हाल ही में किए गए एक शोध में सामने आया है की तनावपूर्ण जिंदगी, व्यस्त कामों की सूची और खानपान की खराब आदतों के चलते महिलाओं को बड़ी संख्या में प्रजनन क्षमता से संबंधित मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है। रिसर्च में बताया गया है की गर्भधारण की कोशिश करने वालों के लिए स्वस्थ्य जीवन शैली का पालन बहुत जरूरी है क्योंकि स्वस्थ जीवन शैली न सिर्फ सहनशक्ति को बनाए रखती है साथ ही शरीर में ऊर्जा के स्तर को भी बढ़ाती है।
शोध में बताया गया है की गर्भवती होने की कोशिश करने की प्रक्रिया में, व्यायाम मददगार हो सकते हैं। उदारहण के लिए यदि वजन ज्यादा हो तो निर्धारित डाइट के साथ कुछ विशेष व्यायाम आपके शरीर को गर्भधारण के लिए शरीर और दिमाग को तैयार करता है। वहीं योगाभ्यास उन लोगों में सकारात्मकता को बढ़ावा देता है जो प्रजनन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे होते हैं।
योग कैसे प्रजनन को बढ़ाता है?
योगासन के कई फायदे हैं जो प्रजनन से जुड़े मामलों में कई तरीकों से मदद कर सकते हैं। फिटनेस कोच और न्यूट्रिशनिस्ट हस्ती सिंह बताती हैं की योग का अभ्यास जीवन तथा मन में सकारात्मकता को बढ़ावा देते हैं। वे बताती हैं की प्रजनन के मामलों में योग निम्नलिखित तरीकों से मदद कर सकते हैं।
- योग के अभ्यास यूट्रस (गर्भाशय ) और ओवरी को उत्तेजित करते हैं।
- योग आसन पीठ की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करते हैं।
- यह विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर शरीर को डिटॉक्सीफाई करता है।
- योगाभ्यास कमर और कूल्हों का लचीलापन प्रदान करता है।
- ये गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत और रीढ़ को अधिक लचीला बनाता है।
- प्रजनन अंगों में रक्त की आपूर्ति बढ़ाता है।
- नियमित योग अभ्यास मूड को सुधारते हैं और अवसाद और तनाव को कम करते हैं।
- योग के अभ्यास सरल और सेफ डिलीवरी को सुनिश्चित कराते हैं।
प्रजनन में मददगार हो सकते हैं यह आसन
- पश्चिमोत्तानासन आसन: सबसे पहले दोनों पैरों को आगे की ओर फैलाते हुए जमीन पर बैठ जाएं। ध्यान रहे, पैर की उंगलियां आगे की ओर एक साथ हों। अब धीरे- धीरे श्वास लें और अपनी बाहों को ऊपर की ओर उठाएं।
फिर धीरे-धीरे आगे की ओर झुकते समय साँस छोड़ें और जहां तक संभव हो शरीर को आगे की ओर झुकायें। इस आसन के अंतिम चरण में, दोनों हाथों को पैरों के तलवे और नाक को घुटनों से छूना चाहिए।
इस अभ्यास में पीठ के निचले हिस्से, कूल्हों और हैमस्ट्रिंग में खिंचाव आता हैं। यह गर्भाशय और डिम्बग्रंथि के कार्यों को बढ़ाता है और शरीर को आराम देता है।
- विपरिता करणी आसन: इस आसन को करने के लिए सबसे पहले आप जमीन पर एक मैट बिछाएं और पीठ के बल लेट जाएं। अब अपने पैरों को आकाश की ओर सीधा करें। आप अपने हाथों से कूल्हे और पीठ को समर्थन दे सकते हैं। इस मुद्रा में कम से कम 5 मिनट बिताएं। पाँव नीचे करते समय धीरे-धीरे सांस छोड़ें। अंत में शवासन में गहरी सांस लें और आराम करें। इस आसन से पीठ दर्द में राहत मिलती है और श्रोणि में बेहतर रक्त परिसंचरण होता है।
-आईएएनएस
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