नई दिल्लीः एक्सीडेंट के बाद घायलों की मदद कम ही लोग करते हैं और कई घटनाओं में इलाज में देरी के कारण मौत भी हुई है. इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार ने घायलों को फौरन अस्पताल पहुंचने के उद्देश्य से फरिश्ते योजना शुरू की थी, जो अभी सवालों के घेरे में हैं.
योजना को लेकर एक वकील और आरटीआई एक्टिविस्ट अनंतदीप ठाकुर ने आरटीआई लगाकर ये पूछा कि अब तक किन-किन लोगों को योजना का लाभ मिला. किन लोगों ने घायलों को हॉस्पिटल पहुंचाया, उनके नाम पाते बताए जाएं. कितने मामले में एफआईआर हुई, उन अस्पतालों के नाम जिनमें इस स्कीम के तहत घायलों का इलाज हुआ. लेकिन इन सवालों का जवाब नहीं दिया गया और जवाब में सिर्फ कहा गया कि ऑफिस आकर चेक कर सकते हैं.
'आरटीआई का नहीं मिला जवाब'
अब वकील अनंतदीप ठाकुर दिल्ली सरकार की इस योजना पर सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि इसी आरटीआई के रास्ते दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने सत्ता की सीढ़ी चढ़ी. यहां तक कि इसी आरटीआई के लिए इन्हें मैग्सेसे अवार्ड तक मिला है, लेकिन आज उन्हीं की सरकार के तहत आरटीआई के जवाब नहीं दिया जा रहा है.
'साढ़े 7 करोड़ खर्च, लेकिन डिटेल नहीं'
एक जानकारी के मुताबिक अब तक इस योजना पर साढे़ सात करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. अगर खर्च हुआ तो लोगों को योजना का लाभ भी मिला होगा, लेकिन लाभ उठाने वालों का पता-ठिकाना नहीं दिया जा रहा है. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है.