हैदराबाद : मनुष्यों में या जानवरों में किसी ना किसी प्रकार की एलर्जी नजर आना एक बहुत ही सामान्य बात है. एलर्जी दरअसल कई प्रकार की हो सकती हैं जो मौसम, वातावरण, किसी खास प्रकार के आहार या दवा सहित कई कारणों से ट्रिगर हो सकती है. कुछ प्रकार की एलर्जी दवा की मदद से ठीक भी हो जाती हैं, लेकिन कई बार यह स्थाई समस्या बन जाती हैं जो कभी भी संबंधित एलर्जेन के संपर्क में आने पर तत्काल ट्रिगर हो जाती हैं.
एलर्जी के कारण क्या हैं ? यह किस-किस प्रकार की हो सकती है ? यह किन कारणों से ट्रिगर हो सकती हैं? इस बारें में विस्तार से जानने के लिए 'ईटीवी भारत' ने द्वारका नई दिल्ली की जनरल फिजीशियन डॉ कुमुद सेनगुप्ता से जानकारी ली.
क्यों होती है एलर्जी
डॉ कुमुद सेनगुप्ता बताती हैं कि वैसे तो एलर्जी होने के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं. लेकिन एलर्जी के कुल मामलों में से ज्यादातर के लिए हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली या इम्यून सिस्टम जिम्मेदार होता है. दरअसल हमारा इम्यून सिस्टम कई बार अलग-अलग कारणों से तथा अलग-अलग प्रकार के एलर्जेन को लेकर तीव्र प्रतिक्रिया देता है.
एलर्जेन उन तत्वों को कहा जाता है जो एलर्जी के लिए ट्रिगर का कार्य करते हैं. ऐसे में ऐलर्जेन को लेकर संवेदनशीलता के चलते एलर्जी के ट्रिगर होने पर पीड़ित में अलग-अलग प्रकार की एलर्जिक प्रतिक्रियाएं नजर आ सकती हैं. विभिन्न प्रकार की आम या दुर्लभ प्रकार की एलर्जी के ट्रिगर होने के लिए आमतौर पर जिन कारणों को सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना जाता है, उनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
मौसम व वातावरण जनित कारण
वह बताती हैं कि हर मौसम में लोगों में अलग-अलग प्रकार की एलर्जिक प्रतिक्रिया नजर आ सकती है. जैसे बरसात के मौसम में वातावरण में नमी तथा फंगस ज्यादा बढ़ने लगती है, जो ऐलर्जेन का काफी आम प्रकार हैं. बरसात में यह दोनों ही ऐलर्जेन ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं और पीड़ित में म्यूकस मेम्ब्रेन में इनफ्लेमेटरी रिएक्शन यानी एलर्जी का कारण बनते हैं. इस प्रकार की एलर्जी में ज्यादातर लोगों की श्वास नाली में सूजन तथा फेफड़ों में समस्या हो सकती है. वहीं सर्दी के मौसम में भी श्वसन संबंधी एलर्जी के ट्रिगर होने के मामले ज्यादा नजर आते हैं. जिसके चलते कई बार लोगों में इस मौसम में कम या ज्यादा गंभीर अस्थमा तथा अन्य ब्रॉन्कल एलर्जी के मामले ज्यादा देखने में आ सकते हैं.
वायु जनित कारण
वातावरण में ज्यादा शुष्कता आने पर, धूल मिट्टी बढ़ जाने, ज्यादा वायु प्रदूषण तथा उसके कारण धुएं के चलते तथा गंदगी के कारण भी कई बार संबंधित ऐलर्जेन ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं. जो ज्यादा संवेदनशील लोगों में एलर्जी का कारण बन जाते हैं. वहीं आम या लीची आदि के पेड़ों पर बौर आने, कुछ खास प्रकार के पौधों या फूलों के पौधों में पाए जाने वाले पराग के वातावरण में उड़ने या उनके वायु नली में प्रवेश करने पर एलर्जिक प्रतिक्रियाएं ट्रिगर हो सकती हैं.
फूड एलर्जी
कई लोगों में उनका इम्यून सिस्टम कुछ खास प्रकार के आहार को लेकर एलर्जिक प्रतिक्रिया दिखाता हैं. जैसे कई लोगों में डेयरी प्रोडक्ट खासतौर पर दूध या उससे बने उत्पाद, अंडे, सी-फूड, कुछ सूखे मेवों खासतौर पर मूंगफली तथा यहाँ तक की कुछ सब्जियों, फलों, अनाज या आटे से एलर्जिक प्रतिक्रिया नजर आ सकती हैं.
दवा से होने वाली एलर्जी
ऐसी कई प्रकार की दवाएं होती हैं जिन्हे लेकर कई लोगों में एलर्जिक प्रतिक्रिया देखने में आती हैं. इसलिए आमतौर पर चिकित्सक किसी भी दवा को लिखने से पहले इस बात की जानकारी जरूर लेते है की कहीं पीड़ित को किसी दवा से एलर्जी तो नहीं हैं. क्योंकि किसी दवा की एलर्जिक प्रतिक्रिया पीड़ित की समस्या के गंभीर या जानलेवा होने का कारण भी बन सकती हैं.
आमतौर पर जिन दवाओं को लेकर सबसे ज्यादा एलर्जिक प्रतिक्रिया देखने में आती हैं उनमें कुछ एंटीबायोटिक्स , दर्द निवारक दवाएं, कीमोथेरेपी या कैंसर के इलाज में दी जाने वाली दवाएं या कई बार उच्च रक्तचाप के लिए दी जाने वाली दवा शामिल हैं.
इनसे भी हो सकती है एलर्जी
इनके अलावा कुछ लोगों में लेटेक्स से बने दस्ताने, गुब्बारे, रबर बैन्ड, इरेजर व खिलौनों से , पोलिस्टर, लेदर तथा रेगजीन से बने कपड़ों से , परफ्यूम/ इत्र तथा कुछ खास रसायन से बने सुगंधित स्प्रे आदि से, कुछ प्रकार के मेकअप या स्किन केयर उत्पादो से किसी खास धातु से लोगों में एलरजिक प्रतिक्रियाएं देखने में आ सकती हैं.
एलर्जी के प्रभाव
डॉ कुमुद सेनगुप्ता बताती हैं कि अलग अलग प्रकार की एलर्जी के प्रभाव शरीर पर अलग अलग नजर आ सकते हैं. किसी भी प्रकार की एलर्जी के ट्रिगर होने पर आमतौर पर जिन प्रभावों तथा समस्याओं का सामना पीड़ित को करना पड़ता हैं, उनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- सांस लेने में तकलीफ
- खांसी/छींक आना
- अस्थमा होना, फेफड़ों में सूजन होना व जलन होना
- आंखे लाल हो जाना तथा उनसे लगातार पानी आना
- पेट में दर्द
- गले में दर्द
- उल्टी व मतली होना
- आवाज भर जाना
- त्वचा पर खासकर चेहरे, होंठ और आँखों पर सूजन/खुजली
- चमड़ी पर चकत्ते/दानें/लाल धब्बे
- एग्जिमा
- गले में तेज जलन और दर्द होना
- खाने में तकलीफ होना
- पेट में दर्द
- बुखार, आदि.
कैसे करें बचाव
वह बताती हैं कि कई बार एक पीड़ित को एक से ज्यादा प्रकार की एलर्जी भी सकती हैं. यदि पीड़ित व्यक्ति को पता है कि उसे किस चीज से एलर्जी है या कौन कौन से तत्व उसमें एलर्जी के ट्रिगर होने का कारण बन सकते हैं, तो उन्हे उनसे बचने का हर संभव प्रयास करना चाहिए.
डॉ कुमुद सेनगुप्ता बताती हैं कि एलर्जी चाहे किसी भी प्रकार की हो उनसे बचाव, उनके निस्तारण तथा उनके प्रबंधन में कुछ सावधानियों को अपनाना काफी जरूरी होता है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- यदि किसी खास खाद्य पदार्थ से एलर्जी से तो उसके सेवन से परहेज करना चाहिए.
- किसी व्यक्ति को यदि एक या एक से ज्यादा प्रकार की दवा से एलर्जी है तो उनका विशेष ध्यान रखना चाहिए तथा उनका रिकॉर्ड भी रखना चाहिए. बहुत जरूरी है कि एलर्जी के शिकार व्यक्ति, किसी भी आम या गंभीर परिस्थिति में इलाज से पहले चिकित्सक को इस संबंध में सूचित करें.
- अस्थमा या श्वसन तंत्र से जुड़ी एलर्जी का इतिहास रखने वाले लोगों में आमतौर पर मौसम बदलने पर, फूल खिलने पर, पेड़ों पर बौर आने पर या ज्यादा धूल मिट्टी में एलरजिक प्रतिक्रियाएं नजर आती हैं. उनके लिए मास्क पहनना काफी लाभकारी हो सकता है. इसके अलावा अपने आसपास स्वच्छता व सफाई बनाए रखना भी ऐसे संवेदनशील लोगों के लिए बेहद जरूरी है.
- नमी को लेकर ज्यादा संवेदनशील लोग अपने घर तथा दफ्तर में एयर-कंडीशनर या डीह्यूमिडिफायर का उपयोग कर सकते हैं.
- जिन लोगों को जानवर के बालों, लार या उनसे जुड़ी किसी भी चीज से एलर्जी हो तो उन्हे पालतू जानवरों को अपने सोने के कमरे या ऐसे स्थान से दूर रखना चाहिए जहां वे ज्यादा समय बिताते हों.
- वह बताती हैं जिन लोगों में किसी भी प्रकार की एलर्जी के बार बार होने का इतिहास हो उन्हें नियमित तौर पर चिकित्सक के संपर्क में रहना चाहिए तथा प्राथमिक उपचार तथा उपयोगी दवा की जानकारी रखनी चाहिए. इन लोगों को अपने स्वास्थ्य, दिनचर्या तथा स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए.