नई दिल्ली: दिल्ली के आईजीआई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एलिवेटेड ईस्टर्न क्रॉस टैक्सी-वे (ईसीटी) का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है. इसी महीने 13 जुलाई को केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इसका उद्घाटन करेंगे. IGI एयरपोर्ट देश का पहला एयरपोर्ट बन गया है, जहां विमानों के आवाजाही के लिए एलिवेटेड टैक्सी-वे की सुविधा है.
350 लीटर एविएशन फ्यूल की होगी बचत: जीएमआर ग्रुप के डिप्टी एमडी के. प्रभाकरण ने बताया कि डायल का उद्देश्य साल 2030 तक आईजीआई एयरपोर्ट पर कार्बन उत्सर्जन को जीरो तक पहुंचाना है. यह नवनिर्मित टैक्सी वे इसमें एक बड़ा माध्यम होगा. इस टैक्सी-वे का उपयोग कर विमान को टर्मिनल-3 से टर्मिनल-1 तक जाने में अब 7 किलोमीटर की कम दूरी तय करनी होगी. इससे एक बार में लगभग 350 लीटर एविएशन फ्यूल की बचत होगी. इससे होने वाले करीब 1114 किलो सीओ 2 के उत्सर्जन में कमी आएगी. जबकि सालाना 55000 टन सीओ 2 के उत्सर्जन में कमी आएगी.
टीएनटी और आरडीएक्स जैसे विस्फोटकों से भी है सुरक्षित: डायल के अनुसार एयरपोर्ट मार्ग को 8 मीटर ऊंचे पुल पर तैयार किया गया. इस एलिवेटेड टैक्सी-वे का आधार 156 चौड़े खंभों पर टिका है. जिसके निर्माण में विशेष रूप से तैयार करवाए हुए कुल 590 स्टील के गार्डर का उपयोग किया गया है. इनमें से हर गार्डर का वजन 90 मीट्रिक टन है. इतनी मजबूती से बनाया गया है, कि यह संरचना भूकंप के तेज झटकों के साथ ही टीएनटी और आरडीएक्स जैसे विस्फोटकों से भी सुरक्षित रह सकता है. इसकी जांच मुंबई IIT के एक्सपर्ट द्वारा की गई है.
एक साथ एक समय में गुजर सकता है 2 ए-380 फ्लाइट: यह एलिवेटेड टैक्सी-वे इतना चौड़ा है कि इसपर से एक बार में दो सबसे बड़े यात्री विमान ए-380 गुजर सकता है. इसकी कुल लंबाई करीब 2.1 किमी और चौड़ाई 202 मीटर है. इसके अलावा B- 777 और B- 747 एस विमान भी आसानी से गुजर सकता है. दो लेने वाले इस टैक्सी-वे के प्रत्येक लेन की चौड़ाई 44 मीटर है और इनके बीच में 47 मीटर की दूरी है. इसके अलावा इसके ऊपर किसी इमरजेंसी की स्थिति में विमान के होने के दौरान फायर, एंबुलेंस और टो ट्रैक्टर के पहुंचने के लिए लेन बनाए गए हैं.
आपस में जुड़ जाएंगे टर्मिनल-1 और टर्मिनल-3: एलिवेटेड टैक्सी-वे पर ऑपरेशनल फंक्शनल के शुरू होने पर टर्मिनल-1 और टर्मिनल-3 आपस में जुड़ जाएंगे. इसके शुरू होने से टर्मिनल-3 में अधिक विमानों की आवाजाही हो सकेगी. इससे रनवे पर विमानों की ट्रैफिक कम हो जाएगी. उड़ानों के संचालन में विलंब की समस्या से निजात मिलेगा, क्योंकि टैक्सी-वे पर जगह नहीं मिलने के कारण कई विमानों को टर्मिनल के पास खड़ा कर दिया जाता है.
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