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बाटला हाउस फिल्म को कुछ बदलावों के साथ रिलीज करने की मिली अनुमति - Delhi

पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस विभू बाखरू ने कहा था कि अगर फिल्म ट्रायल को प्रभावित कर सकता है तो इस पर रोक लगाया जा सकता है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने सिंगल बेंच को बताया था कि फिल्म को देखकर ऐसा लगता है कि वे दोषी हैं.

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Published : Aug 13, 2019, 9:52 PM IST

नई दिल्ली: हाईकोर्ट ने बाटला हाउस एनकाउंटर पर बनी फिल्म को कुछ बदलावों के साथ रिलीज करने की अनुमति दे दी है. यह फिल्म 15 अगस्त को रिलीज हो रही है. जस्टिस विभू बाखरु ने फिल्म निर्माता के इस आश्वासन के बाद फिल्म को रिलीज करने की अनुमति दी कि वो कुछ दृश्य हटाएंगे और डिस्क्लेमर दिखाएंगे.

'आरोप पत्र पर फिल्माया गया है'
पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस विभू बाखरू ने कहा था कि अगर फिल्म ट्रायल को प्रभावित कर सकता है तो इस पर रोक लगाया जा सकता है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने सिंगल बेंच को बताया था कि फिल्म को देखकर ऐसा लगता है कि वे दोषी हैं. सबकुछ आरोप पत्र के आधार पर फिल्माया गया है.

'पड़ सकता है ट्रायल पर असर'

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा था कि कोर्ट सब कुछ निष्पक्ष ढंग से कर रही है लेकिन फिल्म के रिलीज होने से ट्रायल और अपील पर फर्क पड़ सकता है. वहीं फिल्म के प्रोड्यूसर ने कहा था कि भले ही फिल्म चार्जशीट को आधार बनाकर बनाई गई है, लेकिन इससे कहीं ऐसा नहीं लगता कि याचिकाकर्ता को अभियुक्त या आतंकवादी दिखाया गया हो. तब कोर्ट ने कहा था कि एक याचिकाकर्ता का नाम पोस्टर पर भी है. अगर फिल्म से ट्रायल प्रभावित होने की आशंका होगी तो फिल्म की रिलीज रोक दी जाएगी.

2008 को हुआ था एनकाउंटर
आपको बता दें कि 19 सितंबर 2008 को जामिया नगर के बाटला हाउस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस ने दो संदिग्ध आतंकवादियों को मार गिराया था. मामले में तीन अन्य संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया था. एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए थे. मामले में आरिफ खान को फरवरी 2018 में गिरफ्तार किया गया था. शहजाद अहमद ने ट्रायल कोर्ट की ओर से दोषी करार दिए जाने के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की है जो अभी लंबित है.


याचिका में कहा गया था कि फिल्म के पोस्टर और उसके वीडियो को देख कर ऐसा लग रहा है की फिल्म बाटला हाउस एनकाउंटर की सच्ची सूचना पर आधारित है. फिल्म में यह बताने की कोशिश की गई है कि एनकाउंटर वाकई में सही था जो लंबित केस पर प्रभाव डाल सकता है. इस फिल्म में एनकाउंटर और दिल्ली के सीरियल बम ब्लास्ट के बीच एक कड़ी जोड़ने की कोशिश की गई है. याचिका में कहा गया था कि सीरियल बम ब्लास्ट मामले की सुनवाई अभी पटियाला हाउस कोर्ट में चल रही है और इस फिल्म से इसके ट्रायल पर काफी असर पड़ेगा. सीरियल बम ब्लास्ट 13 सितंबर 2008 को हुए थे.

नई दिल्ली: हाईकोर्ट ने बाटला हाउस एनकाउंटर पर बनी फिल्म को कुछ बदलावों के साथ रिलीज करने की अनुमति दे दी है. यह फिल्म 15 अगस्त को रिलीज हो रही है. जस्टिस विभू बाखरु ने फिल्म निर्माता के इस आश्वासन के बाद फिल्म को रिलीज करने की अनुमति दी कि वो कुछ दृश्य हटाएंगे और डिस्क्लेमर दिखाएंगे.

'आरोप पत्र पर फिल्माया गया है'
पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस विभू बाखरू ने कहा था कि अगर फिल्म ट्रायल को प्रभावित कर सकता है तो इस पर रोक लगाया जा सकता है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने सिंगल बेंच को बताया था कि फिल्म को देखकर ऐसा लगता है कि वे दोषी हैं. सबकुछ आरोप पत्र के आधार पर फिल्माया गया है.

'पड़ सकता है ट्रायल पर असर'

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा था कि कोर्ट सब कुछ निष्पक्ष ढंग से कर रही है लेकिन फिल्म के रिलीज होने से ट्रायल और अपील पर फर्क पड़ सकता है. वहीं फिल्म के प्रोड्यूसर ने कहा था कि भले ही फिल्म चार्जशीट को आधार बनाकर बनाई गई है, लेकिन इससे कहीं ऐसा नहीं लगता कि याचिकाकर्ता को अभियुक्त या आतंकवादी दिखाया गया हो. तब कोर्ट ने कहा था कि एक याचिकाकर्ता का नाम पोस्टर पर भी है. अगर फिल्म से ट्रायल प्रभावित होने की आशंका होगी तो फिल्म की रिलीज रोक दी जाएगी.

2008 को हुआ था एनकाउंटर
आपको बता दें कि 19 सितंबर 2008 को जामिया नगर के बाटला हाउस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस ने दो संदिग्ध आतंकवादियों को मार गिराया था. मामले में तीन अन्य संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया था. एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए थे. मामले में आरिफ खान को फरवरी 2018 में गिरफ्तार किया गया था. शहजाद अहमद ने ट्रायल कोर्ट की ओर से दोषी करार दिए जाने के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की है जो अभी लंबित है.


याचिका में कहा गया था कि फिल्म के पोस्टर और उसके वीडियो को देख कर ऐसा लग रहा है की फिल्म बाटला हाउस एनकाउंटर की सच्ची सूचना पर आधारित है. फिल्म में यह बताने की कोशिश की गई है कि एनकाउंटर वाकई में सही था जो लंबित केस पर प्रभाव डाल सकता है. इस फिल्म में एनकाउंटर और दिल्ली के सीरियल बम ब्लास्ट के बीच एक कड़ी जोड़ने की कोशिश की गई है. याचिका में कहा गया था कि सीरियल बम ब्लास्ट मामले की सुनवाई अभी पटियाला हाउस कोर्ट में चल रही है और इस फिल्म से इसके ट्रायल पर काफी असर पड़ेगा. सीरियल बम ब्लास्ट 13 सितंबर 2008 को हुए थे.

Intro:नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने बाटला हाउस एनकाउंटर पर बनी फिल्म को कुछ बदलावों के साथ रिलीज करने की अनुमति दे दी है। यह फिल्म 15 अगस्त को रिलीज हो रही है। जस्टिस विभू बाखरु ने फिल्म निर्माता के इस आश्वासन के बाद फिल्म को रिलीज करने की अनुमति दी कि वो कुछ दृश्य हटाएंगे और डिस्क्लेमर दिखाएंगे।



Body:पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस विभू बाखरू ने कहा था कि अगर फिल्म ट्रायल को प्रभावित कर सकता है तो इस पर रोक लगाया जा सकता है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने सिंगल बेंच को बताया था कि फिल्म को देखकर ऐसा लगता है कि वे दोषी हैं। सबकुछ आरोप पत्र के आधार पर फिल्माया गया है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा था कि कोर्ट सब कुछ निष्पक्ष ढंग से कर रही है लेकिन फिल्म के रिलीज होने से ट्रायल और अपील पर फर्क पड़ सकता है। वहीं फिल्म के प्रोड्यूसर ने कहा था कि भले ही फिल्म चार्जशीट को आधार बनाकर बनाई गई है लेकिन इससे कहीं ऐसा नहीं लगता कि याचिकाकर्ता को अभियुक्त या आतंकवादी दिखाया गया हो। तब कोर्ट ने कहा था कि एक याचिकाकर्ता का नाम पोस्टर पर भी है। अगर फिल्म से ट्रायल प्रभावित होने की आशंका होगी तो फिल्म की रिलीज रोक दी जाएगी।
पिछले 3 अगस्त को जस्टिस विभू बाखरु ने फिल्म के प्रोड्यूसर को निर्देश दिया था कि वह याचिकाकर्ता को फिल्म दिखाएं। जिसके बाद ये फिल्म याचिकाकर्ताओं को दिखाया गया था।
याचिका बाटला हाउस एनकाउंटर के एक अभियुक्त आरिफ खान और शहजाद अहमद ने दायर की थी। शहजाद अहमद को एनकाउंटर के दौरान एक पुलिस अधिकारी की हत्या के मामले में दोषी करार दिया गया था। याचिका में कहा गया था कि फिल्म में कानूनी प्रक्रियाओं का ध्यान नहीं रखा गया है और जानबूझकर गलत जानकारियां दी गई है जो उस केस के ट्रायल में बाधा खड़ी कर सकते हैं।
आपको बता दें कि 19 सितंबर 2008 को जामिया नगर के बाटला हाउस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस ने दो संदिग्ध आतंकवादियों को मार गिराया था। मामले में तीन अन्य संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया था। एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए थे। मामले में आरिफ खान को फरवरी 2018 में गिरफ्तार किया गया था। शहजाद अहमद ने ट्रायल कोर्ट की ओर से दोषी करार दिए जाने के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की है जो अभी लंबित है।
याचिका में कहा गया था कि फिल्म के पोस्टर और उसके वीडियो को देख कर ऐसा लग रहा है की फिल्म बाटला हाउस एनकाउंटर की सच्ची सूचना पर आधारित है। फिल्म में यह बताने की कोशिश की गई है कि एनकाउंटर वाकई में सही था जो लंबित केस पर प्रभाव डाल सकता है। क्या में कहा गया है इस फिल्म में एनकाउंटर और दिल्ली के सीरियल बम ब्लास्ट के बीच एक कड़ी जोड़ने की कोशिश की गई है। याचिका में कहा गया था कि सीरियल बम ब्लास्ट मामले की सुनवाई अभी पटियाला हाउस कोर्ट में चल रही है और इस फिल्म से इसके ट्रायल पर काफी असर पड़ेगा। सीरियल बम ब्लास्ट 13 सितंबर 2008 को हुए थे।



Conclusion:पिछले 9 अगस्त को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने फिल्म की रिलीज पर रोक की एक याचिकाकर्ता की मांग को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि उसने फिल्म नहीं देखी है और उसने केवल ट्रेलर देखा है। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि आपने फिल्म नहीं देखी है, केवल ट्रेलर से कुछ नहीं किया जा सकता है।
इस फिल्म का निर्देशन निखिल आडवाणी ने किया है। फिल्म में जॉन अब्राहम और रवि किशन नजर आएंगे।
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