ETV Bharat / sukhibhava

मानसिक परेशानियों के बारे में बात करने से झिझकते हैं वयस्क: शोध

क्या आपने भी महसूस किया है की कई बार घर के बड़े चेहरे से परेशान नजर आते हैं लेकिन कारण पूछने पर सब ठीक है कह कर बात टाल देते हैं. पिछले दिनों हुए एक शोध में सामने आया वयस्क लोग आमतौर पर मानसिक परेशानियों से जूझने पर भी ज्यादातर ठीक होने का दिखावा करते हैं.

mental health, stress, anxiety, depression, mental wellbeing, mental problems, mental problems in adults, can adults have mental problems, what kind of mental problems do adults have, adulthood, how to deal with mental problems, types of mental problems, adults mental health
मानसिक परेशानी
author img

By

Published : Sep 28, 2021, 6:51 PM IST

लंदन के अखबार ‘दी मिरर’ में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट में सामने आया है कि ज्यादातर वयस्क अपनी चिंताओं तथा मानसिक समस्यायों को दूसरों को बताने में झिझकते हैं.

रिपोर्ट के अनुसार शोध में मानसिक समस्याओं से जूंझ रहे लोगों से जब उनके मानसिक स्वास्थ्य के लेकर यह पूछा गया की क्या वे ठीक हैं, यानी उन्हे किसी प्रकार की चिंता, विकार या समस्या तो नहीं है, तो शोध के कुल प्रतिभागियों में से लगभग दो-तिहाई वयस्कों यह दिखाने की कोशिश कि उनके जीवन में सब अच्छा व सामान्य है.

2000 वयस्कों पर की गई किए गए इस शोध में आनुपातिक तौर पर 10 में से लगभग 4 लोगों ने यह माना की उन्हे लगता है कि जब उनसे कोई यह पूछता है की क्या वे मानसिक रूप से ठीक है तो दरअसल वह किसी चिंता के कारण नही, केवल दिखावे के लिए चिंता दर्शाते हैं. साथ ही उन्हे यह भी अंदेशा होता है की यदि वे अपनी मानसिक समस्याएं दूसरों को बताएंगे तो उनके प्रति दूसरों के व्यवहार और सोच में अंतर आ जाएगा . ऐसे में वे मानसिक समस्यायों की बजाय अपनी शारीरिक समस्याओं के बारें में खुल कर बात करने को प्राथमिकता देते हैं.

स्टडी के सामने आया कि कुल प्रतिभागियों में से लगभग एक चौथाई लोग अपनी मानसिक समस्याओं को दूसरों को बताने पर शर्मिंदगी महसूस करते हैं. वहीं 17 प्रतिशत लोगों को यह चिंता सताती रहती हैं कि अगर उन्होंने अपनी मानसिक समस्या, विकार या अवस्था के बारें में दूसरों को बताया तो वे उनके बारे में दूसरे लोग क्या सोचेंगे. इसके अलावा कई बार लोग यह भी सोचते हैं की कहीं उनका जवाब दूसरे व्यक्ति को यह सोचने पर मजबूर ना कर दे की काश! उन्होंने सवाल पूछा ही नही होता.

गौरतलब है की स्पेन की फाइनेंशियल सर्विस कंपनी, सेंटेंडर (Financial Services Company, Santander) द्वारा यह रिसर्च आयोजित की गई थी, जिसका मुख्य उद्देशय लोगों को अपने आनंद और समस्याओं के बारें में खुलकर बात करने के लिए प्रोत्साहित करना था. इस शोध को आयोजित करने का एक कारण उस रिपोर्ट को भी माना गया है , जिसमें सामने आया था को कोरोना के कारण तालाबंदी के उपरांत लगभग 66 प्रतिशत लोग आर्थिक मुद्दों के कारण मानसिक समस्यायों से जूंझ रहे हैं.

गौरतलब है की इस रिसर्च के लिए , कोरोना के दौरान तालाबंदी की अवधि में व्यावसायिक व आर्थिक कारणों से लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को पहुँचने वाले नुकसान को आधार बनाया गया था.

‘दी मिरर’ में प्रकाशित शोध रिपोर्ट में “सेंटेंडर” की फाइनेंशियल सपोर्ट डायरेक्टर जोसी क्लैफम ने बताया कि “ शोध के नतीजों में स्पष्ट रूप से सामने आया है कि बड़ी संख्या में लोग अलग अलग कारणों से दूसरों से अपनी मानसिक समस्याओं के बारें में बात करने से कतराते हैं. वही इस रिपोर्ट में “माइंड” की वर्कप्लेस वेलबीइंग प्रमुख एम्मा मामो बताती हैं कि शोध के नतीजे इस बात की पुष्टि करते हैं की महामारी और आर्थिक मंदी दोनों ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित किया है. महामारी के कारण पनपी इस मानसिक मंदी का प्रभाव आने वाले लंबे समय तक महसूस किए जाने की आशंका है. वे बताती हैं की यह सत्य है की लोगों को अपने मानसिक स्वास्थ्य विशेषकर चिंताओं के बारें में खुलकर बात करना मुश्किल लगता है, लेकिन बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है की उन्हे इस तरह के मुद्दों पर खुलकर बात करने के लिए लोगों को मौके दिए जाएं.

पढ़ें: मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है संगीत चिकित्सा

लंदन के अखबार ‘दी मिरर’ में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट में सामने आया है कि ज्यादातर वयस्क अपनी चिंताओं तथा मानसिक समस्यायों को दूसरों को बताने में झिझकते हैं.

रिपोर्ट के अनुसार शोध में मानसिक समस्याओं से जूंझ रहे लोगों से जब उनके मानसिक स्वास्थ्य के लेकर यह पूछा गया की क्या वे ठीक हैं, यानी उन्हे किसी प्रकार की चिंता, विकार या समस्या तो नहीं है, तो शोध के कुल प्रतिभागियों में से लगभग दो-तिहाई वयस्कों यह दिखाने की कोशिश कि उनके जीवन में सब अच्छा व सामान्य है.

2000 वयस्कों पर की गई किए गए इस शोध में आनुपातिक तौर पर 10 में से लगभग 4 लोगों ने यह माना की उन्हे लगता है कि जब उनसे कोई यह पूछता है की क्या वे मानसिक रूप से ठीक है तो दरअसल वह किसी चिंता के कारण नही, केवल दिखावे के लिए चिंता दर्शाते हैं. साथ ही उन्हे यह भी अंदेशा होता है की यदि वे अपनी मानसिक समस्याएं दूसरों को बताएंगे तो उनके प्रति दूसरों के व्यवहार और सोच में अंतर आ जाएगा . ऐसे में वे मानसिक समस्यायों की बजाय अपनी शारीरिक समस्याओं के बारें में खुल कर बात करने को प्राथमिकता देते हैं.

स्टडी के सामने आया कि कुल प्रतिभागियों में से लगभग एक चौथाई लोग अपनी मानसिक समस्याओं को दूसरों को बताने पर शर्मिंदगी महसूस करते हैं. वहीं 17 प्रतिशत लोगों को यह चिंता सताती रहती हैं कि अगर उन्होंने अपनी मानसिक समस्या, विकार या अवस्था के बारें में दूसरों को बताया तो वे उनके बारे में दूसरे लोग क्या सोचेंगे. इसके अलावा कई बार लोग यह भी सोचते हैं की कहीं उनका जवाब दूसरे व्यक्ति को यह सोचने पर मजबूर ना कर दे की काश! उन्होंने सवाल पूछा ही नही होता.

गौरतलब है की स्पेन की फाइनेंशियल सर्विस कंपनी, सेंटेंडर (Financial Services Company, Santander) द्वारा यह रिसर्च आयोजित की गई थी, जिसका मुख्य उद्देशय लोगों को अपने आनंद और समस्याओं के बारें में खुलकर बात करने के लिए प्रोत्साहित करना था. इस शोध को आयोजित करने का एक कारण उस रिपोर्ट को भी माना गया है , जिसमें सामने आया था को कोरोना के कारण तालाबंदी के उपरांत लगभग 66 प्रतिशत लोग आर्थिक मुद्दों के कारण मानसिक समस्यायों से जूंझ रहे हैं.

गौरतलब है की इस रिसर्च के लिए , कोरोना के दौरान तालाबंदी की अवधि में व्यावसायिक व आर्थिक कारणों से लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को पहुँचने वाले नुकसान को आधार बनाया गया था.

‘दी मिरर’ में प्रकाशित शोध रिपोर्ट में “सेंटेंडर” की फाइनेंशियल सपोर्ट डायरेक्टर जोसी क्लैफम ने बताया कि “ शोध के नतीजों में स्पष्ट रूप से सामने आया है कि बड़ी संख्या में लोग अलग अलग कारणों से दूसरों से अपनी मानसिक समस्याओं के बारें में बात करने से कतराते हैं. वही इस रिपोर्ट में “माइंड” की वर्कप्लेस वेलबीइंग प्रमुख एम्मा मामो बताती हैं कि शोध के नतीजे इस बात की पुष्टि करते हैं की महामारी और आर्थिक मंदी दोनों ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित किया है. महामारी के कारण पनपी इस मानसिक मंदी का प्रभाव आने वाले लंबे समय तक महसूस किए जाने की आशंका है. वे बताती हैं की यह सत्य है की लोगों को अपने मानसिक स्वास्थ्य विशेषकर चिंताओं के बारें में खुलकर बात करना मुश्किल लगता है, लेकिन बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है की उन्हे इस तरह के मुद्दों पर खुलकर बात करने के लिए लोगों को मौके दिए जाएं.

पढ़ें: मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है संगीत चिकित्सा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.