नई दिल्ली: लॉकडाउन ने जहां एक तरफ लोगों को बेरोजगारी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया था. वहीं अनलॉक वन के बाद उनके लिए फिर से आजीविका कमाने का मौका आया. लेकिन इन 3 महीनों में काफी कुछ बदल चुका है और इसका अंदाजा टिकरी बॉर्डर मेट्रो स्टेशन के नीचे ऑटो-रिक्शा की लाइनों को देखकर ही लगाया जा सकता है.
घंटों तक करते हैं यात्रियों का इंतजार
ऑटो-रिक्शा चालकों का कहना है कि लॉकडाउन से पहले यात्रियों की भरमार होने से काम बढ़िया चलता था और किसी तरह की परेशानी नहीं होती थी. लेकिन अनलॉक में कुछ पहले जैसा नहीं रहा क्योंकि उन्हें यात्रियों के इंतजार में घंटो इंतजार करना पड़ता है और दूसरी समस्या यह है कि एक बार में तीन से ज्यादा यात्री ऑटो में नहीं बैठा सकते. इस वजह से उनके लिए गैस भरवाने के पैसे निकाल पाना भी मुश्किल हो रहा है.
लॉकडाउन के बाद कमाई आधी
वहीं दूसरे ऑटो चालक ने बताया कि लॉकडाउन से पहले वह रोजाना 600 रुपये तक कमा लेता था पर अब यह कमाई आधे पर आ चुकी है. जिसके बाद सिर्फ 300 रुपये ही हाथ में आते हैं और उसके लिए भी पूरे-पूरे दिन धूप में यात्रियों का इंतजार करना पड़ता है.
समस्याओं से नहीं मिला छुटकारा
इस तरह कहना गलत नहीं होगा कि अनलॉक वन के गुजरते दिनों के साथ भी रोजाना कमाने खाने वालों को उनकी समस्याओं से उतना छुटकारा नहीं मिल पाया जितना उन्हें मिलना चाहिए था. इसलिए वह अब भी पुराने दिनों का इंतजार कर रहे हैं.