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Green Energy: दिल्ली में ग्रीन एनर्जी से खत्म होगा बिजली संकट, गर्मी तोड़ेगी बिजली खपत के सारे रिकॉर्ड - Green energy will end power crisis in Delhi

बिजली कंपनियों ने अनुमान जताया है कि इस बार राजधानी दिल्ली में बिजली खपत पिछले सारे रिकॉर्ड को तोड़ देगी. इस बार दिल्ली में 8100 मेगावाट बिजली खपत होने का अनुमान है. पिछले साल शहर में पीक डिमांड 7695 मेगावाट थी.

ग्रीन एनर्जी से खत्म होगा बिजली संकट
ग्रीन एनर्जी से खत्म होगा बिजली संकट
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Published : Mar 14, 2023, 6:17 PM IST

नई दिल्ली: इस साल देश की राजधानी दिल्ली में गर्मी में बिजली की मांग पिछले सालों के सारे रिकॉर्ड तोड़कर एक नया रिकॉर्ड बनाने वाली है. हालांकि बिजली कंपनी का दावा है कि उन्होंने इसके पूरे इंतजाम कर रखे हैं. साथ ही इस बार बिजली की कमी को पूरा करने में ग्रीन एनर्जी का भी इंतजाम किया गया है.

ग्रीन एनर्जी से पूरी होगी बिजली की मांग: आने वाली गर्मी में निजी बिजली कंपनी बीएसईएस इलाके में बिजली की बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए ग्रीन एनर्जी के इंतजाम में जुटी है. जानकारी के अनुसार, बीएसईएस ने 1500 मेगावाट ग्रीन एनर्जी की व्यवस्था की है, इसमें सेकी यानी सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया से मिलने वाली 888 मेगावाट सौर ऊर्जा और 486 मेगा वाट पवन ऊर्जा के अलावा कचरे से बनने वाली 40 मेगावाट बिजली भी शामिल है. इसके अलावा बीएसईएस इलाके में लगे सोलर पावर प्लांट से भी 130 मेगा वाट बिजली इकट्ठा करेगी.

केंद्र और राज्यों के बीच हुए समझौते के अनुसार, पावर प्लांटों से मिलने वाली नियमित बिजली के अलावा बीएसईएस को पावर ब्रेकिंग सिस्टम से भी 630 मेगावाट बिजली मिलेगी. पावर बैंकिंग के तहत तमिलनाडु, केरल, मेघालय, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्य सभी बीएसईएस को बिजली मिलेगी. गर्मियों में बिजली खपत के पिछले सारे रिकॉर्ड टूटने का अनुमान है. दिल्ली में इस बार बिजली की डिमांड 8100 मेगावाट तक पहुंच सकती है, जबकि पिछले साल पीक डिमांड 7695 मेगा वाट रही थी. 2021 में दिल्ली में बिजली की मांग 7323 मेगावाट थी. जबकि 2020 में 6314 मेगा वाट. हालांकि 2019 में राजधानी में बिजली की मांग 7409 मेगावाट पहुंच गई थी.

वहीं दूसरी बिजली कंपनी बीआरपीएल के इलाके में पिछले साल बिजली की डिमांड 3389 मेगावाट थी. आईपीएल की बात करें तो पिछले साल इस क्षेत्र में बिजली की डिमांड 1752 थी. जबकि 2021 में यह डिमांड 1656 मेगावाट थी. वहीं इस साल बीवाईपीएल 1880 मेगावाट तक जा सकती है. उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति उपलब्ध कराने के लिए बिजली की पर्याप्त व्यवस्था की गई है.

कंपनियां बिजली की मांग का सही अनुमान लगाने के लिए तकनीकों का इस्तेमाल कर रही है, जिसमें मौसम का अनुमान लगाने वाले तकनीक भी शामिल है. लोड का लगभग सटीक अनुमान लगाने में मौसम का बड़ा योगदान है, क्योंकि बारिश कितनी होगी, आसमान में बादल छाए हैं ?, हवा की गति कितनी है ?, हवा की दिशा किस तरफ है? और ह्यूमिडिटी कितनी है, इन सब चीजों का बिजली की खपत में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है.

ये भी पढ़ें: Natu Natu in Rajya Sabha : कुछ देर के लिए सही, नाटू-नाटू के बहाने राज्यसभा में थमा हंगामा

बीएसईएस ने अपने नेटवर्क को किया अपग्रेड: एडवांस्ड कास्टिंग मॉडल्स, अत्याधुनिक वेदर फोरकास्टिंग सॉल्यूशंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीन का इस्तेमाल कर रही है. साथ ही इसमें आईएमडी द्वारा उपलब्ध विशेषज्ञता का भी उपयोग किया जा रहा है. बिजली की मांग का सही अनुमान लगा पाने की क्षमता उपभोक्ताओं को विश्वसनीय बिजली आपूर्ति में काफी मदद करती है. इतना ही नहीं बिजली की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए बीएसईएस ने अपने नेटवर्क को भी अपग्रेड किया है.

ये भी पढ़ें: DTC Bus Service: अब दिल्ली से चंडीगढ़ तक इलेक्ट्रिक बसें चलाएगा दिल्ली परिवहन निगम

नई दिल्ली: इस साल देश की राजधानी दिल्ली में गर्मी में बिजली की मांग पिछले सालों के सारे रिकॉर्ड तोड़कर एक नया रिकॉर्ड बनाने वाली है. हालांकि बिजली कंपनी का दावा है कि उन्होंने इसके पूरे इंतजाम कर रखे हैं. साथ ही इस बार बिजली की कमी को पूरा करने में ग्रीन एनर्जी का भी इंतजाम किया गया है.

ग्रीन एनर्जी से पूरी होगी बिजली की मांग: आने वाली गर्मी में निजी बिजली कंपनी बीएसईएस इलाके में बिजली की बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए ग्रीन एनर्जी के इंतजाम में जुटी है. जानकारी के अनुसार, बीएसईएस ने 1500 मेगावाट ग्रीन एनर्जी की व्यवस्था की है, इसमें सेकी यानी सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया से मिलने वाली 888 मेगावाट सौर ऊर्जा और 486 मेगा वाट पवन ऊर्जा के अलावा कचरे से बनने वाली 40 मेगावाट बिजली भी शामिल है. इसके अलावा बीएसईएस इलाके में लगे सोलर पावर प्लांट से भी 130 मेगा वाट बिजली इकट्ठा करेगी.

केंद्र और राज्यों के बीच हुए समझौते के अनुसार, पावर प्लांटों से मिलने वाली नियमित बिजली के अलावा बीएसईएस को पावर ब्रेकिंग सिस्टम से भी 630 मेगावाट बिजली मिलेगी. पावर बैंकिंग के तहत तमिलनाडु, केरल, मेघालय, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्य सभी बीएसईएस को बिजली मिलेगी. गर्मियों में बिजली खपत के पिछले सारे रिकॉर्ड टूटने का अनुमान है. दिल्ली में इस बार बिजली की डिमांड 8100 मेगावाट तक पहुंच सकती है, जबकि पिछले साल पीक डिमांड 7695 मेगा वाट रही थी. 2021 में दिल्ली में बिजली की मांग 7323 मेगावाट थी. जबकि 2020 में 6314 मेगा वाट. हालांकि 2019 में राजधानी में बिजली की मांग 7409 मेगावाट पहुंच गई थी.

वहीं दूसरी बिजली कंपनी बीआरपीएल के इलाके में पिछले साल बिजली की डिमांड 3389 मेगावाट थी. आईपीएल की बात करें तो पिछले साल इस क्षेत्र में बिजली की डिमांड 1752 थी. जबकि 2021 में यह डिमांड 1656 मेगावाट थी. वहीं इस साल बीवाईपीएल 1880 मेगावाट तक जा सकती है. उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति उपलब्ध कराने के लिए बिजली की पर्याप्त व्यवस्था की गई है.

कंपनियां बिजली की मांग का सही अनुमान लगाने के लिए तकनीकों का इस्तेमाल कर रही है, जिसमें मौसम का अनुमान लगाने वाले तकनीक भी शामिल है. लोड का लगभग सटीक अनुमान लगाने में मौसम का बड़ा योगदान है, क्योंकि बारिश कितनी होगी, आसमान में बादल छाए हैं ?, हवा की गति कितनी है ?, हवा की दिशा किस तरफ है? और ह्यूमिडिटी कितनी है, इन सब चीजों का बिजली की खपत में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है.

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बीएसईएस ने अपने नेटवर्क को किया अपग्रेड: एडवांस्ड कास्टिंग मॉडल्स, अत्याधुनिक वेदर फोरकास्टिंग सॉल्यूशंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीन का इस्तेमाल कर रही है. साथ ही इसमें आईएमडी द्वारा उपलब्ध विशेषज्ञता का भी उपयोग किया जा रहा है. बिजली की मांग का सही अनुमान लगा पाने की क्षमता उपभोक्ताओं को विश्वसनीय बिजली आपूर्ति में काफी मदद करती है. इतना ही नहीं बिजली की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए बीएसईएस ने अपने नेटवर्क को भी अपग्रेड किया है.

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