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दिल्ली: गुरु रामदास जी के प्रकाशपर्व पर लंगर का आयोजन

दिल्ली में सिखों के चौथे गुरु, गुरु रामदास जी के प्रकाशपर्व (prakash parv of Guru Ramdas ji) पर जगह-जगह लंगर का आयोजन किया गया. इसके साथ ही गुरुद्वारों में शबद कीर्तन का भी आयोजन किया गया. इस मौके पर बड़ी संख्य में लोगों ने लंगर छका.

prakash parv of Guru Ramdas ji
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Published : Oct 16, 2022, 6:03 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी में सिखों के चौथे गुरु, गुरु रामदास जी का प्रकाश पर्व (prakash parv of Guru Ramdas ji) धूमधाम से मनाया गया और जगह-जगह गुरुद्वारों में शबद-कीर्तन का आयोजन किया गया. इस अवसर पर कई इलाकों में लंगर का भी आयोजन किया गया, जिसमें लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. इसी क्रम में यहां के टैगोर गार्डन इलाके में भी अरदास के बाद लंगर का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय लोगों के साथ अन्य लोगों ने भी लंगर छका. इस मौके पर शबद कीर्तन से गुरुद्वारे गूंज उठे.

गुरु रामदास जी के प्रकाशपर्व पर लंगर का आयोजन

लंगर में भाग लेने के लिए आसपास के इलाकों से भी लोग आए. वहीं, लंगर में सिख समुदाय के लोगों के साथ-साथ हिंदू एवं मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी सेवा कर श्रमदान किया. साथ ही साथ उन्होंने आपसी सौहार्द और समाज में धार्मिक एकता का संदेश भी दिया. लंगर में महिलाएं और बच्चे भी सेवा करते हुए दिखाई दिए और लोगों में लंगर चलाते नजर आए.

यह भी पढ़ें-गुरु अर्जुन देव की शहीदी दिवस पर लंगर का आयोजन

बता दें, सिखों के चौथे गुरु रामदास जी का जन्म लाहौर के चूना मंडी में हुआ था. उनकी माता का नाम दयाजी और पिता का नाम हरदासजी था. गुरु रामदास जी को गुरु की उपाधि सन् 1574 में दी गई थी. तब विदेशी आक्रमणकारी लगातार एक-एक शहर को तबाह कर रहे थे. इसी समय गुरु रामदास जी ने उन आक्रमणकारियों का बहादुरी से डटकर मुकाबला किया. इसी दौरान उन्होंने एक शहर रामसर भी बसाया, जो आज के समय में अमृतसर के नाम से जाना जाता है.

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नई दिल्ली: राजधानी में सिखों के चौथे गुरु, गुरु रामदास जी का प्रकाश पर्व (prakash parv of Guru Ramdas ji) धूमधाम से मनाया गया और जगह-जगह गुरुद्वारों में शबद-कीर्तन का आयोजन किया गया. इस अवसर पर कई इलाकों में लंगर का भी आयोजन किया गया, जिसमें लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. इसी क्रम में यहां के टैगोर गार्डन इलाके में भी अरदास के बाद लंगर का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय लोगों के साथ अन्य लोगों ने भी लंगर छका. इस मौके पर शबद कीर्तन से गुरुद्वारे गूंज उठे.

गुरु रामदास जी के प्रकाशपर्व पर लंगर का आयोजन

लंगर में भाग लेने के लिए आसपास के इलाकों से भी लोग आए. वहीं, लंगर में सिख समुदाय के लोगों के साथ-साथ हिंदू एवं मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी सेवा कर श्रमदान किया. साथ ही साथ उन्होंने आपसी सौहार्द और समाज में धार्मिक एकता का संदेश भी दिया. लंगर में महिलाएं और बच्चे भी सेवा करते हुए दिखाई दिए और लोगों में लंगर चलाते नजर आए.

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बता दें, सिखों के चौथे गुरु रामदास जी का जन्म लाहौर के चूना मंडी में हुआ था. उनकी माता का नाम दयाजी और पिता का नाम हरदासजी था. गुरु रामदास जी को गुरु की उपाधि सन् 1574 में दी गई थी. तब विदेशी आक्रमणकारी लगातार एक-एक शहर को तबाह कर रहे थे. इसी समय गुरु रामदास जी ने उन आक्रमणकारियों का बहादुरी से डटकर मुकाबला किया. इसी दौरान उन्होंने एक शहर रामसर भी बसाया, जो आज के समय में अमृतसर के नाम से जाना जाता है.

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