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Alzheimer Day 2023 : जानिए डिमेंशिया व अल्जाइमर के बीच का अंतर, विश्व अल्जाइमर दिवस विशेष

World Alzheimer Day 2023 : हर साल 21 सितंबर को मनाए जाने वाले विश्व अल्जाइमर दिवस तथा पूरे सितंबर माह तक चलने वाले अल्जाइमर माह के आयोजन का उद्देश्य इस रोग के बारें में दुनिया के हर हिस्से में जागरूकता फैलाना है.

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विश्व अल्जाइमर दिवस
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 21, 2023, 12:56 AM IST

Updated : Sep 21, 2023, 11:36 AM IST

World Alzheimer Day : वर्तमान समय में दुनिया भर में अल्जाइमर को लेकर लगातार नए-नए शोध तथा रिसर्च हो रहे हैं. जिनका उद्देश्य सिर्फ इस रोग के इलाज व प्रबधन के लिए बेहतर विकल्पों की तलाश करना ही नहीं है , बल्कि लोगों को इस रोग से जुड़े वास्तविक तथ्यों के बारें में जागरूक करना भी है. हर साल 21 सितंबर को मनाए जाने वाले विश्व अल्जाइमर दिवस तथा पूरे सितंबर माह तक चलने वाले अल्जाइमर माह के आयोजन का उद्देश्य भी हर संभव तरीके से इस रोग के बारें में दुनिया के हर हिस्से में आम जन में जागरूकता फैलाना तथा पीड़ितों की मदद के लिए मौके तथा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रयास करना है.इस बार की थीम 'कभी भी जल्दी नहीं कभी बहुत देर नहीं' World Alzheimer Day 2023 मनाया जा रहा है.

क्या है अल्जाइमर तथा उसके प्रभाव
अल्जाइमर एक तंत्रिका संबंधी विकार है जो मस्तिष्क संबंधी गतिविधियों जैसे स्मृति और संज्ञानात्मक कार्यों को प्रभावित करता है. इस विकार में धीरे-धीरे व्यक्ति की याददाश्त और सोचने की क्षमता को कम होने लगती हैं. और बाद में यह विकार पूरी तरह से स्मृति हानि, मनोभ्रंश और यहां तक की दैनिक जीवन के सामान्य कार्यों को करने की क्षमता में कमी जैसे प्रभावों का कारण बन सकता है. कई लोग अल्जाइमर और डिमेंशिया को एक ही रोग मानते हैं. क्योंकि इन दोनों में ही स्मृति हानि तथा कुछ अन्य एक जैसे लक्षण नजर आते हैं. लेकिन डिमेंशिया एक सिंड्रोम है और अल्जाइमर एक डिजीज है. इसे इस तरह से कहना या समझना ज्यादा बेहतर होगा कि डिमेंशिया ऐसा सिंड्रोम हैं जिसके तहत उन अवस्थाओं व समस्याओं को शामिल किया जाता है जिनमे मुख्यतः स्मृति हानी तथा व्यवहार संबंधी समस्याएं शामिल होती है.

अल्जाइमर को डिमेंशिया का ही एक प्रकार एक माना जाता है. अल्जाइमर के लक्षण अधिकतर 65 वर्ष की आयु के बाद नजर आने शुरू होते हैं. लेकिन कुछ खास अवस्थाओं, मनोरोगों या रोगों के पार्श्व प्रभाव के कारण वृद्धावस्था से पहले भी इसके लक्षण नजर आने शुरू हो सकते हैं. इस रोग को पूरी तरह से ठीक करने के लिए कोई दवा नहीं है या यह कहना ज्यादा सही होगा कि इसका कोई शत-प्रतिशत इलाज नहीं है. लेकिन अलग-अलग लक्षणों के निदान के लिए दी जाने वाली दवाओं तथा सावधानियों के साथ रोग के सही तरह से प्रबंधन के लिए प्रयास करने से उनकी प्रगति को धीमा किया जा सकता है.

विश्व अल्जाइमर दिवस : ज्यादातर आम लोग अल्जाइमर को एक आम स्मृति हानी से जुड़े रोग की तरह देखते हैं . लेकिन यह एक ऐसा गंभीर मनोभ्रंश या मस्तिष्क विकार हैं जिसके निदान या प्रबंधन के लिए यदि सही समय पर प्रयास ना किया जाय तो यह व्यक्ति के सम्पूर्ण मानसिक स्वास्थ्य यहां तक की उसके कार्य करने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है. अल्जाइमर के कारणों,जांच व निदान तथा प्रबंधन से जुड़े मुद्दों के लेकर आम जन में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 21 सितंबर को वैश्विक स्तर पर विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है. यही नहीं पूरे सितंबर माह को भी अल्जाइमर माह के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष यह World Alzheimer Day 2023 “ कभी भी जल्दी नहीं कभी बहुत देर नहीं “ थीम के साथ मनाया जा रहा हैं.

इतिहास तथा महत्व : आमतौर पर सामान्य परिस्थितियों में याददाश्त में कमजोरी को ज्यादातर लोग ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते हैं. वहीं उम्र ज्यादा होने पर तो जब यह समस्या बढ़ने भी लगती है तो इसे बुढ़ापे का आम लक्षण मान कर इसकि उपेक्षा कर देते हैं. ऐसे में लक्षणों को लेकर अनभिज्ञता या रोग के बारें में जानकारी के अभाव के कारण लोग चिकित्सीय परामर्श लेने में देर कर देते हैं जिसका असर पीड़ित के इलाज तथा रोग के प्रबंधन पर पड़ता है. चूंकि पिछले कुछ सालों में हर प्रकार के रोगों की भांति अल्जाइमर के मामलों में भी बढ़ोत्तरी देखी जा रही है ऐसे में इस रोग तथा उससे जुड़ी जानकारियों के प्रसार तथा रोग को लेकर आमजन में जागरूकता काफी ज्यादा जरूरी होने लगी है.

गौरतलब है कि वर्ष 1901 में एक जर्मन मनोचिकित्सक डॉ. अलोइस अल्जाइमर ने एक जर्मन महिला का इलाज करते हुए इस विकार की खोज की थी. जिसके बाद में उन्हीं के नाम पर इस रोग का अल्जाइमर नाम दिया गया था. इस रोग की गंभीरता को समझते हुए अल्जाइमर के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से “विश्व अल्जाइमर दिवस” मनाए जाने की शुरुआत अल्‍जाइमर रोग इंटरनेशनल संगठन द्वारा की गई थी. दरअसल इस संगठन की स्थापना वर्ष 1984 में अल्जाइमर के रोगियों को इलाज तथा अन्य जरूरी दिशा में मार्गदर्शन देने तथा उन्हे हर संभव रूप में समर्थन देने के उद्देश्य से की गई थी.

ये भी पढ़ें :

Alzheimer : आंत-पेट विकार व अल्जाइमर में आनुवांशिक जुड़ाव है, ऑस्ट्रेलियाई शोध

21 सितंबर 1994 को संगठन की दसवीं वर्षगांठ के अवसर पर संगठन द्वारा अल्जाइमर के लेकर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस मनाए जाने की घोषणा की गई थी. तब से हर साल इस अवसर पर विभिन्न जागरूकता अभियानों जैसे सेमीनार, गोष्ठियों तथा शिविरों का आयोजन किया जाता रहा है. इसके अलावा सितंबर माह को अब दुनिया भर में “अल्जाइमर माह” के रूप में भी मनाया जाता है. जिसके तहत पूरे माह दुनिया भर में विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी संगठनों द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं.

World Alzheimer Day : वर्तमान समय में दुनिया भर में अल्जाइमर को लेकर लगातार नए-नए शोध तथा रिसर्च हो रहे हैं. जिनका उद्देश्य सिर्फ इस रोग के इलाज व प्रबधन के लिए बेहतर विकल्पों की तलाश करना ही नहीं है , बल्कि लोगों को इस रोग से जुड़े वास्तविक तथ्यों के बारें में जागरूक करना भी है. हर साल 21 सितंबर को मनाए जाने वाले विश्व अल्जाइमर दिवस तथा पूरे सितंबर माह तक चलने वाले अल्जाइमर माह के आयोजन का उद्देश्य भी हर संभव तरीके से इस रोग के बारें में दुनिया के हर हिस्से में आम जन में जागरूकता फैलाना तथा पीड़ितों की मदद के लिए मौके तथा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रयास करना है.इस बार की थीम 'कभी भी जल्दी नहीं कभी बहुत देर नहीं' World Alzheimer Day 2023 मनाया जा रहा है.

क्या है अल्जाइमर तथा उसके प्रभाव
अल्जाइमर एक तंत्रिका संबंधी विकार है जो मस्तिष्क संबंधी गतिविधियों जैसे स्मृति और संज्ञानात्मक कार्यों को प्रभावित करता है. इस विकार में धीरे-धीरे व्यक्ति की याददाश्त और सोचने की क्षमता को कम होने लगती हैं. और बाद में यह विकार पूरी तरह से स्मृति हानि, मनोभ्रंश और यहां तक की दैनिक जीवन के सामान्य कार्यों को करने की क्षमता में कमी जैसे प्रभावों का कारण बन सकता है. कई लोग अल्जाइमर और डिमेंशिया को एक ही रोग मानते हैं. क्योंकि इन दोनों में ही स्मृति हानि तथा कुछ अन्य एक जैसे लक्षण नजर आते हैं. लेकिन डिमेंशिया एक सिंड्रोम है और अल्जाइमर एक डिजीज है. इसे इस तरह से कहना या समझना ज्यादा बेहतर होगा कि डिमेंशिया ऐसा सिंड्रोम हैं जिसके तहत उन अवस्थाओं व समस्याओं को शामिल किया जाता है जिनमे मुख्यतः स्मृति हानी तथा व्यवहार संबंधी समस्याएं शामिल होती है.

अल्जाइमर को डिमेंशिया का ही एक प्रकार एक माना जाता है. अल्जाइमर के लक्षण अधिकतर 65 वर्ष की आयु के बाद नजर आने शुरू होते हैं. लेकिन कुछ खास अवस्थाओं, मनोरोगों या रोगों के पार्श्व प्रभाव के कारण वृद्धावस्था से पहले भी इसके लक्षण नजर आने शुरू हो सकते हैं. इस रोग को पूरी तरह से ठीक करने के लिए कोई दवा नहीं है या यह कहना ज्यादा सही होगा कि इसका कोई शत-प्रतिशत इलाज नहीं है. लेकिन अलग-अलग लक्षणों के निदान के लिए दी जाने वाली दवाओं तथा सावधानियों के साथ रोग के सही तरह से प्रबंधन के लिए प्रयास करने से उनकी प्रगति को धीमा किया जा सकता है.

विश्व अल्जाइमर दिवस : ज्यादातर आम लोग अल्जाइमर को एक आम स्मृति हानी से जुड़े रोग की तरह देखते हैं . लेकिन यह एक ऐसा गंभीर मनोभ्रंश या मस्तिष्क विकार हैं जिसके निदान या प्रबंधन के लिए यदि सही समय पर प्रयास ना किया जाय तो यह व्यक्ति के सम्पूर्ण मानसिक स्वास्थ्य यहां तक की उसके कार्य करने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है. अल्जाइमर के कारणों,जांच व निदान तथा प्रबंधन से जुड़े मुद्दों के लेकर आम जन में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 21 सितंबर को वैश्विक स्तर पर विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है. यही नहीं पूरे सितंबर माह को भी अल्जाइमर माह के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष यह World Alzheimer Day 2023 “ कभी भी जल्दी नहीं कभी बहुत देर नहीं “ थीम के साथ मनाया जा रहा हैं.

इतिहास तथा महत्व : आमतौर पर सामान्य परिस्थितियों में याददाश्त में कमजोरी को ज्यादातर लोग ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते हैं. वहीं उम्र ज्यादा होने पर तो जब यह समस्या बढ़ने भी लगती है तो इसे बुढ़ापे का आम लक्षण मान कर इसकि उपेक्षा कर देते हैं. ऐसे में लक्षणों को लेकर अनभिज्ञता या रोग के बारें में जानकारी के अभाव के कारण लोग चिकित्सीय परामर्श लेने में देर कर देते हैं जिसका असर पीड़ित के इलाज तथा रोग के प्रबंधन पर पड़ता है. चूंकि पिछले कुछ सालों में हर प्रकार के रोगों की भांति अल्जाइमर के मामलों में भी बढ़ोत्तरी देखी जा रही है ऐसे में इस रोग तथा उससे जुड़ी जानकारियों के प्रसार तथा रोग को लेकर आमजन में जागरूकता काफी ज्यादा जरूरी होने लगी है.

गौरतलब है कि वर्ष 1901 में एक जर्मन मनोचिकित्सक डॉ. अलोइस अल्जाइमर ने एक जर्मन महिला का इलाज करते हुए इस विकार की खोज की थी. जिसके बाद में उन्हीं के नाम पर इस रोग का अल्जाइमर नाम दिया गया था. इस रोग की गंभीरता को समझते हुए अल्जाइमर के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से “विश्व अल्जाइमर दिवस” मनाए जाने की शुरुआत अल्‍जाइमर रोग इंटरनेशनल संगठन द्वारा की गई थी. दरअसल इस संगठन की स्थापना वर्ष 1984 में अल्जाइमर के रोगियों को इलाज तथा अन्य जरूरी दिशा में मार्गदर्शन देने तथा उन्हे हर संभव रूप में समर्थन देने के उद्देश्य से की गई थी.

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21 सितंबर 1994 को संगठन की दसवीं वर्षगांठ के अवसर पर संगठन द्वारा अल्जाइमर के लेकर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस मनाए जाने की घोषणा की गई थी. तब से हर साल इस अवसर पर विभिन्न जागरूकता अभियानों जैसे सेमीनार, गोष्ठियों तथा शिविरों का आयोजन किया जाता रहा है. इसके अलावा सितंबर माह को अब दुनिया भर में “अल्जाइमर माह” के रूप में भी मनाया जाता है. जिसके तहत पूरे माह दुनिया भर में विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी संगठनों द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं.

Last Updated : Sep 21, 2023, 11:36 AM IST
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