धनतेरस के त्यौहार से दिवाली पर्व की शुरुआत मानी जाती है. धनतेरस को धन्वंतरी जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. गौरतलब है कि भगवान धन्वंतरि को हमारे वेदों में देवों के वैद्य की संज्ञा दी जाती है, साथ ही उन्हे आयुर्वेद का जनक भी माना जाता है. Ayurveda divas theme 2022 har din har ghar ayurveda . Ayurveda day . Har din har ghar ayurveda . ayurveda day theme har din har ghar ayurveda . dhanteras theme har din har ghar ayurveda . आयुर्वेद दिवस थीम हर दिन हर घर आयुर्वेद . धनतेरस थीम हर दिन हर घर आयुर्वेद .
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय (Ministry of AYUSH, Government of India) द्वारा हर साल धन्वंतरि जयंती या धनतेरस (Dhanvantari Jayanti or Dhanteras) को आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. जिसका उद्देश्य ना सिर्फ देश बल्कि दुनिया में भी सभी लोगों को आयुर्वेद तथा उसकी विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों से तथा इसके लाभ, सिद्धांत तथा उद्देश्य से अवगत कराना है. इस साल आयुर्वेद दिवस 23 अक्टूबर “ हर दिन हर घर आयुर्वेद” थीम पर मनाया जा रहा है. पिछले कुछ सालों में विशेषकर कोरोनाकाल में सिर्फ देश की युवा पीढ़ी में ही नही बल्कि विदेशों में भी आयुर्वेद को लेकर उत्सुकता बढ़ी है. कोरोना काल में संक्रमण से बचाव के लिए शरीर को मूल रूप से स्वस्थ बनाने तथा उसकी रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आयुर्वेद औषधियों को काफी सफल माना गया था. यहां तक की इस दौर में सिर्फ हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों तथा दवाइयों का इस्तेमाल काफी बढ़ गया था. जिसका नतीजा है कि वर्तमान समय में बड़ी संख्या में लोगों ने आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्दती तथा इसके नियमों को अपने जीवन में शामिल किया है.
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति
आयुर्वेदिक चिकित्सा ग्रंथों के अनुसार यह एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जो जीवन को जीने का सही तरीका सिखाती है, जिससे जीवन लंबा, स्वस्थ और खुशहाल रह सके. इस चिकित्सा पद्धति में सिर्फ बीमारी का तात्कालिक इलाज नहीं किया जाता है बल्कि शरीर को प्राकृतिक रूप से स्वस्थ बनाने तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने का भी प्रयास किया जाता है. इसलिए इस चिकित्सा पद्धति में रसायन(दवाइयों ) तथा विभिन्न थेरेपियों के साथ ही आहार, योग तथा जीवनशैली को भी चिकित्सा प्रक्रिया में शामिल किया जाता है.
आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली तीन दोषों पर आधारित मानी जाती है, वात,कफ, पित्त. आयुर्वेद के अनुसार यदि व्यक्ति के शरीर में ये तीनों संतुलित हैं तो वह स्वस्थ हैं लेकिन इन तीनों में से किसी एक में असंतुलन व्यक्ति में बीमारी का कारण बन सकता है. वहीं माना जाता है कि इन तीनों दोषों को पांच तत्व प्रभावित करते हैं पृथ्वी, जल, वायु , अग्नि और आकाश. आयुर्वेदिक चिकित्सकों की माने तो आयुर्वेद में शरीर को मजबूत करने पर बल दिया जाता है, जिससे पहले तो व्यक्ति बीमार पड़े ही नहीं और यदि बीमार हो भी जाए तो उसके शरीर को ज्यादा नुकसान ना पहुंचे और वह शीघ्र स्वस्थ हो जाए. आयुर्वेद में दवा के रूप में इस्तेमाल होने वाले रसायन जड़ी-बूटियों के संयोजन से तैयार किए जाते हैं जो पूरी तरह से प्राकृतिक होते हैं. वहीं इसमें इलाज में पंचकर्म जैसी कई प्रकार की थेरेपियों को भी शामिल किया जाता हैं जिनमें पूरी तरह से प्राकृतिक जड़ीबूटियों से बने तेलों, लेपों तथा औषधियों का इस्तेमाल किया जाता है.
आयुष मंत्रालय का सार्थक प्रयास
आयुष मंत्रालय द्वारा हर साल आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए इस अवसर पर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है. जिसमें अन्य सरकारी तथा सामाजिक संगठन भी प्रतिभाग करते हैं. इस वर्ष भी सितंबर माह से मंत्रालय के तत्वावधान में एक लघु विडियो प्रतियोगिता का आयोजन किया किया गया था जिसके तहत पांच थीम पर प्रविष्टियां आमंत्रित.