधने की प्रक्रिया इस्तेमाल की जाती है।

डॉ. जहान्वी कथरानी बताती हैं की 'ड्राई नीडलिंग' पद्धती को मांसपेशियों से जुड़ी समस्याओं और दर्द के इलाज के लिए काफी कारगर माना जाता है। हालांकि पद्धती की प्रक्रिया सुइयों के बेधन के कारण थोड़ी दर्द देने वाली होती है, लेकिन इसके फायदों के कारण फिजियोथेरेपिस्ट इस प्रक्रिया को लेकर काफी सकारात्मक सोच रखते हैं।

ड्राई नीडलिंग के इस्तेमाल

विभिन्न कारणों से सर के अलग-अलग हिस्सों या पूरे सर में होने वाले दर्द, अस्थि-बंध की चोट, जोड़ों के दर्द तथा सायटिका आदि का उपचार किया जाता है। इस थेरप्यूटिक उपचार प्रक्रिया के लिए शरीर की उन मांसपेशियों में विभिन्न फिलामेंट सूइयां लगाई जाती हैं, जो पीड़ा उत्पन्न करती हैं और जिनमें दर्द भड़काने वाले बिंदु होते हैं। इस में कोई इंजेक्शन द्वारा दिया जाने वाली दवाई नहीं होती और इस्तेमाल होने वाली सुई इंजेक्शन में इस्तेमाल होने वाली सुई से लगभग दस गुना पतली होती है, जोकि चौड़ाई में लगभग 0.16 एमएम से 0.3 एमएम तक होती है।

डॉ. जहान्वी बताती हैं की ड्राई नीडलिंग थेरेपी के दो प्रकार काफी प्रचलित हैं;

  1. डीप ड्राई नीडलिंग : इस प्रक्रिया में मांसपेशियों में सुई को थोड़ी ज्यादा गहराई तक प्रवेश करवाया जाता है।
  2. सुपरफिशियल ड्राई नीडलिंग : इस प्रक्रिया में सुई को मांसपेशियों के केवल ऊपरी हिस्से में प्रवेश करवाया जाता है।

ड्राई नीडलिंग और एक्यूपंक्चर

आमतौर पर लोग ड्राई नीडलिंग और एक्यूपंक्चर को एक मान लेते हैं, जबकि यह दो अलग-अलग प्रक्रियाएं हैं। ड्राई नीडलिंग प्रक्रिया में शरीर की एनाटोमी यानी शरीर रचना के आधार पर मांसपेशी और हड्डी तंत्र तथा मांसपेशियों की समस्याएं होने पर फिजियोथेरेपी के एक अंग के रूप में यह उपचार दिया जाता है। वहीं एक्यूपंक्चर में शरीर के कुछ निश्चित बिन्दुओं पर उपचार देकर ऊर्जा के रुकावट को नियमित व ऊर्जा को सन्तुलित किया जाता है। प्रक्रिया में जरूरत के अनुसार सुई के अलावा कुछ साधनों का भी उपचार के दौरान उपयोग किया जा सकता है।

पढ़े: कमर का दर्द नजरअंदाज ना करें

किन परिस्थितियों में मददगार हो सकती है ड्राई नीडलिंग थेरेपी

  • मांसपेशियों में गांठ, शरीर के किसी भी हिस्से तथा जोड़ों में दर्द होने पर।
  • मांसपेशियों में कड़ापन या अकड़न होने पर।
  • गर्दन या कमर में दर्द होने पर।
  • घांव को हील करने के लिए।
  • मांसपेशी और हड्डी तंत्र से संबंधित दर्द होने पर, जैसे सामान्य या तनाव के कारण होने वाला सर दर्द तथा माइग्रेन।
  • मांसपेशी और हड्डी की समस्याएं जैसे कंधे की अकड़न, फ्रोजन शोल्डर, टेनिस एलबो, प्लांटर फैस्कीटिस यानी एडी में दर्द, पिंडलियों में दर्द, तथा टेंडिनाइटिस यानी मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़ने वाले उत्तकों में दर्द होने पर।
  • नसों में दर्द जैसे साइटिका होने पर।
  • ऑपरेशन के बाद होने वाली हड्डी संबंधी समस्याओं में।
  • फंक्शनल इम्पेयरमेंट यानी कार्यात्मक हानि होने पर।

किन परिस्थितियों में यह थेरेपी लेने से बचें

डॉ. जहान्वी कथरानी बताती हैं की कई बार विपरीत परिस्थितियों में इस उपचार पद्धती का उपयोग मरीज को ज्यादा परेशानी भी दे सकता हैं। इसलिए जरूरी है की उपचार लेने से पहले कुछ विशेष बातों को ध्यान में रखा जाए;

  1. सुई से जुड़ा फोबिया या डर होने पर, इस उपचार को करवाने से पीड़ित पर मानसिक दबाव बढ़ सकता है।
  2. इस थेरेपी या किसी अन्य थेरेपी (जिसमें सुई का उपयोग हुआ हो) में समस्या होने का इतिहास होने पर।
  3. आपात चिकित्सा में इस पद्धती को लेने की बचें।
  4. मानसिक समस्याएं होने पर।
  5. रक्त संबंधी विकार या रोग होने पर जैसे कैंसर तथा एच.आई.वी।
  6. सेप्सिस या किसी अन्य प्रकार का संक्रमण होने की अवस्था में।
  7. एंटीकोगुलेशन थेरेपी के मरीजों को, किसी भी कारण से पेट में रक्तस्राव की स्थिति होने पर तथा थ्रोम्बोसाइटोपेनिया होने पर यह उपचार लेने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूरी है।
  8. 5 से कम उम्र के बच्चों में ड्राई नीडलिंग प्रक्रियाएं प्रतिबंधित हैं, क्योंकि उनमें मांसपेशी और हड्डी का विकास होता हैं।
  9. मांसपेशियों की गंभीर कमजोरी के बावजूद जरायु रोगियों के लिए ड्राई नीडलिंग अच्छा नहीं माना जाता है।

ड्राई नीडलिंग थेरेपी के फायदे

  • न्यूरोट्रांसमीटर यानी अच्छा महसूस कराने वाले रसायन की शरीर में मात्रा बढ़ाता है।
  • रक्त का प्रवाह बढ़ाकर समस्या को दूर करता है।
  • थेरेपी के क्षेत्र में आक्सीजन की कमी सामान्य होती है।
  • पुराने से पुराने दर्द में भी राहत दिलाने में सक्षम है।
  • मांसपेशी और हड्डी तंत्र, फेससिया के साथ त्वचा के तनाव में राहत दिलाती है।
  • पुराने दर्द में सूजन प्रक्रिया को नियंत्रित करता है, जिससे प्रभावित क्षेत्र में दर्द में कमी आती है।

अधिक जानकारी के लिए डॉ. जान्हवी कथरानी से jk.swasthya108@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।

Last Updated : Apr 9, 2021, 3:49 PM IST
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