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Delhi High Court: छावला में 50 साल पुराने मंदिर को तोड़े जाने के खिलाफ याचिका पर दिल्ली सरकार से मांगा जवाब - मंदिर तोड़े जाने को लेकर दिल्ली सरकार को नोटिस

राजधानी दिल्ली के छावला स्थित हनुमान मंदिर को तोड़ने वाले आदेश को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. इस मामले को अगली सुनवाई के लिए 12 जुलाई को सूचीबद्ध किया है. बता दें, दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने एलजी को पत्र लिखकर मंदिर तोड़ने के आदेश को वापस लेने की मांग की थी.

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Published : Jul 5, 2023, 10:16 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को राजधानी के छावला गांव में स्थित 50 साल पुराने हनुमान और शनि देव मंदिर के विध्वंस पर कापसहेड़ा उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) द्वारा 6 जून के विध्वंस आदेश को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है. दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की एकल-न्यायाधीश पीठ ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील से अपनी स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है और मामले को 12 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया.

दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हुआ है और धार्मिक समिति ने विध्वंस को पहले ही मंजूरी दे दी थी. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील आनंद ने बैठकों के मिनटों की एक प्रति मांगी, जिस पर उच्च न्यायालय ने उत्तरदाताओं से दस्तावेजों के साथ स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा.
नोटिस में कहा गया है कि धार्मिक समिति की बैठक दिनांक 13.09.2022 की सिफारिश के अनुसार, ग्राम छावला में छावला नाले पर स्थित हनुमान और शनि देव मंदिर को हटाया जाना है. इसलिए, विध्वंस अभियान 12.06.2023 को सुबह 11 बजे तय किया गया था. वकील आनंद और अनुज चौहान द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि विध्वंस आदेश छावला गांव (अब शहरीकृत) में मंदिर के विध्वंस के कारण का उल्लेख किए बिना और कानून के किसी भी प्रावधान के बिना पारित किया गया था, जिसके तहत कापसहेड़ा एसडीएम ने आदेश जारी किया था.

ये भी पढ़ेंः Delhi Politics: सौरभ भारद्वाज ने LG को लिखा पत्र, कहा- कृपया हनुमान मंदिर को तोड़ने का आदेश वापस लें

याचिका में आगे कहा गया है कि दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 की धारा 507 के तहत अधिसूचना जारी होने के बाद एसडीएम न तो भूमि-स्वामी प्राधिकारी हैं और न ही उन्होंने सार्वजनिक भूमि पर बनी धार्मिक संरचना के स्थानांतरण के संबंध में कोई प्रयास किया है. याचिका में यह भी कहा गया है कि एसडीएम की कार्रवाई बड़े पैमाने पर जनता को प्रभावित करेगी, क्योंकि बड़े पैमाने पर लोगों की भावनाएं संबंधित मंदिर से जुड़ी हुई हैं और मंदिर किसी भी तरह से यातायात में बाधा उत्पन्न नहीं करता है. बता दें कि दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भी उपराज्यपाल को पत्र लिखकर इस मंदिर को न तोड़े जाने की मांग की है.

ये भी पढ़ेंः श्रीनिवासपुरी में मंदिर तोड़ने के लिए एमसीडी ने दिया नोटिस, बचाने काे आगे आयी 'आप'

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को राजधानी के छावला गांव में स्थित 50 साल पुराने हनुमान और शनि देव मंदिर के विध्वंस पर कापसहेड़ा उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) द्वारा 6 जून के विध्वंस आदेश को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है. दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की एकल-न्यायाधीश पीठ ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील से अपनी स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है और मामले को 12 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया.

दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हुआ है और धार्मिक समिति ने विध्वंस को पहले ही मंजूरी दे दी थी. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील आनंद ने बैठकों के मिनटों की एक प्रति मांगी, जिस पर उच्च न्यायालय ने उत्तरदाताओं से दस्तावेजों के साथ स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा.
नोटिस में कहा गया है कि धार्मिक समिति की बैठक दिनांक 13.09.2022 की सिफारिश के अनुसार, ग्राम छावला में छावला नाले पर स्थित हनुमान और शनि देव मंदिर को हटाया जाना है. इसलिए, विध्वंस अभियान 12.06.2023 को सुबह 11 बजे तय किया गया था. वकील आनंद और अनुज चौहान द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि विध्वंस आदेश छावला गांव (अब शहरीकृत) में मंदिर के विध्वंस के कारण का उल्लेख किए बिना और कानून के किसी भी प्रावधान के बिना पारित किया गया था, जिसके तहत कापसहेड़ा एसडीएम ने आदेश जारी किया था.

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याचिका में आगे कहा गया है कि दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 की धारा 507 के तहत अधिसूचना जारी होने के बाद एसडीएम न तो भूमि-स्वामी प्राधिकारी हैं और न ही उन्होंने सार्वजनिक भूमि पर बनी धार्मिक संरचना के स्थानांतरण के संबंध में कोई प्रयास किया है. याचिका में यह भी कहा गया है कि एसडीएम की कार्रवाई बड़े पैमाने पर जनता को प्रभावित करेगी, क्योंकि बड़े पैमाने पर लोगों की भावनाएं संबंधित मंदिर से जुड़ी हुई हैं और मंदिर किसी भी तरह से यातायात में बाधा उत्पन्न नहीं करता है. बता दें कि दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भी उपराज्यपाल को पत्र लिखकर इस मंदिर को न तोड़े जाने की मांग की है.

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