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क्या होता है सेलुलर डिटॉक्स और क्लींज़िंग

जब हम सेलुलर डिटॉक्स, क्लींजिंग, ऑटोफैगी आदि के बारे में बात करते हैं, तो हमें यह समझने की जरूरत है कि हम किन विषाक्त पदार्थों की बात कर रहे हैं। हमारा शरीर रोज़ तरह-तरह के विषाक्त पदार्थो के संपर्क में आता है| कई बार फल और सब्जियों की वजह से यह शरीर के अंदर जाता है और कई बार वायु प्रदुषण के द्वारा बाहर से प्रभावित करता है।

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सेलुलर डिटॉक्स और क्लींज़िंग
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Published : Aug 30, 2021, 4:19 PM IST

यह टॉक्सिन्स या विषाक्त पदार्थ हमारे शरीर में हवा, पानी, खाने, और जो प्रोडक्ट्स हम त्वचा पर उपयोग करते हैं, इनके द्वारा अंदर जाते हैं। हमारे द्वारा खाए जाने वाले अधिकांश खाद्य पदार्थों में कीटनाशक, पशु हार्मोन, अन्य विषाक्त पदार्थ और एंटीबायोटिक्स होते हैं जो हमारे लीवर और कोलन को स्वाभाविक रूप से इन खाद्य पदार्थों को डिटॉक्सीफाई और पचाने की क्षमता को कम करते हैं। जब लिवर और कोलन ठीक से काम नहीं कर रहे होते हैं और ऐसे विषाक्त पदार्थों को बाहर नहीं निकाल पाते, तो पूरा शरीर विषाक्त हो जाता है| यह विषाक्तता कई तरह के लक्षण पैदा करती है जैसे वजन कम करने में असमर्थता, थकान, त्वचा की रंजकता और एलर्जी आदि।

जब हम नकारात्मक सोच रखते हैं, या हमारे दिमाग में कई तरह के बुरे-बुरे विचार आते हैं, जो भय का रूप ले लेते हैं, यह नकारात्मकता और डर भी बिमारियों को बढ़ावा देते है। आज की तारीख में तनाव एक बड़ा विष है जो भोजन से पोषक तत्वों को अवशोषित करने, आराम करने और खुद की मरम्मत करने की शरीर की क्षमता को कम कर देता है।

विषाक्तता के लक्षण

विषाक्तता आमतौर पर हमें सेलुलर स्तर पर प्रभावित करती है, जबकि रोग और उनकी अभिव्यक्तियाँ अक्सर हमारे शरीर के अंगों पर दिखता हैं। विषाक्त पदार्थों का असर सीधा लिवर पर दिखाई पड़ता है| लिवर की काम करने की क्षमता पर भी इसका असर पड़ता है।

हालाँकि, एक टोक्सिन उसकी प्रकृति के आधार पर पूरे शरीर में घूम सकता है, और इसलिए एक ही समय में कई प्रकार की कोशिकाओं और अंग प्रणालियों को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा, हो सकता है कि हमारे शरीर में कई विषाक्त पदार्थ हों और इनमें से प्रत्येक का शरीर पर अपना विशेष प्रभाव हो। इस तरह की जटिल विषाक्तता को समझना या भविष्यवाणी करना अक्सर कठिन होता है। सामान्य तौर पर, कई गैर-विशिष्ट लक्षण टॉक्सिन्स की वजह से भी हो सकते हैं।

हमें डिटॉक्स क्यों करना चाहिए?

डिटॉक्स करना मतलब हमारे शरीर को अंदर से साफ़ करना, जब आप सही तरीके से एक विशेष्ज्ञ के निर्देश में अपने शरीर और कोशिकाओं से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलते हैं तो आप एक स्वस्थ शरीर की तरफ एक कदम बढ़ाते हैं। नियमित तौर से डिटॉक्स के फायदे हैं जैसे: आप खुद को गंभीर बीमारी से बचाते हैं, असमय बुढ़ापा आपको छु भी नहीं सकता, आप बहुत ऊर्जावान यानी एनर्जेटिक महसूस करते हैं, आपकी मानसिक क्षमता का विकास होता है, याददाश्त तेज़ होती है, हमारे शरीर प्रणालियों में संतुलन बहाल होता है। हर चार महीने में एक छोटा डिटॉक्स करना चाहिए और साल में २ बार आपके शरीर का पूर्ण डिटॉक्स करना चाहिए।

कैसे करें डिटॉक्स और क्लींज़िंग?

डिटॉक्स का सब से ज्यादा अपनाये जाने वाला तरीका है डाइट कम करना लेकिन तरल पदार्थों के रूप में क्षारीय खाद्य पदार्थों के सेवन को बढ़ावा देना। साथ ही आप सिर्फ तरल पदार्थों का सेवन करते हुए भी फास्टिंग कर सकते हैं, या फिर कुछ समय के लिए तरल और ठोस दोनों ही खाद्य पदार्थों की मात्रा कम कर सकते हैं। जब आप यह उपवास करते हैं तो बहुत मात्रा में शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं जो शरीर के अंदर जमें होते हैं। डिटॉक्स की इस प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए आप क्षार युक्त जूस पी सकते हैं| इन जूस में जो शक्कर की मात्रा होती है वह आपके शरीर को ऊर्जा देती है, इसलिए भी इसे उपवास का सबसे सही और सुरक्षित तरीका माना गया है।

जमा हुए जहर और जहरीले अपशिष्ट पदार्थों को खत्म करने की प्रक्रिया में उपवास के दौरान बहुत सारी ऊर्जा खर्च होती है। इसलिए, उपवास के दौरान जितना संभव हो उतना शारीरिक आराम और मानसिक विश्राम लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

एक उपयोगी क्लींज़िंग के लिए सिफारिशें

  • कम से कम ८ -१२ गिलास पानी पियें, इससे आपकी कोशिकाओं की क्लींज़िंग जल्दी होगी।
  • क्लीनिंग प्रक्रिया के दौरान आपको कुछ असुविधा महसूस होगी जो की एक आम बात हैं जैसे सिरदर्द, तेज़ भूक लगना, मतली, या फिर थकावट| इसे वेलनेस या न्यूट्रिशन एक्सपर्ट की मदद से मैनेज करना चाहिए।
  • जितना हो सके उतना शरीर को आराम दें, लंबी अवधि के लिए बहुत इंटेंस वर्कआउट में शामिल न हों। योग, ध्यान, पैदल चलना, टीआरएक्स, नृत्य, तैराकी और स्ट्रेचिंग जैसी हल्की से मध्यम गतिविधियों की सिफारिश की जाती है।
  • किसी भी तरह का जंक फ़ूड ना खाएं| यह आपके क्लींज़िंग पर विपरीत असर करेगा।
  • तरल क्लींज़िंग के दौरान ठोस आहार ना लें और आपका तरल डाइट धीरे-धीरे समाप्त करें, कोई भी आहार एकदम से शुरू और खत्म नहीं करना है|

पढ़ें: सुपरफूड जो लिवर को करें डिटॉक्स

यह टॉक्सिन्स या विषाक्त पदार्थ हमारे शरीर में हवा, पानी, खाने, और जो प्रोडक्ट्स हम त्वचा पर उपयोग करते हैं, इनके द्वारा अंदर जाते हैं। हमारे द्वारा खाए जाने वाले अधिकांश खाद्य पदार्थों में कीटनाशक, पशु हार्मोन, अन्य विषाक्त पदार्थ और एंटीबायोटिक्स होते हैं जो हमारे लीवर और कोलन को स्वाभाविक रूप से इन खाद्य पदार्थों को डिटॉक्सीफाई और पचाने की क्षमता को कम करते हैं। जब लिवर और कोलन ठीक से काम नहीं कर रहे होते हैं और ऐसे विषाक्त पदार्थों को बाहर नहीं निकाल पाते, तो पूरा शरीर विषाक्त हो जाता है| यह विषाक्तता कई तरह के लक्षण पैदा करती है जैसे वजन कम करने में असमर्थता, थकान, त्वचा की रंजकता और एलर्जी आदि।

जब हम नकारात्मक सोच रखते हैं, या हमारे दिमाग में कई तरह के बुरे-बुरे विचार आते हैं, जो भय का रूप ले लेते हैं, यह नकारात्मकता और डर भी बिमारियों को बढ़ावा देते है। आज की तारीख में तनाव एक बड़ा विष है जो भोजन से पोषक तत्वों को अवशोषित करने, आराम करने और खुद की मरम्मत करने की शरीर की क्षमता को कम कर देता है।

विषाक्तता के लक्षण

विषाक्तता आमतौर पर हमें सेलुलर स्तर पर प्रभावित करती है, जबकि रोग और उनकी अभिव्यक्तियाँ अक्सर हमारे शरीर के अंगों पर दिखता हैं। विषाक्त पदार्थों का असर सीधा लिवर पर दिखाई पड़ता है| लिवर की काम करने की क्षमता पर भी इसका असर पड़ता है।

हालाँकि, एक टोक्सिन उसकी प्रकृति के आधार पर पूरे शरीर में घूम सकता है, और इसलिए एक ही समय में कई प्रकार की कोशिकाओं और अंग प्रणालियों को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा, हो सकता है कि हमारे शरीर में कई विषाक्त पदार्थ हों और इनमें से प्रत्येक का शरीर पर अपना विशेष प्रभाव हो। इस तरह की जटिल विषाक्तता को समझना या भविष्यवाणी करना अक्सर कठिन होता है। सामान्य तौर पर, कई गैर-विशिष्ट लक्षण टॉक्सिन्स की वजह से भी हो सकते हैं।

हमें डिटॉक्स क्यों करना चाहिए?

डिटॉक्स करना मतलब हमारे शरीर को अंदर से साफ़ करना, जब आप सही तरीके से एक विशेष्ज्ञ के निर्देश में अपने शरीर और कोशिकाओं से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलते हैं तो आप एक स्वस्थ शरीर की तरफ एक कदम बढ़ाते हैं। नियमित तौर से डिटॉक्स के फायदे हैं जैसे: आप खुद को गंभीर बीमारी से बचाते हैं, असमय बुढ़ापा आपको छु भी नहीं सकता, आप बहुत ऊर्जावान यानी एनर्जेटिक महसूस करते हैं, आपकी मानसिक क्षमता का विकास होता है, याददाश्त तेज़ होती है, हमारे शरीर प्रणालियों में संतुलन बहाल होता है। हर चार महीने में एक छोटा डिटॉक्स करना चाहिए और साल में २ बार आपके शरीर का पूर्ण डिटॉक्स करना चाहिए।

कैसे करें डिटॉक्स और क्लींज़िंग?

डिटॉक्स का सब से ज्यादा अपनाये जाने वाला तरीका है डाइट कम करना लेकिन तरल पदार्थों के रूप में क्षारीय खाद्य पदार्थों के सेवन को बढ़ावा देना। साथ ही आप सिर्फ तरल पदार्थों का सेवन करते हुए भी फास्टिंग कर सकते हैं, या फिर कुछ समय के लिए तरल और ठोस दोनों ही खाद्य पदार्थों की मात्रा कम कर सकते हैं। जब आप यह उपवास करते हैं तो बहुत मात्रा में शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं जो शरीर के अंदर जमें होते हैं। डिटॉक्स की इस प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए आप क्षार युक्त जूस पी सकते हैं| इन जूस में जो शक्कर की मात्रा होती है वह आपके शरीर को ऊर्जा देती है, इसलिए भी इसे उपवास का सबसे सही और सुरक्षित तरीका माना गया है।

जमा हुए जहर और जहरीले अपशिष्ट पदार्थों को खत्म करने की प्रक्रिया में उपवास के दौरान बहुत सारी ऊर्जा खर्च होती है। इसलिए, उपवास के दौरान जितना संभव हो उतना शारीरिक आराम और मानसिक विश्राम लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

एक उपयोगी क्लींज़िंग के लिए सिफारिशें

  • कम से कम ८ -१२ गिलास पानी पियें, इससे आपकी कोशिकाओं की क्लींज़िंग जल्दी होगी।
  • क्लीनिंग प्रक्रिया के दौरान आपको कुछ असुविधा महसूस होगी जो की एक आम बात हैं जैसे सिरदर्द, तेज़ भूक लगना, मतली, या फिर थकावट| इसे वेलनेस या न्यूट्रिशन एक्सपर्ट की मदद से मैनेज करना चाहिए।
  • जितना हो सके उतना शरीर को आराम दें, लंबी अवधि के लिए बहुत इंटेंस वर्कआउट में शामिल न हों। योग, ध्यान, पैदल चलना, टीआरएक्स, नृत्य, तैराकी और स्ट्रेचिंग जैसी हल्की से मध्यम गतिविधियों की सिफारिश की जाती है।
  • किसी भी तरह का जंक फ़ूड ना खाएं| यह आपके क्लींज़िंग पर विपरीत असर करेगा।
  • तरल क्लींज़िंग के दौरान ठोस आहार ना लें और आपका तरल डाइट धीरे-धीरे समाप्त करें, कोई भी आहार एकदम से शुरू और खत्म नहीं करना है|

पढ़ें: सुपरफूड जो लिवर को करें डिटॉक्स

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