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हादसे को दावत देते हाईराइज होटल, आग लगी तो होगा बुझाना मुश्किल - संकरी इलाका

नई दिल्ली: दिल्ली का करोल बाग बेहद ही संकरा वाला इलाका है. यहां पर कई बड़े मार्केट और होटल, रेस्टोरेंट भी बने हुए हैं. वहीं संकरी गलियां होने के चलते यह इलाका बेहद ही अस्त-व्यस्त रहता है. दिन भर यहां काफी संख्या में लोगों का आवागमन भी होता है लेकिन इन संकरी गलियों में हाईराइज होटल और रेस्टोरेंट होना बेहद ही जोखिम भरा साबित हो सकता है.

करोल बाग में हादसे को दावत देते हाईराइज होटल
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Published : Feb 13, 2019, 6:20 PM IST


करोल बाग इलाके में करीब 30 से ज्यादा होटल और रेस्टोरेंट हैं. यहां पर कई हाईराइज होटल भी हैं लेकिन ये बेहद ही संकरी गलियों में बने हुए हैं. अगर यहां पर कोई भी बड़ा हादसा या आगजनी होती है, तो यहां से लोगों को निकलना बेहद मुश्किल होगा. मंगलवार को अर्पित होटल में जिस तरह से आग लगी वह भी जिसके बाद लोगों को अपनी जान बचाने के लिए होटल की बिल्डिंग से कूदना पड़ा.

करोल बाग में हादसे को दावत देते हाईराइज होटल
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ईटीवी ने लिया जायजा
होटल के बैक डोर की बात करें तो वह बेहद संकरी गली में था और बेहद ही छोटा गेट बना हुआ था. जिसके चलते लोग वहां से भी बाहर नहीं निकल सके. इस बाबत ईटीवी भारत ने करोल बाग के इलाकों में जाकर जायजा लिया.

होटल के सामने 10 फीट जगह
करोल बाग में ऐसे कई होटल देखने को मिले जो, बेहद ही संकरी गलियों में हैं. सबसे अहम बात यह है कि उन होटल के सामने मात्र 10 फीट से भी ज्यादा की जगह नहीं है. ऐसे में अगर कोई बड़ा हादसा या आगजनी होती है तो फायर डिपार्टमेंट की गाड़ियां मौके पर नहीं पहुंच सकेंगी. वहीं रेस्क्यू करने के लिए भी इलाके में इतनी जगह नहीं है कि विभाग की गाड़ियां वहां पहुंच सकें.

रोड पर खड़े वाहन बढ़ाते परेशानी
वहीं सबसे अहम बात यह भी है कि करोलबाग बेहद ही अस्त-व्यस्त वाला इलाका है. जहां लोग काफी खरीदारी करने आते हैं लेकिन यहां रोड पर वाहन खड़े होने के चलते लोगों को बेहद परेशानी होती है. अगर कोई बड़ा हादसा इस इलाके में होता है तो रोड पर खड़े वाहन रेस्क्यू में भंग पैदा कर सकते हैं.

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बेहद संकरा होने के बाद भी एनओसी
इस पूरे मामले में सबसे अहम बात यह है कि बेहद ही संकरी गलियों में हाईराइज होटल बने होना बेहद चिंताजनक बात है. ऐसे में अग्निशमन विभाग की तरफ से होटल और रेस्टोरेंट को आखिर कैसे एनओसी मिल जाती है? यहां ऐसे कई होटल हैं जहां, एग्जिट करने के लिए भी उचित इंतजाम नहीं है. ऐसे में अग्निशमन विभाग की लापरवाही भी देखने को मिल रही है.

फिलहाल देखना होगा कि दिल्ली सरकार, अग्निशमन विभाग के आला अधिकारी इस पूरे मामले के बाद क्या उचित कदम उठाते हैं और लोगों की जान की परवाह को लेकर कितनी शक्ति बरतते हैं.


करोल बाग इलाके में करीब 30 से ज्यादा होटल और रेस्टोरेंट हैं. यहां पर कई हाईराइज होटल भी हैं लेकिन ये बेहद ही संकरी गलियों में बने हुए हैं. अगर यहां पर कोई भी बड़ा हादसा या आगजनी होती है, तो यहां से लोगों को निकलना बेहद मुश्किल होगा. मंगलवार को अर्पित होटल में जिस तरह से आग लगी वह भी जिसके बाद लोगों को अपनी जान बचाने के लिए होटल की बिल्डिंग से कूदना पड़ा.

करोल बाग में हादसे को दावत देते हाईराइज होटल
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ईटीवी ने लिया जायजा
होटल के बैक डोर की बात करें तो वह बेहद संकरी गली में था और बेहद ही छोटा गेट बना हुआ था. जिसके चलते लोग वहां से भी बाहर नहीं निकल सके. इस बाबत ईटीवी भारत ने करोल बाग के इलाकों में जाकर जायजा लिया.

होटल के सामने 10 फीट जगह
करोल बाग में ऐसे कई होटल देखने को मिले जो, बेहद ही संकरी गलियों में हैं. सबसे अहम बात यह है कि उन होटल के सामने मात्र 10 फीट से भी ज्यादा की जगह नहीं है. ऐसे में अगर कोई बड़ा हादसा या आगजनी होती है तो फायर डिपार्टमेंट की गाड़ियां मौके पर नहीं पहुंच सकेंगी. वहीं रेस्क्यू करने के लिए भी इलाके में इतनी जगह नहीं है कि विभाग की गाड़ियां वहां पहुंच सकें.

रोड पर खड़े वाहन बढ़ाते परेशानी
वहीं सबसे अहम बात यह भी है कि करोलबाग बेहद ही अस्त-व्यस्त वाला इलाका है. जहां लोग काफी खरीदारी करने आते हैं लेकिन यहां रोड पर वाहन खड़े होने के चलते लोगों को बेहद परेशानी होती है. अगर कोई बड़ा हादसा इस इलाके में होता है तो रोड पर खड़े वाहन रेस्क्यू में भंग पैदा कर सकते हैं.

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बेहद संकरा होने के बाद भी एनओसी
इस पूरे मामले में सबसे अहम बात यह है कि बेहद ही संकरी गलियों में हाईराइज होटल बने होना बेहद चिंताजनक बात है. ऐसे में अग्निशमन विभाग की तरफ से होटल और रेस्टोरेंट को आखिर कैसे एनओसी मिल जाती है? यहां ऐसे कई होटल हैं जहां, एग्जिट करने के लिए भी उचित इंतजाम नहीं है. ऐसे में अग्निशमन विभाग की लापरवाही भी देखने को मिल रही है.

फिलहाल देखना होगा कि दिल्ली सरकार, अग्निशमन विभाग के आला अधिकारी इस पूरे मामले के बाद क्या उचित कदम उठाते हैं और लोगों की जान की परवाह को लेकर कितनी शक्ति बरतते हैं.

Intro:संकरी गलियों में हाई राइज होटल यहां आग लगी तो बुझाना होगा मुश्किल


स्पेशल स्टोरी, नई दिल्ली: दिल्ली का करोल बाग बेहद ही संकरा वाला इलाका है.यहां पर कई बड़े मार्केट और होटल, रेस्टोरेंट भी बने हुए हैं. लेकिन संकरी गलियां होने के चलते यह इलाका बेहद ही अस्त व्यस्त रहता है.दिन भर यहां काफी संख्या में लोगों का आवागमन भी होता है.लेकिन इन संकरी गलियों में हाईराइज होटल और रेस्टोरेंट होना बेहद ही जोखिम भरा साबित हो सकता है.आपको बता दें कि करोल बाग इलाके में करीब 30 से ज्यादा होटल और रेस्टोरेंट है.यहां पर कई हाईराइज होटल भी है लेकिन यह बेहद ही संकरी गलियों में बने हुए हैं.अगर यहां पर कोई भी बड़ा हादसा या आगजनी होती है तो यहां से लोगों को निकलना बेहद मुश्किल होगा.मंगलवार को अर्पित होटल में जिस तरह से आग लगी वह भी जिसके बाद लोगों को अपनी जान बचाने के लिए होटल की बिल्डिंग से कूदना पड़ा.होटल के बैक डोर की बात करें तो वह बेहद संकरी गली में था और बेहद ही छोटा गेट बना हुआ था. जिसके चलते लोग वहां से भी बाहर नहीं निकल सके. इस बाबत ईटीवी भारत में करोल बाग के इलाकों में जाकर जायजा लिया.


Body:करोल बाग में ऐसे कई होटल देखने को मिले जो बेहद ही संकरी गलियों में है.सबसे अहम बात यह है कि उन होटल के सामने मात्र 10 फीट से भी ज्यादा की जगह नहीं है. ऐसे में अगर कोई बड़ा हादसा या आगजनी होती है तो फायर डिपार्टमेंट की गाड़ियां मौके पर नहीं पहुंच सकेंगे. वहीं रेस्क्यू करने के लिए भी इलाके में इतनी जगह नहीं है कि विभाग की गाड़ियां वहां पहुंच सके.

रोड पर खड़े होते वाहन बढ़ाते हैं परेशानी
वही सबसे अहम बात यह भी है कि करोलबाग बेहद ही अस्त व्यस्त रहने वाला इलाका है. जहां पर लोग काफी खरीदारी करने आते हैं.लेकिन यहां पर रोड पर वाहन खड़े होने के चलते लोगों को बेहद परेशानी होती है. अगर कोई बड़ा हादसा इस इलाके में होता है तो रोड पर खड़े वाहन रेस्क्यू में भंग पैदा कर सकते हैं.


Conclusion:बेहद संकरा होने के बाद भी आखिर कैसे मिल रही है एनओसी

इस पूरे मामले में सबसे अहम बात यह है कि बेहद ही संकरी गलियों में हाइराइज होटल बने होना बेहद चिंताजनक बात है.ऐसे में अग्निशमन विभाग की तरफ से होटल और रेस्टोरेंट को आखिर कैसे एनओसी मिल जाती है? यहां ऐसे कई होटल हैं जहां पर एग्जिट करने के लिए भी उचित इंतजाम नहीं है.ऐसे में अग्निशमन विभाग की लापरवाही भी देखने को मिल रही है. फिलहाल देखना होगा कि दिल्ली सरकार, अग्निशमन विभाग के आला अधिकारी इस पूरे मामले के बाद क्या उचित कदम उठाते हैं. और लोगों की जान की परवाह को लेकर कितनी शक्ति बरतते हैं.
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