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सप्ताह भर नहीं पूरे माह चलेगा कुपोषण को हराने का अभियान : 'राष्ट्रीय पोषण माह 2020' विशेष

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Published : Sep 1, 2020, 10:14 AM IST

Updated : Sep 2, 2020, 2:06 PM IST

कुपोषण के खिलाफ सरकारी तंत्र तथा गैरसरकारी संस्थाओं का संयुक्त मिशन 'पोषण अभियान' इस वर्ष सिर्फ एक सप्ताह नहीं बल्कि पूरे माह 'राष्ट्रीय पोषण माह 2020' के रूप में मनाया जाएगा. इस अभियान के तहत देश भर में विभिन्न प्रकार के जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा.

national nutrition week
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह

हमारे देश में कहावत है जैसा खाए अन्न, वैसा हो जाए मन. यानि हम जैसा भी भोजन करते है, उसका प्रभाव ना सिर्फ हमारे शरीर पर पड़ता है बल्कि हमारे मन और हमारी सोच पर भी पड़ता है, और जब बात बच्चों की हो तो और भी जरूरी हो जाता है वे अपने सही शारीरिक और मानसिक विकास के लिए स्वास्थ्यवर्धक और पोषक भोजन खाएं. लेकिन हमारे देश में आज भी बड़ी संख्या में बच्चे और महिलायें पोषक भोजन के अभाव में कुपोषण का शिकार हो जाते है. यही नहीं स्थिति ज्यादा खराब होने पर कई बच्चों और महिलाओं को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ता है. कुपोषण से ग्रसित ऐसे ही बहुत से बच्चों और महिलाओं की मदद के उद्देश्य से हर साल भारत सरकार द्वारा सितंबर के पहले सप्ताह में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जाता है.

वीएलसीसी हेल्थकेयर लिमिटेड की पोषण विभाग की कार्यक्रम प्रमुख डॉ. दीप्ति वर्मा ने पोषण अभियान के बारे में जानकारी देते हुए बताया की वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के झुंझुनू क्षेत्र से इस समग्र 'पोषण अभियान' की शुरुआत की थी. जिसका उद्देश्य शहर, ब्लॉक तथा ग्राम स्तर पर 6 साल की उम्र तक के बच्चों, लड़कियों, गर्भवती महिलाओं तथा स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण की जांच कर उनकी मदद करना था. तब से भारत वर्ष के हर राज्य, शहर, कस्बे तथा गांव में आने वाली पीढ़ी को कुपोषण रहित बनाने के संकल्प के साथ इस अभियान का बड़े स्तर पर आयोजन किया जाता है. जिसके तहत कुपोषित बच्चों और महिलाओं को ढूंढ कर उन्हें चिन्हित किया जाता है तथा उनकी मदद की जाती है.

इस अभियान के महत्व को समझते हुए सरकार ने इस बार 9 सितंबर 2020 से 'राष्ट्रीय पोषण सप्ताह' की बजाय 'राष्ट्रीय पोषण माह 2020' मनाने का निर्णय लिया है.

पोषण के लिए पौधे योजना

महिला एवं बाल विकास विभाग भारत सरकार के अनुसार इस वर्ष 'राष्ट्रीय पोषण माह 2020' के लिए दो मुख्य उद्देश्यों को निर्धारित किया गया है. जिनमें पहला है सीवियर एक्यूट मालन्यूट्रीशियन यानि अतिकुपोषण के शिकार बच्चों की खोज और उनका चिन्हिकरण तथा उनकी मदद व मोनिट्रिंग करना. वहीं दूसरा 'पोषण के लिए पौधे योजना' के तहत घरों में किचन गार्डन या सब्जियों का बगीचा बनाने के लिए लोगों को प्रेरित करना.

कुपोषण के खिलाफ अभियान

इस अभियान के तहत पूरे सितंबर माह में देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. जिसमें विभिन्न सरकारी विभाग तथा गैर सरकारी संस्थाएं मिलकर लोगों को कुपोषण के खिलाफ तथा भोजन के विश्लेषण यानि उनकी गुणवत्ता की जांच को लेकर जागरूक करने का प्रयास करेंगी. इसके अलावा पोषण माह के तहत घरों में किचन गार्डन यानि एक ऐसा छोटा सा बगीचा जहां सब्जियां व फल उगाए जा सकते है, बनाने के लिए लोगों को प्रेरित किए जाने की भी योजना है.

किचन गार्डन के लिए करें प्रेरित

'पोषण के लिए पौधे' नामक इस योजना के पीछे का मुख्य उद्देश्य घरों में ही ऐसे पौधों और पेड़ों को उगाना है, जिनसे कुपोषण को दूर करने में मदद मिल सके. किचन गार्डन का सबसे बड़ा फायदा यह है की घर में ही कीटनाशक रहित तथा बाजार से ज्यादा बेहतर गुणवत्ता वाली सब्जियां अपने घर में ही मिल जाती है, वो भी कम लागत में. सितंबर माह को फल तथा सब्जियां उगाने के लिए आदर्श माना जाता है. इसलिए इस माह में इस आयोजन का महत्व और भी बढ़ जाता है.

हमारे देश में कहावत है जैसा खाए अन्न, वैसा हो जाए मन. यानि हम जैसा भी भोजन करते है, उसका प्रभाव ना सिर्फ हमारे शरीर पर पड़ता है बल्कि हमारे मन और हमारी सोच पर भी पड़ता है, और जब बात बच्चों की हो तो और भी जरूरी हो जाता है वे अपने सही शारीरिक और मानसिक विकास के लिए स्वास्थ्यवर्धक और पोषक भोजन खाएं. लेकिन हमारे देश में आज भी बड़ी संख्या में बच्चे और महिलायें पोषक भोजन के अभाव में कुपोषण का शिकार हो जाते है. यही नहीं स्थिति ज्यादा खराब होने पर कई बच्चों और महिलाओं को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ता है. कुपोषण से ग्रसित ऐसे ही बहुत से बच्चों और महिलाओं की मदद के उद्देश्य से हर साल भारत सरकार द्वारा सितंबर के पहले सप्ताह में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जाता है.

वीएलसीसी हेल्थकेयर लिमिटेड की पोषण विभाग की कार्यक्रम प्रमुख डॉ. दीप्ति वर्मा ने पोषण अभियान के बारे में जानकारी देते हुए बताया की वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के झुंझुनू क्षेत्र से इस समग्र 'पोषण अभियान' की शुरुआत की थी. जिसका उद्देश्य शहर, ब्लॉक तथा ग्राम स्तर पर 6 साल की उम्र तक के बच्चों, लड़कियों, गर्भवती महिलाओं तथा स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण की जांच कर उनकी मदद करना था. तब से भारत वर्ष के हर राज्य, शहर, कस्बे तथा गांव में आने वाली पीढ़ी को कुपोषण रहित बनाने के संकल्प के साथ इस अभियान का बड़े स्तर पर आयोजन किया जाता है. जिसके तहत कुपोषित बच्चों और महिलाओं को ढूंढ कर उन्हें चिन्हित किया जाता है तथा उनकी मदद की जाती है.

इस अभियान के महत्व को समझते हुए सरकार ने इस बार 9 सितंबर 2020 से 'राष्ट्रीय पोषण सप्ताह' की बजाय 'राष्ट्रीय पोषण माह 2020' मनाने का निर्णय लिया है.

पोषण के लिए पौधे योजना

महिला एवं बाल विकास विभाग भारत सरकार के अनुसार इस वर्ष 'राष्ट्रीय पोषण माह 2020' के लिए दो मुख्य उद्देश्यों को निर्धारित किया गया है. जिनमें पहला है सीवियर एक्यूट मालन्यूट्रीशियन यानि अतिकुपोषण के शिकार बच्चों की खोज और उनका चिन्हिकरण तथा उनकी मदद व मोनिट्रिंग करना. वहीं दूसरा 'पोषण के लिए पौधे योजना' के तहत घरों में किचन गार्डन या सब्जियों का बगीचा बनाने के लिए लोगों को प्रेरित करना.

कुपोषण के खिलाफ अभियान

इस अभियान के तहत पूरे सितंबर माह में देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. जिसमें विभिन्न सरकारी विभाग तथा गैर सरकारी संस्थाएं मिलकर लोगों को कुपोषण के खिलाफ तथा भोजन के विश्लेषण यानि उनकी गुणवत्ता की जांच को लेकर जागरूक करने का प्रयास करेंगी. इसके अलावा पोषण माह के तहत घरों में किचन गार्डन यानि एक ऐसा छोटा सा बगीचा जहां सब्जियां व फल उगाए जा सकते है, बनाने के लिए लोगों को प्रेरित किए जाने की भी योजना है.

किचन गार्डन के लिए करें प्रेरित

'पोषण के लिए पौधे' नामक इस योजना के पीछे का मुख्य उद्देश्य घरों में ही ऐसे पौधों और पेड़ों को उगाना है, जिनसे कुपोषण को दूर करने में मदद मिल सके. किचन गार्डन का सबसे बड़ा फायदा यह है की घर में ही कीटनाशक रहित तथा बाजार से ज्यादा बेहतर गुणवत्ता वाली सब्जियां अपने घर में ही मिल जाती है, वो भी कम लागत में. सितंबर माह को फल तथा सब्जियां उगाने के लिए आदर्श माना जाता है. इसलिए इस माह में इस आयोजन का महत्व और भी बढ़ जाता है.

Last Updated : Sep 2, 2020, 2:06 PM IST
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