नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने नकली नोटों की छपाई और उसे दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब सहित दूसरे राज्यों में सप्लाई करने वाले एक गैंग का पर्दाफाश किया है. इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से एक अंडर ट्रेनिंग BUMS डॉक्टर है जबकि दूसरा सीएससी सेंटर चलाता है.
इनके पास से 50 लाख रुपये के नकली नोट बरामद किए गए हैं. इनकी निशानदेही पर यूपी में छापा मार कर पूरे प्रिंटिंग यूनिट का पर्दाफाश किया गया है. वहां से काफी मात्रा में कच्चा मटेरियल और दूसरे प्रिंटिंग के सामान बरामद किए गए हैं.
स्पेशल पुलिस कमिश्नर हरगोविंद सिंह धालीवाल ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों की पहचान आसिफ अली, दानिश अली और सरताज खान के रूप में हुई है. ये सभी यूपी के बदायूं के रहने वाले हैं. यह गैंग पिछले 5 सालों से इस गोरख धंधे में शामिल था. गैंग अब तक 5 करोड़ से ज्यादा के नकली नोट छाप कर मार्केट में सप्लाई कर चुका है.
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इस गैंग की जानकारी मिलने के बाद इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह, सुनील कुमार और नीरज कुमार की टीम लगी हुई थी. पता चला था कि बदायूं का रहने वाला आसिफ नकली नोटों की प्रिंटिंग करता है और उसे अपने साथियों के जरिए सप्लाई करवाता है. स्पेशल सेल की टीम ने आसिफ के बारे में पूरी जानकारी जुटाई और फिर 30 दिसंबर की रात अक्षरधाम मेट्रो स्टेशन के पास ट्रैप लगाकर तीनों को धर दबोचा.
उनके पास से बड़ी मात्रा में नकली नोट बरामद किए गए जिसे दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में सप्लाई करना था. जिस गाड़ी में ये लोग पहुंचे थे उसे भी जब्त कर लिया गया. जिसमें नकली नोटों को रख कर लाया गया था.
पूछताछ में पता चला मास्टर माइंड आसिफ अली के पिता किसान हैं. 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने इलाके में ही मेडिकल शॉप पर काम करने लगा था. जब इसे मेडिसीन के बारे में जानकारी मिल गई तो वह अपने गांव चला गया और वहां लोकल डॉक्टर बन कर लोगों का इलाज करने लगा. लेकिन इसकी कमाई से परिवार वाले खुश नहीं थे, इसलिए नकली नोटों की छपाई के गोरखधंधे में शामिल हो गया. इस काम में उसने अपने साथ सरताज और दानिश अली को शामिल कर लिया.
सरताज सॉफ्टवेयर इंजीनियर है. इन लोगों ने नकली नोटों की प्रिंटिंग और स्कैनिंग करने के लिए हाई क्वालिटी का प्रिंटर और सॉफ्टवेयर भी खरीदा. दानिश अली इन नकली नोटों को आगे डिस्पोजल करने के लिए दिल्ली, एनसीआर, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और दूसरे राज्यों में कस्टमर को तलाश करके उनको नोटों की सप्लाई करने लगा. दानिश अली BUMS की पढ़ाई कर रहा है. सरताज खान गांव में ही सीएससी सेंटर चलाता था और उसे कंप्यूटर ऑपरेट करने की पूरी जानकारी थी. इस तरह तीनों मिलकर इस गोरखधंधे को उत्तर प्रदेश के बदायूं से चला रहे थे.
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