नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के द्वारका में स्थित रुक्मिणी द्वारकाधीश इस्कॉन मंदिर में मंगलवार को गोवर्धन पूजा धूमधाम से मनाया गया. दूर-दूर से हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचे और उन्होंने चावल से बनाए गए गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा की. उन्होंने तरह-तरह के व्यंजन बनाकर भगवान को भोग लगाए. हर तरफ भक्तिमय वातावरण था. महिलाएं, पुरुष, बच्चे बुजुर्ग सभी मंदिर पहुंचे और यहां पर पूजा-अर्चना की.
इस्कॉन के प्रमुख सेवादार प्रशांत मुकुंद दास ने कहा कि हर साल दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. इस दौरान भगवान का विशेष श्रृंगार किया गया और अन्नकूट प्रसाद का भोग लगाया गया. यह पूजा सदियों से दीपावली के बाद चली आ रही है. जिसमें लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. इस बार भी विशेष इंतजाम किया गया है. सेल्फी प्वाइंट भी अलग से बनाए गए थे. भक्तों के लिए प्रसाद का विशेष इंतजाम किया गया है.
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उन्होंने बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने वृंदावन वासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था. भगवान के तीन प्रमुख दास हैं, युधिष्ठिर महाराज, उद्धव जी और गिरिराज गोवर्धन जी. युधिष्ठिर कभी वृंदावन आए नहीं, उद्धव जी सिर्फ संदेश वाहक बनकर वृंदावन आए और वापस चले गए, लेकिन गिरिराज गोवर्धन जी लगातार यहीं विराजमान हैं. इसलिए हर साल दीपावली के बाद उनकी पूजा धूम धाम से की जाती है. लोग चार-चार बार परिक्रमा करते हैं और उन्हें महाप्रसादम दिया जाता है.
इस्कॉन की महिला सेवादार का कहना था कि यह बहुत ही उत्तम दिन है. हम महिलाओं ने प्रसाद व अलग-अलग व्यंजन बनाए और उसका भोग लगाया. फिर वही भक्तों में बांटा गया. प्रसाद लेकर भक्त खुश हुए, उससे पहले चार-चार बार गोवर्धन की परिक्रमा की.
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