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कोरोना में चरम पर भ्रष्टाचार! जलभराव से खुल रही MCD और DDA की पोल

मानसून के आते ही दिल्ली में जलभराव एमसीडी और डीडीए की पोल खोल कर रख देती है. ऐसा ही हाल दिल्ली के द्वारका में देखा गया. जहां नालों की सफाई की तो जाती है लेकिन सिर्फ खानापूर्ति ही है.

DDA and MCD corruption over waterlogging at dwarka in delhi
जलभराव से खुल रही MCD और DDA की पोल
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Published : Jul 23, 2020, 8:21 AM IST

नई दिल्ली: इन दिनों द्वारका जिले में जलभराव की समस्या से लोगों को छुटकारा दिलाने के लिए लगातार दिल्ली विकास प्राधिकरण(डीडीए) और दिल्ली नगर निगम(एमसीडी) द्वारका जिले के नालों की सफाई करवा कर उसके अंदर का मलवा बाहर निकाल रहे हैं. लेकिन मलवा बाहर निकालने के बाद उसे वहीं छोड़ दे रहे हैं, जो अगली बारिश आने के बाद दोबारा उस नाले में वापस चला जाता है. जिसके बाद जलभराव की समस्या शुरू हो जाती है. डीडीए और एमसीडी के इसी रवैये को देखते ईटीवी भारत की टीम ने द्वारका के एक निवासी से जाने उनकी राय.

जलभराव से खुल रही MCD और DDA की पोल

MCD और DDA कर रही खानापूर्ति


स्थानीय निवासी प्रकाश ने बताया कि नालियों से मलवा निकालकर इस दौरान डीडीए और एमसीडी सिर्फ खानापूर्ति कर रही है. क्योंकि जब भी इनकी सफाई के लिए कोई भी टेंडर पास होता है, तो अधिकारी से लेकर ठेकेदार तक सभी अपना-अपना हिस्सा ले लेते हैं और काम को आधा अधूरा छोड़ कर, कागजों में उसकी पूरी रकम का इस्तेमाल दिखा देते हैं. उदाहरण के तौर पर प्रकाश ने बताया कि जैसे किसी काम के लिए 100 रुपये का टेंडर पास हुआ तो, काम सिर्फ 30 रुपये का ही होता है बाकी के 70 रुपये अधिकारी से लेकर ठेकेदार आपस में बांट लेते हैं, जिसके कारण ना तो काम सही से हो पाता है और ना ही पैसे का सही जगह उपयोग हो पाता है.

चरम पर पहुंचा भ्रष्टाचार

प्रकाश ने बताया कि डीडीए और एमसीडी में भ्रष्टाचार की सीमा अपने चरम पर पहुंच चुकी है. जिसके कारण डीडीए और एमसीडी के इस रवैया को लेकर कोई भी कुछ नहीं कहता और ना ही कोई एक्शन लेता है. कई लोग न जाने कितनी बार इनके खिलाफ शिकायत भी कर चुके हैं. लेकिन भ्रष्टाचार इतना फैल चुका है कि उनकी शिकायत पर भी कोई गौर नहीं किया जाता.


प्रकाश का ऐसा मानना है कि जब तक नीचे तबके में भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा तब तक कोई भी सरकार या मंत्री कुछ भी नहीं कर सकता फिर चाहे वह जनता से लाख वाले क्यों ना कर ले.

नई दिल्ली: इन दिनों द्वारका जिले में जलभराव की समस्या से लोगों को छुटकारा दिलाने के लिए लगातार दिल्ली विकास प्राधिकरण(डीडीए) और दिल्ली नगर निगम(एमसीडी) द्वारका जिले के नालों की सफाई करवा कर उसके अंदर का मलवा बाहर निकाल रहे हैं. लेकिन मलवा बाहर निकालने के बाद उसे वहीं छोड़ दे रहे हैं, जो अगली बारिश आने के बाद दोबारा उस नाले में वापस चला जाता है. जिसके बाद जलभराव की समस्या शुरू हो जाती है. डीडीए और एमसीडी के इसी रवैये को देखते ईटीवी भारत की टीम ने द्वारका के एक निवासी से जाने उनकी राय.

जलभराव से खुल रही MCD और DDA की पोल

MCD और DDA कर रही खानापूर्ति


स्थानीय निवासी प्रकाश ने बताया कि नालियों से मलवा निकालकर इस दौरान डीडीए और एमसीडी सिर्फ खानापूर्ति कर रही है. क्योंकि जब भी इनकी सफाई के लिए कोई भी टेंडर पास होता है, तो अधिकारी से लेकर ठेकेदार तक सभी अपना-अपना हिस्सा ले लेते हैं और काम को आधा अधूरा छोड़ कर, कागजों में उसकी पूरी रकम का इस्तेमाल दिखा देते हैं. उदाहरण के तौर पर प्रकाश ने बताया कि जैसे किसी काम के लिए 100 रुपये का टेंडर पास हुआ तो, काम सिर्फ 30 रुपये का ही होता है बाकी के 70 रुपये अधिकारी से लेकर ठेकेदार आपस में बांट लेते हैं, जिसके कारण ना तो काम सही से हो पाता है और ना ही पैसे का सही जगह उपयोग हो पाता है.

चरम पर पहुंचा भ्रष्टाचार

प्रकाश ने बताया कि डीडीए और एमसीडी में भ्रष्टाचार की सीमा अपने चरम पर पहुंच चुकी है. जिसके कारण डीडीए और एमसीडी के इस रवैया को लेकर कोई भी कुछ नहीं कहता और ना ही कोई एक्शन लेता है. कई लोग न जाने कितनी बार इनके खिलाफ शिकायत भी कर चुके हैं. लेकिन भ्रष्टाचार इतना फैल चुका है कि उनकी शिकायत पर भी कोई गौर नहीं किया जाता.


प्रकाश का ऐसा मानना है कि जब तक नीचे तबके में भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा तब तक कोई भी सरकार या मंत्री कुछ भी नहीं कर सकता फिर चाहे वह जनता से लाख वाले क्यों ना कर ले.

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