शादी के बाद स्त्री पुरुष तथा उनके होने वाले बच्चों को किसी स्वास्थ्य संबंधी परेशानी का सामना न करना पड़े इसके लिए आजकल शादी से पहले युवा अपने खून की जांच करवाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बदलते परिवेश, जीवनशैली और कई बार अन्य शारीरिक समस्याओं के चलते पुरुषों, विशेषकर शहरी पुरुषों में बांझपन की समस्या जिस तरह से बढ़ रही है, शादी से पहले वीर्य विश्लेषण परीक्षण जांच भी एक तरह की जरूरत बनती जा रही है. पुरुषों की जनन क्षमता कैसी होगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उनके शुक्राणुओं का स्वास्थ्य कैसा है. बीमार शुक्राणु और कम संख्या में बनने वाले शुक्राणुओं और कई बार अशुक्राणुता पुरुषों में बांझपन की स्थिति उत्पन्न करती है. क्या है अशुक्राणुता और यह किस तरह से पुरुषों की जनन क्षमता पर असर डालती है, इस बारे में ETV भारत सुखीभवा टीम ने एंड्रोलॉजिस्ट डॉ. राहुल रेड्डी से बात की.
क्या है अशुक्राणुता
डॉ. रेड्डी बताते हैं कि पहले के समय में जब एक दंपत्ति को संतान उत्पन्न करने में समस्या होती थी, तो उसका सीधा दोष महिलाओं पर डाल दिया जाता था. समाज की सोच के अनुसार तो पुरुषों में बांझपन या नपुंसकता जैसी समस्या के बारे में सोचना भी अपराध सरीखा था.
हालांकि पहले के मुकाबले अभी की स्थिति में बहुत ज्यादा अंतर नहीं आया है. लेकिन फिर भी शहरी क्षेत्रों में लोगों में इस विषय को लेकर जागरूकता बढ़ी है और कुछ प्रतिशत ही सही लेकिन पुरुष बांझपन या संतानोपत्ति में किसी भी प्रकार की समस्या होने पर चिकित्सक के पास सलाह लेने जाने लगे हैं. बांझपन के मुख्य कारणों में से एक है अशुक्राणुता. एजुस्पर्मिया या अशुक्राणुता को निल स्पर्म, नो स्पर्म, शुक्राणुहीनता के नाम से भी जाना जाता है. इस समस्या में पुरुषों के सीमेन में शुक्राणुओं की संख्या बिलकुल शून्य हो जाती है.
एजुस्पर्मिया दो प्रकार का होता है. पहला ऑब्सट्रक्टिव यानि प्रतिरोधी एजुस्पर्मिया तथा दूसरा नॉन ऑब्सट्रक्टिव यानि गैर प्रतिरोधी एजुस्पर्मिया यह वो स्थिति है जब शुक्राणु आमतौर पर टेस्टिकल के अंदर उत्पादित होते हैं, लेकिन जब प्रजनन ट्यूब में कोई रूकावट या बाधा आ जाती है, तो शुक्राणुओं को बाहर निकलने नहीं देती है. वहीं गैरप्रतिरोधी एजुस्पर्मिया वह स्थिति है, जहां पुरुष की ट्यूब तो खुली होती है, लेकिन शुक्राणु उत्पादन में समस्या होती है. इस अवस्था में शुक्राणु का उत्पादन स्तर इतना कम होता है कि वे अंडकोष से बाहर ही नहीं आ पाते. इन दोनों ही परिस्थितियों में बहुत जरूरी हो जाता है कि जिस व्यक्ति को यह समस्या हो वह तुरंत चिकित्सक से संपर्क करे.
क्या है अशुक्राणुता के लक्षण और क्यों जरूरी है जांच
डॉ. रेड्डी कहते हैं कि अशुक्राणुता दरअसल बीमारी नहीं एक अवस्था है. साधारण अवस्था में यदि हमारे शरीर के किसी अंग या हिस्से में कोई समस्या होती है, तो उस स्थान पर दर्द या अन्य तरह के लक्षण नजर आने लगते हैं, लेकिन अशुक्राणुता की स्थिति में ऐसा संभव नहीं है. यहां तो यदि व्यक्ति स्वयं जांच ना करवाएं, तो उसे पता भी नहीं चलेगा की उसे कोई समस्या है. यहां तक की आमतौर पर शारीरिक संबंधों के दौरान भी पुरुष किसी तरह की समस्या या परेशानी का अनुभव नहीं करते हैं. इसलिए जरूरी हो गया है कि पुरुष पहले से ही आगे बढ़कर चिकित्सक से काउंसलिंग लें तथा वीर्य विश्लेषण परीक्षण जांच करवाएं. यदि शादी के तुरंत पहले यह जांच एक बार हो जाती है, तो समस्या ज्ञात होने पर चिकित्सीय मदद से इसका इलाज संभव है.
क्या हैं कारण
कई बार एजुस्पर्मिया के कारणों में रोगी की पहले हुई कोई बीमारी, सर्जरी, अनुशासनहीन जीवनशैली किसी भी प्रकार के नशे का सेवन, हार्मोनल समस्याएं तथा अनुवांशिक कारण भी हो सकते हैं. बढ़ती उम्र के साथ भी यह समस्या देखने में आती है.
डॉ. रेड्डी कहते हैं कि संतानोत्पत्ति में देरी होने पर हमारे आसपास के लोग तरह-तरह के टोटके आजमाने की सलाह देते हैं, लेकिन समझदारी इसी में है की समय पर जांच करवाकर चिकित्सक से मदद लें. अशुक्राणुता एक ऐसी समस्या है, जिसके उपचार में ज्यादा समय बीतने पर परेशानी भी आ सकती है.