हाल ही में ‘नेचर कम्युनिकेशंस’ जर्नल में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट में यह बात कही गई है कि शराब का सेवन चाहे कितनी भी कम मात्रा में किया गया हो, सेहत को नुकसान पहुंचाता है. अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनिया के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस शोध में 36 हजार से अधिक वयस्कों के आंकड़ों का उपयोग किया गया था. शोध के नतीजों में बताया गया है कि कि रोजाना एक या दो पैग शराब पीने से भी व्यक्ति के दिमाग में परिवर्तन होता है. शोध में ज्यादा शराब पीने से दिमाग की संरचना में परिवर्तन को लेकर भी कहा गया है कि अधिक शराब पीने वालों के दिमाग की संरचना और उसके आकार में बदलाव होता है, जिससे याददाश्त पर असर पड़ता है.
थोड़ी शराब भी नुकसानदायक
शोध में अमेरिका स्थित पेंस व्हार्टन स्कूल के संकाय सदस्य और लेखक गिदोन ने बताया है ‘ अध्धयन में इस्तेमाल किए गए नमूनों में बीयर पीने वालों की ज्यादा संख्या देखते हुए शोधकर्ताओं ने आधी से एक बोतल बीयर पीने के शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों का भी विश्लेषण किया है.
शोध के नतीजों में इस बात को भी माना गया है कि इस अध्धयन के निष्कर्ष, सामान्य तौर पर शराब पीने की सुरक्षित सीमा के बताए गए फ़ायदों के विपरीत है. गौरतलब है कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन अल्कोहल एब्यूज एंड अल्कोहलिज्म के अनुसार महिलाएं प्रतिदिन एक पैग तथा पुरुष प्रतिदिन दो पैग का सेवन कर सकते हैं. लेकिन इस शोध में बताया गया है कि यह सीमा भी मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकती है.
शराब का शरीर पर असर
गौरतलब है कि इससे पूर्व भी शराब के कम या ज्यादा मात्रा में सेवन से शरीर के अंगों पर पड़ने वाले असर को लेकर किए गए कुछ अध्धयनों में यह बात सामने आ चुकी है कि शराब का सेवन एक साथ कई अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है. इससे न केवल लिवर और ह्रदय प्रभावित होता है, बल्कि दिमाग पर भी असर पड़ता है. माना जाता है कि शराब की एक घूंट महज 30 सेकंड में दिमाग तक अल्कोहल पहुंचाने के लिए काफी है.
गौरतलब है कि वर्ष 2015 में प्रकाशित एक अन्य शोध में भी यह बात कही गई थी कि शराब का कम या ज्यादा सेवन , दोनों ही शरीर को प्रभावित कर सकता है. हाइडेलबर्ग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता हेल्मुट जाइत्स ने शोध में शराब के पीते ही उसके क्रमानुसार शरीर के अंगों पर पड़ने वाले असर तथा प्रभाव के बारें में विस्तृत उल्लेख किया था.
शोध में बताया गया था कि "लीवर में ऐसे एन्जाइम होते हैं जो अल्कोहल को तोड़ सकते हैं, लेकिन पूरी तरह से नही" . लीवर का कार्य शरीर से हानिकारक तत्वों को बाहर निकालना होता है. अल्कोहल भी हानिकारक तत्वों में आता है. लेकिन लीवर में पहली बार पहुंचा अल्कोहल पूरी तरह टूटता नहीं है. बल्कि वह थोड़ी-थोड़ी मात्रा में शरीर के अन्य अंगों में भी पहुंच जाता है. जिससे अलग-अलग अंग कई तरह के बदलाव तथा प्रभाव प्रदर्शित करते हैं .
शोध में हेल्मुट जाइत्स ने समझाया है कि एथेनॉल अल्कोहल का बहुत ही छोटा अणु होता है. जो खून और पानी में घुलनशील होता है. चूंकि इंसान के शरीर में 60 से 70 फीसदी पानी होता है. जिसमें घुलकर अल्कोहल पूरे शरीर में फैल जाता है और मस्तिष्क तक भी पहुंच जाता है.
मस्तिष्क तक पहुँचने के उपरांत अल्कोहल दिमाग के न्यूरोट्रांसमीटरों पर असर डालता है. इसकी वजह से तंत्रिका तंत्र का केंद्र प्रभावित होने लगता है.
शोध में बताया गया था लंबे समय तक बहुत ज्यादा शराब पीने से शरीर में विटामिन बी1 तथा अन्य पोषक तत्वों की भी कमी होने लगती है तथा वेर्निके-कोर्साकॉफ सिंड्रोम पनपने की आशंका बढ़ जाती है. यही नही "दिमाग में अल्कोहल के असर से डिमेंशिया होने का खतरा भी बढ़ सकता है." शोध में बताया गया था अल्कोहल शरीर में 200 से ज्यादा बीमारियां पैदा कर सकता है.
ह्रदय और मस्तिष्क को नुकसान
शराब के मस्तिष्क को नुकसान को लेकर अमेरिकन एडिक्शन सेंटर्स ने भी एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके अनुसार जो लोग जरूरत से ज्यादा शराब पीते हैं उनमें डिसआथ्रिया विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है. दरअसल यह एक ऐसी समस्या है जिसमें पीड़ित को शब्दों को बोलने में कठिनाई होती है. हालांकि यह आमतौर पर मस्तिष्क की चोट, ब्रेन ट्यूमर या स्ट्रोक के कारण होती है. लेकिन लंबे समय तक बहुत अधिक शराब पीने से मस्तिष्क को पहुँचने वाले नुकसान के प्रभावस्वरूप डिसआथ्रिया के स्थायी रूप से होने की आशंका बढ़ जाती है.
ज्यादा शराब दिमाग के साथ दिल के लिये भी काफी हानिकारक मानी जाती है. जॉन हॉपकिंस मेडिसिन में प्रकाशित हुए एक लेख में इस बात की पुष्टि की गई है कि हद से ज्यादा एल्कोहल के सेवन से ह्रदय से संबंधित कई समस्याएं जैसे उच्च रक्तचाप , हार्ट फेलियर, स्ट्रोक की आशंका बहुत अधिक बढ़ जाती है.