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घंटो की आग ने खाक कर दी सालों की जमा पूंजी! कूड़े में बदल गई सारी कमाई

नई दिल्ली: राजधानी के पश्चिमपुरी इलाके में बीती रात शहीद भगत सिंह कैंप में लगी आग से सैकड़ों लोगों के घर उजड़ गए. घंटो की आग ने सालों की जमा पूंजी को खाक कर दिया. कबाड़ बेचकर की हुई कमाई खाक हो गई. पूरी घटना की जानकारी के लिए पढ़ें पूरी खबर...

घंटो की आग ने खाक कर दी सालों की जमा पूंजी!
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Published : Feb 13, 2019, 8:56 PM IST

Updated : Feb 13, 2019, 10:05 PM IST

बता दें कि पूरे दिन जमा किए गए कबाड़ को शाम में बेचकर घर लौटने और खाना खाने के बाद राजन जब अपने दो बच्चों और बीवी के साथ सोने गया तो उस समय तक सब कुछ ठीक था. लेकिन जब चीख-पुकार की आवाज से नींद खुली तो चारों तरफ आग की लपटें ही दिखीं.

घंटो की आग ने खाक कर दी सालों की जमा पूंजी!
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हजारों का हुआ नुकसान
बीती रात का मंजर सुनाते हुए सोहन कहते हैं कि वो पिछले 8 साल से यही रह रहे हैं, यही से ही उनकी शादी हुई और यहीं पर दो बच्चे भी हुए. लेकिन पता नहीं था कि पिछले ही महीने जिन कच्ची दीवारों पर टिन डलवाई थी, उनके भीतर रखी जिंदगी भर की कमाई यूं अचानक राख में बदल जाएगी.


राख में अपना कुछ जरूरी सामान टटोलती 21 वर्षीय आरती की व्यथा भी कुछ ऐसी ही है. उसके तो वो किताब भी नहीं बचे जिन्हें पढ़कर वो परीक्षा की तैयारी कर रही थी. बता दें कि इस आग ने सिर्फ झुग्गियां ही नहीं जलाई हैं, बल्कि हजारों लोगों को बेघर भी कर दिया है.

घंटो की आग ने खाक कर दी सालों की जमा पूंजी!

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सरकार ने किया मदद का एलान
मौके पर पहुंचे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यूं तो 25-25 हजार के मुआवजे का एलान कर दिया है और यह भी कहा है कि सरकार पक्का मकान बना कर देगी. लेकिन 45 वर्षीय प्रभावती की डबडबाती आंखों में उस पक्के मकान के सपने नहीं, बल्कि उस टूटी-फूटी झोपड़ी की ही तस्वीरें तैर रही हैं.


बता दें कि स्थानीय विधायक और दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन की सुबह से मौजूदगी ने लोगों में उम्मीद भरी है कि जल्द ही सरकार सब बेहतर कर देगी.

बता दें कि पूरे दिन जमा किए गए कबाड़ को शाम में बेचकर घर लौटने और खाना खाने के बाद राजन जब अपने दो बच्चों और बीवी के साथ सोने गया तो उस समय तक सब कुछ ठीक था. लेकिन जब चीख-पुकार की आवाज से नींद खुली तो चारों तरफ आग की लपटें ही दिखीं.

घंटो की आग ने खाक कर दी सालों की जमा पूंजी!
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हजारों का हुआ नुकसान
बीती रात का मंजर सुनाते हुए सोहन कहते हैं कि वो पिछले 8 साल से यही रह रहे हैं, यही से ही उनकी शादी हुई और यहीं पर दो बच्चे भी हुए. लेकिन पता नहीं था कि पिछले ही महीने जिन कच्ची दीवारों पर टिन डलवाई थी, उनके भीतर रखी जिंदगी भर की कमाई यूं अचानक राख में बदल जाएगी.


राख में अपना कुछ जरूरी सामान टटोलती 21 वर्षीय आरती की व्यथा भी कुछ ऐसी ही है. उसके तो वो किताब भी नहीं बचे जिन्हें पढ़कर वो परीक्षा की तैयारी कर रही थी. बता दें कि इस आग ने सिर्फ झुग्गियां ही नहीं जलाई हैं, बल्कि हजारों लोगों को बेघर भी कर दिया है.

घंटो की आग ने खाक कर दी सालों की जमा पूंजी!

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सरकार ने किया मदद का एलान
मौके पर पहुंचे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यूं तो 25-25 हजार के मुआवजे का एलान कर दिया है और यह भी कहा है कि सरकार पक्का मकान बना कर देगी. लेकिन 45 वर्षीय प्रभावती की डबडबाती आंखों में उस पक्के मकान के सपने नहीं, बल्कि उस टूटी-फूटी झोपड़ी की ही तस्वीरें तैर रही हैं.


बता दें कि स्थानीय विधायक और दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन की सुबह से मौजूदगी ने लोगों में उम्मीद भरी है कि जल्द ही सरकार सब बेहतर कर देगी.

Intro:आदमी पाई-पाई जोड़कर पूंजी बनाता है, लेकिन कुछ पल के झंझवात सब को मटियामेट कर जाते हैं। दिल्ली के पश्चिमी विहार की भगत सिंह झुग्गी में रहने वाले करीब तीन सौ परिवारों पर आज ऐसा ही वज्रपात हुआ है।


Body:पूरे दिन जमा किए गए कबाड़ को शाम में बेचकर घर लौटने और खाना खाने के बाद राजन जब अपने दो बच्चों और बीवी के साथ सोने गए उस समय तक सब कुछ ठीक था, लेकिन जब चीख-पुकार की आवाज से नींद खुली तो चारों तरफ आग की लपटें ही दिखीं। बीती रात का मंजर सुनाते सुनाते भावुक होने वाले सोहन पिछले 8 साल से यही रह रहे हैं, यही से ही उनकी शादी हुई और यहीं पर दो बच्चे भी हुए, लेकिन पता नहीं था कि पिछले ही महीने जिन कच्ची दीवारों पर टिन डलवाई थी, उनके भीतर रखी जिंदगी भर की कमाई यूं अचानक राख में बदल जाएगी।

राख में अपना कुछ जरूरी सामान टटोलती 21 वर्षीय आरती की व्यथा कथा भी कुछ ऐसी ही है। उसके तो वो किताब भी नहीं बचे जिन्हें पढ़कर वो परीक्षा की तैयारियां कर रहे थी। इस आग ने सिर्फ झुग्गियां ही नहीं जलाई है, बल्कि हजारों लोगों को बेघर भी कर दिया है। मौके पर पहुंचे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यूं तो 25-25 हजार के मुआवजे का एलान कर दिया है और यह भी कहा है कि सरकार पक्का मकान बना कर देगी, लेकिन 45 वर्षीय प्रभावती की डबडबाती आंखों में उस पक्के मकान के सपने नहीं, बल्कि उस टूटी-फूटी झोपड़ी की ही तस्वीरें तैर रही हैं, जिनकी कच्ची दीवारों को मजबूती से टिकाए रखने में उन्होंने अपनी जिंदगी गुजार दी।

राख और कूड़ा हो चुके जले सामानों को समेट रहे एक बुजुर्ग ने पूछने पर अचानक कहा, इससे ज्यादा विपदा क्या होगी कि कूड़ा और कबाड़ से की गई कमाई को ही आज आग ने कूड़ा कर दिया। स्थानीय विधायक और दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन की सुबह से मौजूदगी ने लोगों में उम्मीद भरी है कि जल्द ही सरकार सब बेहतर कर देगी, लेकिन नई व्याहता पूनम को यह गम हमेशा सालता रहेगा कि उसके मायके से मिले अलमीरा, पलंग, टेबल और उस सिन्दूरदानी को भी आग ने हवन कर दिया जिसे सुहागन की निशानी कहा जाता है।

दिल्ली की झुग्गियों में आग लगना खबरों के हिसाब से नया नहीं है, इनमें रहने वाले लोगों का दुख दर्द भी नया नहीं है और न ही नए हैं ये सरकारी और सियासी वादे जिनपर भरोसा करते हुए अपने बीबी बच्चों को पड़ोसियों की देखरेख में छोड़कर सोहन कबाड़ जमा करने वाला अपने ठेला ठीक करने लगा है। बस यही नया है, क्योंकि इन तीन सौ झुग्गियों को फिर से सजाने की जिम्मेदारी ऐसे ही ठेलों पर है...


Conclusion:
Last Updated : Feb 13, 2019, 10:05 PM IST
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