नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में लगातार रुक रुक कर हो रही है. बारिश के कारण दिल्ली देहात के गांवों में खेती करने वाले किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं. बारिश की वजह से गेहूं की फसल पूरी तरह से जमीन पर लेट गई है. इसके अलावा सरसों की काटी जा चुकी फसल झड़ गई है. किसानों के सामने भयंकर समस्या खड़ी हो गई है.
पालम 360 खाप के प्रधान चौधरी सुरेंद्र सिंह सोलंकी नजफगढ़ से आगे घुम्मनहेड़ा गांव पहुंचे. किसानों से मुलाकात की और बारिश से बर्बाद हुई फसलों का जायजा लिया. कई किसानों ने बताया कि फसल बेचकर अपने बच्चों की शादी करने वाले थे. जिनसे खेती के लिए कर्ज लिया था, उसे भी लौटना था. लेकिन अब भुखमरी की नौबत सामने आ गई है. चौधरी सुरेंद्र सिंह सोलंकी ने बताया कि घुम्मनहेड़ा के अलावा झटीकरा, शिकारपुर, हसनपुर, पंडवाला कला, सुरहेड़ा, रावता, मलिकपुर, उजवा, समसपुर, ढांसा, ईसापुर बाकरगढ़, मंडेला कला आदि गांव के अधिकतर क्षेत्रों में बारिश का पानी भर गया है.
गेहूं की फसल पूरी तरह जमीन पर लेट गई है. इस दौरान किसानों ने बताया कि काफी फसलें पूरी तरह पकी भी नहीं थीं. बारिश के दौरान जमीन पर लेटने से फसल के दाने में बढ़ोतरी नहीं होगी और ये फसलें अब सूख जाएंगी. इस कारण प्रति एकड़ 4 क्विंटल अनाज भी पैदा नहीं होगा, जबकि 1 एकड़ में 20 क्विंटल तक अनाज पैदा होता है. सरसों की फसल भी झड़कर मिट्टी में मिल गई है.
चौधरी सुरेंद्र सोलंकी ने किसानों से बात करने और फसलों का जायजा लेने के बाद उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री को विभिन्न माध्यमों से स्थिति से अवगत कराया है. साथ ही उन्होंने उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री से मांग की है कि किसानों को हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए तत्काल उन्हें मुआवजा दिया जाए. किसानों को सहायता के तौर पर दी जाने वाली मुआवजे की राशि में भी बढ़ोतरी की जाए.
दिल्ली सरकार ने 7 साल पहले मुआवजा राशि तय की थी, जबकि 7 साल में महंगाई कई गुना बढ़ चुकी है. इसलिए 7 साल पहले तय की गई मुआवजा राशि में किसानों के नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती. चौधरी सुरेंद्र सोलंकी के साथ सुरहेड़ा 17 के राव त्रिभुवन सिंह, सुखवीर डागर ढांसा, रजत यादव, ताज सिंह प्रधान, धर्मपाल बाकरगढ़, परमवीर डागर मलिकपुर, श्रीराम यादव, राव मांगेराम, भूपेंद्र नम्बरदार, नंदकिशोर पितांबर शर्मा आदि मौजूद थे.