नई दिल्लीः साइबर क्राइम से बचने के लिए दिल्ली पुलिस लगातार लोगों को जागरूक करती रहती है. इसके लिए कैंप लगाकर बताया जा रहा है कि कैसे अनजान नंबर से आए लिंक को क्लिक ना करें. गूगल पर कुछ भी सर्च करें तो पहले उसकी सत्यता जांच लें. इन सबके बावजूद लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं. ऐसा ही एक मामला द्वारका इलाके से सामने आया है, जिसमें एक शख्स ने गूगल पर मोबिक्विक का कस्टमर केयर नंबर सर्च किया और जब उसने उस पर कॉल किया तो ठगी का शिकार हो गया.
डीसीपी द्वारका एम हर्षवर्धन ने बताया कि पीड़ित जब गूगल से मोबिक्विक नंबर निकालकर उस पर संपर्क किया तो कस्टमर केयर बताने वाले शख्स ने पीड़ित को व्हाट्सएप पर एक लिंक भेजा. जैसे ही पीड़ित ने उस लिंक पर क्लिक किया तो कुछ देर बाद उसके अकाउंट से एक लाख रुपये का ट्रांजैक्शन हो गया. दोबारा उसने उस नंबर पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उसका संपर्क नहीं हो सका. जब पीड़ित को लगा कि उसके साथ चीटिंग हो गई तो फिर उसने इस मामले की शिकायत द्वारका साइबर थाना में जाकर की.
एम हर्षवर्धन ने बताया कि एसीपी ऑपरेशन रामअवतार की देखरेख में साइबर थाना के एसएचओ जगदीश कुमार की टीम ने मामले की छानबीन शुरू की. जांच में पता चला कि जो अमाउंट ट्रांसफर हुआ है, वह एचडीएफसी बैंक में गया है. उस अकाउंट की डिटेल और रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर जब टेक्निकल सर्विलांस से जांच की गई तो पता चला कि उड़ीसा के रहने वाले दिलीप कुमार के नाम पर अकाउंट है.
उसके बाद पुलिस टीम ओड़िशा में पहुंचकर वहां छापा मारकर दिलीप कुमार को उसके घर से गिरफ्तार किया. उससे जब पूछताछ हुई तो उसने बताया कि वह अपने एक और साथी निरंजन उर्फ मुन्ना के साथ मिलकर इस तरह की ठगी की वारदात को अंजाम देता है. उसके बाद दोनों आपस में शेयर बांट लेते हैं. ठगी की वारदात को अंजाम देने के लिए इन्होंने अपना मोबाइल नंबर गूगल ऐड पर मोबिक्विक कस्टमर केयर नंबर के तौर पर डाल दिया था. जैसे ही कोई इस नंबर पर संपर्क करता था, उसे व्हाट्सएप पर स्क्रीन शेयरिंग एप का लिंक भेजकर उसके अकाउंट से पैसा को निकाल लेता था.
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डीसीपी द्वारका का कहना है कि लोग कोई भी डिटेल गूगल पर चेक करते हैं, तो उसकी पूरी जांच लें. उसकी रेटिंग देख ले और कंफर्म हो जाए. तभी उससे संपर्क करें. मोबाइल शेयरिंग एप से बचें, क्योंकि इससे आपका पूरा डाटा दूसरे के मोबाइल तक पहुंच जाता है.