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300 करोड़ की हेराफेरी के मामले में तीन गिरफ्तार, जानिए पूरा मामला - Narayani Investment Private Limited

यस बैंक से 300 करोड़ से अधिक रुपये का लोन लेने के मामले में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जानिए क्या था पूरा मामला...

यश बैंक
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Published : Oct 18, 2021, 4:31 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने यस बैंक से ऋण के रूप में लिए गए 300 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी के मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनकी पहचान गाजियाबाद के यतीश वहल, सतीश कुमार और गुरुग्राम के राहुल सिंह यादव के रूप में हुई है.

EOW पुलिस को दी गई शिकायत में पीड़ित शिकायतकर्ता डॉ. राजीव कुमार शर्मा ने नयति हेल्थ केयर एंड रिसर्च NCR प्राईवेट लिमिटेड और इसके डायरेक्टर यतीश वहाल, सतीश कुमार नरूला और अन्य पर आरोप लगाते हुए बताया कि वो नयति हेल्थ केयर प्राईवेट लिमिटेड के वाईस चेयरमैन और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सहित 6.3 प्रतिशत शेयर होल्डर हैं.

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यह कंपनी पहले OSL हेल्थ केयर प्राईवेट लिमिटेड के नाम से जानी जाती थी और इसमें उनका 49 प्रतिशत शेयर था. इसके डायरेक्टर चंदन मिश्रा, चर्चित मिश्रा के साथ मिलकर गुरुग्राम में एक हॉस्पिटल बनाने वाले थे, जिसके लिए VIMHANS और OSL हेल्थ केयर प्राईवेट लिमिटेड के बीच MoU भी साईन किया गया था. साथ ही पीड़ित को प्रोफेशनल फी के रूप में 30 लाख रुपये प्रति माह दिए जाने का भी वादा किया गया था.

गुरुग्राम में हॉस्पिटल के निर्माण कार्य के दौरान OSL हेल्थ केयर प्राईवेट लिमिटेड को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा. जिस वजह से इसके मेजोरिटी शेयर होल्डर डायरेक्टरों ने इसे नारायणी इन्वेस्टमेंट प्राईवेट लिमिटेड कंपनी जो कि नयति हेल्थ केयर एंड रिसर्च NCR प्राईवेट लिमटेड की होल्डिंग कंपनी है, को 99 करोड़ में बेच दिया.

ये भी पढ़ें- गाजियाबाद: Yes बैंक के सामने आम आदमी पार्टी ने किया प्रदर्शन

इसके बाद दोनों नए डायरेक्टर कंपनी का नाम बदलकर डिसीजन खुद ही लेने लगे. धोखे से उन्होंने शिकायतकर्ता के 49 प्रतिशत शेयर को कंपनी में 6.3 प्रतिशत कर दिया और उनके प्रोफेशनल फी 15 करोड़ 28 लाख रुपये भी नहीं दी.

आरोपियों ने हॉस्पिटल के निर्माण के लिए यश बैंक से 312 करोड़ रुपये कर्ज के रूप के लिया, उन पैसों का हॉस्पिटल बनाने में उपयोग नहीं किया किया.

इस मामले में जांच में जुटी पुलिस को बैंक द्वारा दिए गए 312 करोड़ में से 208 करोड़ रुपये अहलूवालिया कंस्ट्रक्शन कंपनी के नाम पर ट्रांसफर किये जाने का पता चला. इस एकाउंट को राहुल सिंह द्वारा ऑपरेट किया जाता था. आगे की जांच में पुलिस को पता चला कि पैसों की हेराफेरी के उद्देश्य से इस डमी एकाउंट को खोला गया था.

ये भी पढ़ें- यस बैंक-डीएचएफएल मामला : राणा कपूर की पत्नी और बेटी को मिली अंतरिम जमानत

अहलूवालिया कंस्ट्रक्शन कंपनी एक जानी मानी कंपनी है और उसके ओनर ने बताया कि वो गुरुग्राम में एक साइट पर काम कर रहे हैं पर वो प्रोजेक्ट अभी अधूरा है. उसके लिए उन्हें 10 करोड़ रुपये ही दिए गए हैं.

पुलिस को पैसों के हेराफेरी के उद्देश्य से किये गए ट्रांजेक्शन का पता चलने पर एसीपी रमेश कुमार नारंग की देखरेख में इंस्पेक्टर नितिन कुमार के नेतृत्व में SI प्रवीण बड़सरा, SI चेतन मंडिया, SI अश्विनी कुमार, SI अजय कुमार, SI अमित कुमार, ASI धर्मेंद्र, कॉन्स्टेबल वीरपाल और कॉन्स्टेबल ललित की टीम ने दिल्ली-NCR के कई इलाकों में छापेमारी कर तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. इस मामले में आगे की जांच जारी है.

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने यस बैंक से ऋण के रूप में लिए गए 300 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी के मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनकी पहचान गाजियाबाद के यतीश वहल, सतीश कुमार और गुरुग्राम के राहुल सिंह यादव के रूप में हुई है.

EOW पुलिस को दी गई शिकायत में पीड़ित शिकायतकर्ता डॉ. राजीव कुमार शर्मा ने नयति हेल्थ केयर एंड रिसर्च NCR प्राईवेट लिमिटेड और इसके डायरेक्टर यतीश वहाल, सतीश कुमार नरूला और अन्य पर आरोप लगाते हुए बताया कि वो नयति हेल्थ केयर प्राईवेट लिमिटेड के वाईस चेयरमैन और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सहित 6.3 प्रतिशत शेयर होल्डर हैं.

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यह कंपनी पहले OSL हेल्थ केयर प्राईवेट लिमिटेड के नाम से जानी जाती थी और इसमें उनका 49 प्रतिशत शेयर था. इसके डायरेक्टर चंदन मिश्रा, चर्चित मिश्रा के साथ मिलकर गुरुग्राम में एक हॉस्पिटल बनाने वाले थे, जिसके लिए VIMHANS और OSL हेल्थ केयर प्राईवेट लिमिटेड के बीच MoU भी साईन किया गया था. साथ ही पीड़ित को प्रोफेशनल फी के रूप में 30 लाख रुपये प्रति माह दिए जाने का भी वादा किया गया था.

गुरुग्राम में हॉस्पिटल के निर्माण कार्य के दौरान OSL हेल्थ केयर प्राईवेट लिमिटेड को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा. जिस वजह से इसके मेजोरिटी शेयर होल्डर डायरेक्टरों ने इसे नारायणी इन्वेस्टमेंट प्राईवेट लिमिटेड कंपनी जो कि नयति हेल्थ केयर एंड रिसर्च NCR प्राईवेट लिमटेड की होल्डिंग कंपनी है, को 99 करोड़ में बेच दिया.

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इसके बाद दोनों नए डायरेक्टर कंपनी का नाम बदलकर डिसीजन खुद ही लेने लगे. धोखे से उन्होंने शिकायतकर्ता के 49 प्रतिशत शेयर को कंपनी में 6.3 प्रतिशत कर दिया और उनके प्रोफेशनल फी 15 करोड़ 28 लाख रुपये भी नहीं दी.

आरोपियों ने हॉस्पिटल के निर्माण के लिए यश बैंक से 312 करोड़ रुपये कर्ज के रूप के लिया, उन पैसों का हॉस्पिटल बनाने में उपयोग नहीं किया किया.

इस मामले में जांच में जुटी पुलिस को बैंक द्वारा दिए गए 312 करोड़ में से 208 करोड़ रुपये अहलूवालिया कंस्ट्रक्शन कंपनी के नाम पर ट्रांसफर किये जाने का पता चला. इस एकाउंट को राहुल सिंह द्वारा ऑपरेट किया जाता था. आगे की जांच में पुलिस को पता चला कि पैसों की हेराफेरी के उद्देश्य से इस डमी एकाउंट को खोला गया था.

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अहलूवालिया कंस्ट्रक्शन कंपनी एक जानी मानी कंपनी है और उसके ओनर ने बताया कि वो गुरुग्राम में एक साइट पर काम कर रहे हैं पर वो प्रोजेक्ट अभी अधूरा है. उसके लिए उन्हें 10 करोड़ रुपये ही दिए गए हैं.

पुलिस को पैसों के हेराफेरी के उद्देश्य से किये गए ट्रांजेक्शन का पता चलने पर एसीपी रमेश कुमार नारंग की देखरेख में इंस्पेक्टर नितिन कुमार के नेतृत्व में SI प्रवीण बड़सरा, SI चेतन मंडिया, SI अश्विनी कुमार, SI अजय कुमार, SI अमित कुमार, ASI धर्मेंद्र, कॉन्स्टेबल वीरपाल और कॉन्स्टेबल ललित की टीम ने दिल्ली-NCR के कई इलाकों में छापेमारी कर तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. इस मामले में आगे की जांच जारी है.

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