बता दें कि पूरे दिन जमा किए गए कबाड़ को शाम में बेचकर घर लौटने और खाना खाने के बाद राजन जब अपने दो बच्चों और बीवी के साथ सोने गया तो उस समय तक सब कुछ ठीक था. लेकिन जब चीख-पुकार की आवाज से नींद खुली तो चारों तरफ आग की लपटें ही दिखीं.
हजारों का हुआ नुकसान
बीती रात का मंजर सुनाते हुए सोहन कहते हैं कि वो पिछले 8 साल से यही रह रहे हैं, यही से ही उनकी शादी हुई और यहीं पर दो बच्चे भी हुए. लेकिन पता नहीं था कि पिछले ही महीने जिन कच्ची दीवारों पर टिन डलवाई थी, उनके भीतर रखी जिंदगी भर की कमाई यूं अचानक राख में बदल जाएगी.
राख में अपना कुछ जरूरी सामान टटोलती 21 वर्षीय आरती की व्यथा भी कुछ ऐसी ही है. उसके तो वो किताब भी नहीं बचे जिन्हें पढ़कर वो परीक्षा की तैयारी कर रही थी. बता दें कि इस आग ने सिर्फ झुग्गियां ही नहीं जलाई हैं, बल्कि हजारों लोगों को बेघर भी कर दिया है.
सरकार ने किया मदद का एलान
मौके पर पहुंचे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यूं तो 25-25 हजार के मुआवजे का एलान कर दिया है और यह भी कहा है कि सरकार पक्का मकान बना कर देगी. लेकिन 45 वर्षीय प्रभावती की डबडबाती आंखों में उस पक्के मकान के सपने नहीं, बल्कि उस टूटी-फूटी झोपड़ी की ही तस्वीरें तैर रही हैं.
बता दें कि स्थानीय विधायक और दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन की सुबह से मौजूदगी ने लोगों में उम्मीद भरी है कि जल्द ही सरकार सब बेहतर कर देगी.