नई दिल्ली: फायर ब्रिगेड की गाड़ी यदि सड़क पर दिख जाए तो लोग अमूमन यही सोचते हैं कि कहीं न कहीं आग लगी होगी. लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता. फायर ब्रिगेड की यह गाड़ियां, आग बुझाने के साथ-साथ बिजली के तारों में फंसे पक्षियों को आजाद कराने के लिए भी दौड़ रही होती हैं. फायर कंट्रोल रूम को प्रतिदिन 20 से 25 ऐसे कॉल मिलते हैं, जिसके बाद फायर फाइटर वहां पहुंचकर बेजुबान पक्षियों की जान बचाकर उन्हें आजाद करते हैं.
दरअसल अगस्त के शुरुआती महीने से ही दिल्ली में पंतगबाजी करने वाले बच्चे मांझे का इस्तेमाल करते हैं. इसके लिए कई बार वे चाइनीज मांझे का भी इस्तेमाल करते हैं. इस मांझे की चपेट में आकर कभी लोग, तो कभी पक्षी घायल तो जाते हैं या असमय काल का ग्रास बन जाते हैं. दिल्ली में 10 अगस्त से लेकर 17 अगस्त तक मांझे की चपेट में आकर कई पक्षियों के फंसने की कॉल फायर ब्रिगेड के पास गई, जिसके पास फायर फाइटरों ने पक्षियों को सुरक्षित आजाद कराया.
फायर कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के अनुसार, 10 अगस्त को आग लगने की 37 कॉल आई, जबकि बर्ड रेस्क्यू के लिए 28 कॉल मिली. वहीं 11 अगस्त को आग लगने की 32 कॉल आई और बर्ड रेस्क्यू की 24 कॉल आई. उधर 12 और 13 अगस्त को बर्ड रेस्क्यू की क्रमश: 22 और 21 कॉल मिली. ऐसे ही 17 तारीख तक बर्ड रेस्क्यू की करीब 160 कॉल मिली.
यह भी पढ़ें- नोएडा: सेक्टर 88 के वेयरहाउस में लगी भीषण, दमकलकर्मियों ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया
बताया गया कि धीरे-धीरे बर्ड रेस्क्यू की कॉल में गिरावट आ रही है. पेड़ों में या तारों पर फंसे मांझे की चपेट में आकर पक्षी फंस जाते हैं और उन्हें इससे छुड़ाने में समय लगता है. फायर डायरेक्टर अतुल गर्ग ने कहा, हमारे लिए हर कॉल इंपॉर्टेंट होता है. चाहे वह बर्ड रेस्क्यू हो, एनिमल रेस्क्यू हो या आग लगने की छोटी-बड़ी घटना हो. सूचना मिलते ही तुरंत नजदीकी फायर स्टेशन से गाड़ियां मौके पर पहुंचती हैं. जिस तरह आग पर तुरंत काबू पाने के प्रयास किए जाते हैं, उसी तरह बर्ड रेस्क्यू को भी पूरी सावधानी के साथ अंजाम दिया जाता है.
यह भी पढ़ें- Noida Police: राष्ट्रीय पक्षी मोर की संदिग्ध अवस्था में मौत, जांच में जुटी पुलिस