बच्चे के जन्म के बाद मां का पहला दूध यानि कोलोस्ट्रम किस तरह बच्चे के स्वास्थ्य की रक्षा करता है? क्या स्तनपान कराने से महिलाओं का शारीरिक सौंदर्य खराब होता है? बच्चे को लिटाकर दूध पिलाना सही होता है या बैठकर? ऐसे बहुत से सवाल हैं, जो नई मांओं के मस्तिष्क में आते हैं. इसके अलावा स्तनपान से जुड़ी बहुत सी भ्रांतियों या अवधारणाएं प्रचलित हैं, जो लोगों के दिमाग में विभिन्न प्रकार के संशय पैदा करती हैं. विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान ETV भारत सुखीभवा टीम ने इन्ही विषयों को लेकर मुंबई की प्रसिद्ध महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. राजश्री कटके से बात की.
महिलाओं के लिए स्तनपान के फायदे
डॉ. कटके बताती हैं कि जब मां अपने शिशु को स्तनपान कराती है, तो उनके बीच में जो भावनात्मक रिश्ता बनता है, वह बच्चे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वहीं मां को भी तनाव से मुक्त रखता है. वह बताती हैं कि यह अफवाह या भ्रांति है, कि स्तनपान कराने वाली महिलाओं का शरीर बाद में बेडौल हो जाता है, जबकि सत्य तो यह है कि दूध पिलाने वाली महिलाओं के शरीर में ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन का निर्माण होता हैं, जो मां को वजन कम करने में मदद करता है. ऑक्सीटोसिन और हल्के व्यायाम की मदद से महिलाएं बहुत आराम से सुडौल शरीर प्राप्त कर सकती हैं. यही नहीं स्तनपान एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक का भी काम करता है. स्तनपान कराने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर तथा ओवरी कैंसर का खतरा भी कम होता है. इसके अलावा डिलीवरी के बाद लंबे समय तक चलने वाले रक्तस्त्राव को कम करने में भी स्तनपान मदद करता है.
क्या है सही तरीका दूध पिलाने का
बच्चे को दूध पिलाते समय मां का पीठ टिकाकर आराम से बैठना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है बच्चे को सही तरह से गोद में लेना, जिससे उसकी सांस न रूके. डॉ. कटके बताती हैं कि दूध पिलाते समय मां को हमेशा आरामदायक तरीके से बैठना चाहिए. साथ ही बच्चे को गोद में ऐसे लेना चाहिए की उसका सर मां की कोहनी के पास थोड़ी उंचाई पर हो. यह भी बहुत जरूरी है कि मां बच्चे के मुंह और स्तन के बीच इतनी दूरी रखते हुए स्तनपान कराए, जिससे उसके सांस लेने में अवरोध उत्पन्न न हो.
क्या है कोलोस्ट्रम
बच्चे के जन्म के बाद अगले दो दिनों तक माता के स्तन से निकलने वाले दूध को कोलोस्ट्रम कहते हैं. डॉ. कटके बताती हैं कि कोलोस्ट्रम न सिर्फ बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, बल्कि उसे शरीर में प्रतिपिंड यानि एंटीबॉडी का भी निर्माण करता है. लेकिन इस दूध के महत्व को न जानने वाले कई ऐसे लोग भी है, जो इस दूध को अच्छा नहीं मानते. देश के कई हिस्सों में आज भी इस दूध को फेंक देते हैं, जो सही नहीं है.
दूध को बढ़ाने के लिए कौन सा आहार है जरूरी
ऐसा कई बार देखने में आता है कि किसी शारीरिक या मानसिक समस्या के कारण महिलाओं में दूध का स्त्राव कम होता है. डॉ. कटके बताती हैं कि यूं तो हमारे घरों में बच्चे के जन्म के बाद पंजीरी व मेथी लड्डू दिए जाते हैं, जो स्तनों में दूध की मात्रा बढ़ाते हैं. इसके अलावा रागी, मेथी, बाजरा, दूध, फलों का जूस तथा शतावरी का सेवन भी शरीर में दूध की मात्रा बढ़ाने में मदद करते हैं.