नई दिल्ली: एक तरफ जहां तिहाड़ की सुरक्षा व्यवस्था पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ तिहाड़ जेल में बंद कैदियों को सुधारने के साथ-साथ उनकी सजा पूरी होने के बाद उनके पुनर्वास कार्यक्रम को लेकर भी जेल प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है. इसी प्रयास में चल चरखा महिला प्रशिक्षण एवं रोजगार केंद्र के साथ समझौता कर महिला कैदियों को चरखा प्रशिक्षण के लिए पहल की है.
तिहाड़ जेल ने जबलपुर, मध्य प्रदेश के चल चरखा महिला प्रशिक्षण एवं रोजगार केंद्र, प्रतिभा मंडल न्यास, प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ परिसर के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं. यह संगठन दिल्ली की जेलों में बंद महिला कैदियों को हथकरघा और हस्तशिल्प के क्षेत्र में कौशल प्रशिक्षण प्रदान करेगा और रिहाई के बाद इन प्रशिक्षित महिला कैदियों को रोजगार भी प्रदान करेगा. इसकी शुरुआत तिहाड़ की महिला जेल यानी सेंट्रल जेल नंबर 6 में शुरू हुआ और इस जेल में 18 चरखाओं को दिया गया. चलचरखा न्यास, महिला सशक्तीकरण और उनके उत्थान के लिए हथकरघा और हस्तकला में प्रशिक्षण और रोजगार प्रदान करेगा. जैसा खादी उत्पादों को भारत की आत्मा के रूप में दर्शाया गया है.
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यह संगठन केवल महिला कैदियों के बीच आत्मनिर्भरता, सकारात्मकता और आत्मविश्वास के लिए खादी उत्पादों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. चल चरखा नयास ही कच्चा माल आदि मुहैया कराएगा और तैयार उत्पाद यानी कपड़ा उन्हीं के द्वारा ले जाया जाएगा और बेचा जाएगा. उससे जो रकम जमा होगी, उसमें कैदियों की हिस्सेदारी होगी. आनेवाले समय में मंडोली के महिला कारागार में भी इस प्रशिक्षण केन्द्र का विस्तार किया जाएगा, ताकि वहां बंद बंदियों को भी इसका लाभ मिल सके. इन चल चरखाओं में प्रशिक्षण लेने वाले और काम करने वाले कैदियों को दिल्ली सरकार द्वारा अधिसूचित निर्धारित दर पर मजदूरी भी मिलेगी. इस अवसर पर तिहाड़ जेल के डीजी.
संजय बनिवाल ने कहा कि वित्तीय मदद से प्रशिक्षित कैदियों के पुनर्वास को सुनिश्चित करने के लिए इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं. यह पहल रिहाई के बाद कैदियों के पुनर्वास के लिए दिल्ली जेलों द्वारा किए गए प्रयासों में एक नया आयाम जोड़ेगी.
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