नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में स्थित सफदरजंग अस्पताल में क्रानियो मैक्सिलोफैशियल सर्जरी में वर्तमान रुझान को देखते हुए कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें सफदरजंग के डॉक्टरों ने देश के अलग-अलग अस्पतालों से डॉक्टर को आमंत्रित किया था और 5 डेलीगेट्स ने इस वर्कशॉप में शिरकत की.
सर्जनों के लिए उपलब्ध कराया एक मंच
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य प्लास्टिक सर्जनों के लिए खोपड़ी मॉडल पर शिक्षाप्रद व्याख्यान और व्यवहारिक कार्यशाला के माध्यम से इस जटिल समस्या को समझने के लिए एक मंच प्रदान करना और उन्हें जानकारी देना था.
सफदरजंग अस्पताल में होगा अभ्यास
अनुभवी डॉक्टर्स इन हाउस और बाहर के शंकाओं के मार्गदर्शन में डॉक्टर विभिन्न क्रेनियाफैसियल विकृति और मैक्सिलोफेशियल चोटों के बारे में खोपड़ी मॉडल पर सर्जरी का सफदरजंग अस्पताल में अभ्यास करेंगे.
सीएमई के आयोजक डॉ शरद कुमार ने बताया कि अधिकतर देखा जाता है कि बच्चे जब पैदा होते हैं. उनमें हड्डियों को लेकर और चेहरों को लेकर बहुत सारी दिक्कतें सामने आती हैं.
अलग-अलग राज्यों से 5 प्रतिनिधि डॉक्टर बुलाए
डॉक्टर ने बताया कि इस प्रोग्राम के जरिए हमें बताने की कोशिश कर रहे हैं कि जो देश के अलग-अलग राज्यों से 5 प्रतिनिधि डॉक्टर बुलाए हैं और उन्हें लाइव दिखाया जाएगा कि कैसे हम किसी हड्डी को काटकर कहीं और जोड़ सकते हैं. अगर किसी को चेहरे पर दिक्कत है तो कैसे हम उसको सर्जरी के जरिए पूरी तरीके से ठीक कर सकते हैं.
साथ ही डॉ कुमार ने भी दावा किया कि सर्जरी होने के बाद पता नहीं चल पाएगा कि इस व्यक्ति की सर्जरी हुई है और पूरी तरीके से हो जाएगी साथ ही. उन्होंने ये भी कहा कि पूरे देश में बर्न के मामलों में सबसे बड़ा अस्पताल सफदरजंग अस्पताल ही है.
जले हुए चेहरे की बेहतर सर्जरी की कोशिशें जारी
उनका कहना है कि अस्पताल पूरी कोशिश कर रहा है कि किसी के जले हुए चेहरे को इस तरीके से सर्जरी किया जाए कि वो पता ना चल पाए. साथ ही उन्होंने कहा कि इस पूरे ट्रीटमेंट में प्लेट्स और स्क्रू की भी जरूरत पड़ेगी कि प्लेट्स और स्क्रू के जरिए कैसे हम पेशेंट को ठीक कर सकते हैं.
सीएमआई के आयोजक डॉक्टर शलभ कुमार ने ये भी कहा कि विभाग बर्न्स और प्लास्टिक सर्जरी में बहुत कम केंद्रों में से एक है. जो प्लास्टिक सर्जनों को रेजीडेंसी कार्यक्रम के अभिन्न अंग के रूप में मैक्सिलो फैशियल सर्जरी में ट्रेनिंग दे रहा है.