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Cheating Module Exposed: बिजली बिल के नाम पर ठगी का मामला, रैकेट के काम करने के तरीकों का खुलासा - रैकेट के काम करने के तरीकों का खुलासा

दिल्ली के स्पेशल सेल की IFSO यूनिट ने साइबर ठगों के एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ (Cyber thug gang exposed) किया, जाे लोगों से बिजली के बिल को अपडेट करने के नाम पर ठगी की वारदात (Cheating in name of updating electricity bill) को अंजाम देता था. देश के विभिन्न शहराें में कार्रवाई कर 65 ठगाें काे गिरफ्तार किया गया. अब पुलिस ने इस रैकेट के काम करने के तरीकों का चौंकाने वाला खुलासा किया है.

Revealed working methods of racket in case
Revealed working methods of racket in case
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Published : Sep 9, 2022, 11:07 AM IST

नई दिल्ली : दिल्ली के साइबर सेल ने बीएसईएस (Bombay Suburban Electric Supply) के बिजली के बिल अपडेट करने के नाम पर लोगों से ठगी के मामले में 10 दिनों तक चलाये गए ऑपरेशन के तहत भारत के 22 शहरों में छापेमारी कर जिन 65 लोगों को गिरफ्तार किया है. उनसे पूछताछ के बाद इस पूरे रैकेट के काम करने के तरीकों का चौकाने वाला खुलासा हुआ है. इस रैकेट में कई मॉड्यूल काम कर रहे थे, जिनकी वजह से ये साइबर ठगी का गोरखधंधा फल-फूल रहा था. (Cheating Module Exposed in electricity bill fraud)

डीसीपी केपीएस मल्होत्रा के अनुसार, आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि इनके मॉड्यूल में सिम कार्ड वेंडर, एकाउन्ट होल्डर/प्रोवाईडर, ई मित्र और उनके सहयोगी और टेली कॉलर का समूह शामिल था. इन सभी मॉड्यूल का अलग-अलग काम था.

सिम कार्ड वेंडर, रिटेल सिम बेचने वाले होते थे, जो इस रैकेट को मैसेज और टेली कॉलिंग के लिए सिम कार्ड उपलब्ध करवाते थे. इसके लिए वो फर्जी डॉक्युमेंट्स या धोखे से प्राप्त डॉक्युमेंट्स के आधार पर उन्हें सिम उपलब्ध करवाते थे. इसके अलावा ये वेंडर टेलिकॉम कंपनियों के सिक्योरिटी फीचर को भी बायपास कर देते थे. इनमें कुछ ऐसे भी लोग शामिल थे, जो कुछ पैसों के लिए अपने डॉक्युमेंट्स के आधार पर इन ठगों के लिए देने में सहायता करते थे.

पैसों को ट्रांसफर करने के लिए, ये ठग उन लोगों के संपर्क में थे, जो फर्जी डॉक्युमेंट्स के आधार पर उन्हें बैंक एकाउंट प्राप्त करने में सहायता करते थे. इसके अलावा ये समाज के गरीब तबके के लोगों के बैंक एकाउंट का इस्तेमाल करते थे, बदले में उन्हें इसके लिए कमीशन दी जाती थी.

ई-मित्र और उनके सहयोगी भी इस ठगी के रैकेट में शामिल एक मॉड्यूल के रूप में काम कर रहे थे. 1930 की पहल और सरकार द्वारा अन्य उपायों के बाद, धोखेबाजों के लिए पैसे निकालना या उसे आगे ट्रांसफर करना मुश्किल हो गया है, क्योंकि फर्जी खातों में ट्रांसफर पैसे एक समय अवधि के भीतर वित्तीय संस्थानों के माध्यम से फ्रीज कर दिया जाता है. इसे दरकिनार करने के लिए, उन्होंने ई-मित्र (बी2सी सेवाओं का उपयोग करने में लोगों की मदद करने के लिए सरकार की एक पहल, उदाहरण के लिए बिलों का भुगतान आदि) को शामिल किया था. वो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर क्रेडिट कार्ड करते थे. आम जनता के बिलों का भुगतान करने के लिए वो उसी का उपयोग करते थे और फिर ठगे गए पैसे के माध्यम से क्रेडिट कार्ड का भुगतान करते थे. इसके अलावा, ई-मित्र के उनके सहयोगी, पेट्रोल पंपों या अन्य दुकानों पर क्रेडिट कार्ड स्वाइप कर कैश प्राप्त करते थे.

इन सब के अलावा टेली कॉलर भी इस रैकेट का अहम हिस्सा थे. ये रैंडम नंबरों पर बल्क मेसेज भेजते हैं. जब भी लोग उन्हें कॉल बैक करते, तो वो खुद को बिजली अधिकारी बताते थे और उनके मोबाइल फोन में रिमोट एक्सेस सॉफ्टवेयर इनस्टॉल करवा कर उनके एकाउन्ट से पैसों को ट्रांसफर कर लेते थे. इस पैन इंडिया ऑपरेशन में स्पेशल सेल को बहुत अच्छे परिणाम मिले और बीएसईएस चीटिंग से संबंधित शिकायतों की संख्या में काफी कमी आई.

गौरतलब है कि स्पेशल सेल की IFSO यूनिट ने बीएसईएस के बिजली के बिल अपडेट करने के नाम पर साइबर ठगी के बढ़ते मामलों को देखते हुए, एक विशेष ऑपरेशन के तहत 10 दिनों में भारत के 22 शहरों में छापेमारी की, जिसमें उन्होंने इस ठगी के गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए कुल 65 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार या उनके खिलाफ कार्रवाई की थी. जिसके बाद आगे की जांच में उनसे पूछताछ में इस पूरे ठगी के मॉड्यूल के काम करने का तरीकों का भी खुलासा करने में पुलिस ने कामयाबी पाई. इस ऑपरेशन के दौरान जहां पुलिस ने 65 आरोपियों को दबोचा, तो वहीं उनसे 45 मोबाइल फोन, 60 डेबिट/क्रेडिट कार्ड, 09 चेकबुक, 07 पासबुक और 25 प्री-एक्टिवेटेड सिम कार्ड भी बरामद किया था.

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नई दिल्ली : दिल्ली के साइबर सेल ने बीएसईएस (Bombay Suburban Electric Supply) के बिजली के बिल अपडेट करने के नाम पर लोगों से ठगी के मामले में 10 दिनों तक चलाये गए ऑपरेशन के तहत भारत के 22 शहरों में छापेमारी कर जिन 65 लोगों को गिरफ्तार किया है. उनसे पूछताछ के बाद इस पूरे रैकेट के काम करने के तरीकों का चौकाने वाला खुलासा हुआ है. इस रैकेट में कई मॉड्यूल काम कर रहे थे, जिनकी वजह से ये साइबर ठगी का गोरखधंधा फल-फूल रहा था. (Cheating Module Exposed in electricity bill fraud)

डीसीपी केपीएस मल्होत्रा के अनुसार, आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि इनके मॉड्यूल में सिम कार्ड वेंडर, एकाउन्ट होल्डर/प्रोवाईडर, ई मित्र और उनके सहयोगी और टेली कॉलर का समूह शामिल था. इन सभी मॉड्यूल का अलग-अलग काम था.

सिम कार्ड वेंडर, रिटेल सिम बेचने वाले होते थे, जो इस रैकेट को मैसेज और टेली कॉलिंग के लिए सिम कार्ड उपलब्ध करवाते थे. इसके लिए वो फर्जी डॉक्युमेंट्स या धोखे से प्राप्त डॉक्युमेंट्स के आधार पर उन्हें सिम उपलब्ध करवाते थे. इसके अलावा ये वेंडर टेलिकॉम कंपनियों के सिक्योरिटी फीचर को भी बायपास कर देते थे. इनमें कुछ ऐसे भी लोग शामिल थे, जो कुछ पैसों के लिए अपने डॉक्युमेंट्स के आधार पर इन ठगों के लिए देने में सहायता करते थे.

पैसों को ट्रांसफर करने के लिए, ये ठग उन लोगों के संपर्क में थे, जो फर्जी डॉक्युमेंट्स के आधार पर उन्हें बैंक एकाउंट प्राप्त करने में सहायता करते थे. इसके अलावा ये समाज के गरीब तबके के लोगों के बैंक एकाउंट का इस्तेमाल करते थे, बदले में उन्हें इसके लिए कमीशन दी जाती थी.

ई-मित्र और उनके सहयोगी भी इस ठगी के रैकेट में शामिल एक मॉड्यूल के रूप में काम कर रहे थे. 1930 की पहल और सरकार द्वारा अन्य उपायों के बाद, धोखेबाजों के लिए पैसे निकालना या उसे आगे ट्रांसफर करना मुश्किल हो गया है, क्योंकि फर्जी खातों में ट्रांसफर पैसे एक समय अवधि के भीतर वित्तीय संस्थानों के माध्यम से फ्रीज कर दिया जाता है. इसे दरकिनार करने के लिए, उन्होंने ई-मित्र (बी2सी सेवाओं का उपयोग करने में लोगों की मदद करने के लिए सरकार की एक पहल, उदाहरण के लिए बिलों का भुगतान आदि) को शामिल किया था. वो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर क्रेडिट कार्ड करते थे. आम जनता के बिलों का भुगतान करने के लिए वो उसी का उपयोग करते थे और फिर ठगे गए पैसे के माध्यम से क्रेडिट कार्ड का भुगतान करते थे. इसके अलावा, ई-मित्र के उनके सहयोगी, पेट्रोल पंपों या अन्य दुकानों पर क्रेडिट कार्ड स्वाइप कर कैश प्राप्त करते थे.

इन सब के अलावा टेली कॉलर भी इस रैकेट का अहम हिस्सा थे. ये रैंडम नंबरों पर बल्क मेसेज भेजते हैं. जब भी लोग उन्हें कॉल बैक करते, तो वो खुद को बिजली अधिकारी बताते थे और उनके मोबाइल फोन में रिमोट एक्सेस सॉफ्टवेयर इनस्टॉल करवा कर उनके एकाउन्ट से पैसों को ट्रांसफर कर लेते थे. इस पैन इंडिया ऑपरेशन में स्पेशल सेल को बहुत अच्छे परिणाम मिले और बीएसईएस चीटिंग से संबंधित शिकायतों की संख्या में काफी कमी आई.

गौरतलब है कि स्पेशल सेल की IFSO यूनिट ने बीएसईएस के बिजली के बिल अपडेट करने के नाम पर साइबर ठगी के बढ़ते मामलों को देखते हुए, एक विशेष ऑपरेशन के तहत 10 दिनों में भारत के 22 शहरों में छापेमारी की, जिसमें उन्होंने इस ठगी के गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए कुल 65 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार या उनके खिलाफ कार्रवाई की थी. जिसके बाद आगे की जांच में उनसे पूछताछ में इस पूरे ठगी के मॉड्यूल के काम करने का तरीकों का भी खुलासा करने में पुलिस ने कामयाबी पाई. इस ऑपरेशन के दौरान जहां पुलिस ने 65 आरोपियों को दबोचा, तो वहीं उनसे 45 मोबाइल फोन, 60 डेबिट/क्रेडिट कार्ड, 09 चेकबुक, 07 पासबुक और 25 प्री-एक्टिवेटेड सिम कार्ड भी बरामद किया था.

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