नई दिल्ली: केजरीवाल सरकार ने नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल एरिया को विश्वस्तरीय पहचान देने के लिए एक बड़ी पहल की है. इसके तहत इन क्षेत्रों का संपूर्ण पुनर्विकास किया जाएगा. इससे दिल्ली की अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी. साथ ही लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा. इस संबंध में शुक्रवार को सीएम अरविंद केजरीवाल ने इन क्षेत्रों के उद्यमियों से मुलाकात की.
केजरीवाल ने कहा कि इन एरिया को तीन चरणों में पुनर्विकास करने के लिए पॉलिसी बनाई है. दिल्ली का विकास बहुत ही अनियोजित तरीके से हुआ है. कोई प्लानिंग नहीं हुई. जिस तेजी से दिल्ली का विस्तार हुआ, उतनी तेजी से डीडीए जरूरी सुविधाएं मुहैया नहीं करा पाई. दूसरी तरफ, दिल्ली में इंडस्ट्री के लिए जमीन की मांग बहुत तेजी से बढ़ती गई, लेकिन डीडीए इसके लिए कोई प्लानिंग नहीं कर पाई. ऐसे में यहां के कई रिहायशी और अनधिकृत इलाकों में लोगों ने इंडस्ट्री शुरू कर दी गई. दिल्ली में ऐसे क्षेत्रों को नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल एरिया कहा गया है. क्योंकि यहां पानी, सीवर, सड़क किसी भी चीज की व्यवस्था नहीं है. इंडस्ट्री के लिए कोई इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है केवल जुगाड़ से ही काम चलता है.
पुनर्विकास करने के लिए पॉलिसी: केजरीवाल ने कहा कि हमने पता करने की कोशिश की कि आखिर नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरिया का लेआउट प्लान क्यों नहीं बन पा रहा है? तब पता लगा कि लेआउट प्लान बनाने में मोटा खर्चा है और इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ये खर्चा नहीं देना चाहती है. इसलिए अब दिल्ली सरकार ने एक पहल करते हुए नॉन कन्फर्मिंग औद्योगिक एरिया के इंडस्ट्री और गोदाम क्लस्टर का पुनर्विकास करने के लिए एक पॉलिसी बनाई है. इसके तीन चरण है.
पहले चरण में कंसल्टेंट का पैनल बनेगा. उस कंसल्टेंट का 90 फीसद खर्चा दिल्ली सरकार देगी और केवल 10 फीसदी इंडस्ट्री को देना होगा. लेआउट योजना स्थानीय इंडस्ट्रीज एसोसिएशन या सोसायटी के साथ साझेदारी में सलाहकारों द्वारा तैयार की जाएगी. अगर कॉमन फैसिलिटी या सड़कों के निर्माण के दौरान किसी की थोड़ी जमीन आएगी तो इसमें इंडस्ट्रीज को सहयोग देना होगा. इंडस्ट्रीज के सहयोग के बिना यह पुनर्विकास योजना सफल नहीं हो पाएगी. दिल्ली सरकार दिल खोलकर ये पॉलिसी इंडस्ट्रीज के लिए लेकर आई है. जिसके पहले चरण में सभी को साथ लेकरपूरे इंडस्ट्रियल एरिया के सदस्यों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी.
दिल्ली में नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल एरिया: यहां कुल 26 नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल एरिया हैं. जिसमें आनंद पर्बत, शाहदरा, समयपुर बादली, जवाहर नगर, सुल्तानपुर माजरा, हस्तसाल पॉकेट-ए, हस्तसाल पॉकेट-डी, नरेश पार्क एक्सटेंशन, लिबासपुर, पीरागढ़ गांव, ख्याला, शालामार गांव, न्यू मंडोली, नवादा, रिठाला, स्वर्ण पार्क मुंडका, हैदरपुर, करावल नगर, डाबरी, बसई दारापुर, प्रहलादपुर बांगर, मुंडका उद्योग नगर दक्षिण, फिरनी रोड मुंडका, रनहोला, नंगली सकरवाती और टिकरी कलां शामिल है. इसी के साथ गोदाम क्लस्टर के लिए मुंडका (उत्तर) क्लस्टर का पुनर्वास किया जाना है. इन सभी नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल क्षेत्रों की अधिसूचना का कार्य 1990 में शुरू हुआ था और 2021 तक जारी रहा.
पुनर्विकास के लिए अधिसूचना जारी: दिल्ली मास्टर प्लान 2021 के तहत नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीज और गोदाम क्लस्टर के पुनर्विकास के लिए अधिसूचना जारी की गई है. इसमें कई नियम व शतें हैं. पहला नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल एरिया को कम के कम 4 हेक्टेयर जमीन में फैला होना चाहिए. सर्वे के आधार पर क्लस्टर के अंदर 70 फीसद से अधिक जमीन पर औद्योगिक गतिविधि होनी चाहिए, तभी उसे पुनर्विकास के लिए योग्य माना जाएगा. अभी तक दिल्ली के 26 नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रीयल एरियाज को पुनर्विकास के लिए अधिसूचित किया गया है.
गोदामों या वेयर हाउसिंग गतिविधियों के ऐसे नॉन कंफर्मिंग क्लस्टर जहां कम से कम 2 हेक्टेयर के आसपास क्षेत्रफल और क्लस्टर के अंदर 55 फीसद से ज्यादा इंडस्ट्रियल प्लॉट हैं, उनका वास्तविक सर्वे के आधार पर चिंहित कर पुनर्विकास किया जा सकता है. इस प्रावधान के तहत मुंडका (नार्थ) गोदाम क्लस्टर को पुनर्विकास के लिए अधिसूचित किया गया है.
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पुनर्विकास से कारोबार और रोजगार के अवसर: गौरतलब है कि वर्तमान में नॉन कंफर्मिंग इंडस्ट्रियल एरिया में 5 लाख लोग काम करते हैं. इसके पुनर्विकास के बाद भविष्य में 10-15 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिल सकेगा. यह एक ऐतिहासिक अवसर है.
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